जयपुर। राजस्थान में कांग्रेस की सरकार बनते ही सरपंच एवं पंचायतीराज प्रतिनिधियों का खोया हुआ सम्मान फिर से कायम किया जाएगा। कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने सरपंच संघ राजस्थान के आह्वान पर मंगलवार को राजधानी जयपुर में हुए सरपंच एवं पंचायतीराज प्रतिनिधि महासम्मेलन में सरपंच संघ राजस्थान के प्रतिनिधियों को यह भरोसा दिलाया। महासम्मेलन के सूत्रधार के रूप में सरपंच संघ राजस्थान के प्रदेश सचिव हेमराज शर्मा, कोषाध्यक्ष बंशीधर गढ़वाल, उपाध्यक्ष सविता राठी, प्रदेश उपसचिव रामगोपाल गीला, प्रदेश मंत्री सुमन मीणा, बारां जिलाध्यक्ष प्रियंका नंदवाना, झुंझुनूं जिलाध्यक्ष तारा पूनियां ने मुख्य भूमिका निभाई।
मानसरोवर स्थित चतुर्वेदी फार्म में आयोजित इस महासम्मेलन में राजस्थान के विभिन्न जिलों से आए करीब 10 हजार सरपंच, प्रधान एवं पंचायत समिति सदस्यों को अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के महासचिव एवं राजस्थान प्रभारी अविनाश पांडे, सह-प्रभारी विवेक बंसल, प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट, विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष रामेश्वर डूडी, पूर्व राष्ट्रीय महासचिव मोहन प्रकाश, पूर्व सांसद डॉ. हरि सिंह, प्रदेश महासचिव एवं मीडिया चेयरपर्सन डॉ. अर्चना शर्मा, जयपुर शहर कांग्रेस अध्यक्ष प्रताप सिंह खाचरियावास सहित कांग्रेस नेताओं ने संबोधित किया।
महासम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष सचिन पायलट ने कहा कि आज सरपंच संघ की 21 सूत्री मांगों को देखकर यह स्पष्ट हो गया है कि वसुंधरा सरकार में सबसे ज्यादा कोई ठगा गया है तो वह सरपंच है। सरपंचों के अधिकारों को पूर्णतया खत्म कर दिया गया है और गत 5 वर्षों में भाजपा सरकार ने पंचायतीराज व्यवस्था को खोखला कर दिया है।
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सचिवालय के बंद कमरों में बैठ कर मंत्री-अधिकारी ग्रामीण विकास की
भूमिका तय कर रहे हैं। सरपंचों के अधिकार खत्म कर उनका शोषण किया जा रहा
है। पायलट ने कहा कि जिस प्रकार भाजपा सरकार ने सरंपचों के चुनाव में 10वीं
पास की शैक्षणिक अनिवार्यता लागू की है, वही व्यवस्था वह विधानसभा और
लोकसभा चुनाव में भी लागू करके दिखाए। शैक्षणिक योग्यता के नाम पर सरपंचों
के चुनाव लड़ने तक के अधिकार को समाप्त किया गया है।
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उन्होंने
कहा कि महल-किलों मे बैठने वाली वसुंधरा की सरकार सिर्फ किसानों, सरपंचों
पर लाठियां बरसाना ही जानती है, लेकिन उनसे संवाद करना नहीं। महात्मा गांधी
के ग्राम स्वराज की परिकल्पना को साकार करती हुई कांग्रेस ही पंचायतीराज
व्यवस्था की जननी रही है और आज भी वही इसको पोषित कर सकती है।
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उन्होंने
कहा कि सरपंचों का सवा साल का कार्यकाल बाकी है। दो महीने बाद जब हमारी
सरकार सत्ता में आएगी, तो 21 सूत्री मांगों को पूरा कर हम आपका खोया हुआ
मान-सम्मान लौटाने का कार्य करेंगे।
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प्रदेश
प्रभारी अविनाश पांडे ने कहा कि कांग्रेस ने हमेशा अपनी हर सरकार के माध्यम
से महात्मा गांधी एवं जवाहरलाल नेहरू के ग्राम स्वराज के सपनों को पूरा
करने का सफल प्रयास किया है, जिसे भाजपा के नेताओं ने खंड-खंड करने का
कार्य किया है। सरपंच संघ के आह्वान के साथ कांग्रेस सशक्त रूप में खड़ी है।
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विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रामेश्वर
डूडी ने कहा कि किसान, खेत-खलिहान की बात जब भी होती है, तब कांग्रेस को
जनता याद करती है। भाजपा केवल शहर और धनाढ्य लोगों की पार्टी है, जिन्हें
ग्रामीण जनता से कोई सरोकार नहीं है। इसलिए सरपंच संघ कांग्रेस का साथ दे,
ताकि हम सरकार में आकर सरपंचों की मांगों को पूर्ण कर सकें।
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प्रदेश
कांग्रेस की उपाध्यक्ष एवं मीडिया चेयरपर्सन डॉ. अर्चना शर्मा ने कहा कि
आज राजधानी में दो आयोजन हुए हैं। एक तरफ राज्य की भाजपा सरकार प्रदेशभर से
लोगों को लाभार्थी बनाकर जोर-जबर्दस्ती ढोकर लाई है, वहीं दूसरी ओर
ग्रामीण इकाई के जनप्रतिनिधि स्वतः राजस्थान के दूरस्थ क्षेत्रों से एकत्र
होकर जयपुर आए हैं और भाजपा की वादाखिलाफी को उजागर कर विरोध कर रहे हैं।
वे अपने अधिकारों की बहाली के लिए कांग्रेस से उम्मीद लगाए हुए हैं,
जिन्हें सत्ता में आते ही कांग्रेस जरूर पूरा करेगी।
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अखिल
भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव एवं राजस्थान सह-प्रभारी विवेक बंसल ने कहा
कि राजस्थान में पंचायतीराज की अवधारणा बहुत पुरानी है। कांग्रेस ने
पंचायतीराज को मजबूत किया है और भाजपा उसे निरन्तर कमजोर करने में जुटी है।
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सरपंच संघ राजस्थान राज्य के सरपंचों की
न्यायोचित मांगों के लिए संघर्षरत रहा है। हम राज्य के सरंपचों के साथ हैं।
सरपंचों को भाजपा की वादाखिलाफी के विरुद्ध आगामी चुनावों में क्लीयर
स्टैंड लेना चाहिए। सम्मेलन को राष्ट्रीय नेता मोहन प्रकाश ने भी सम्बोधित
किया।
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