J&K: SC में अनुच्छेद 35-ए पर सुनवाई टली, ये बताया कारण

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 31 अगस्त 2018, 11:58 AM (IST)

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के नागरिकों को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35 ए पर आज सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई टाल दी है। अब इस पर अगले साल 19 जनवरी को सुनवाई होगी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट सुनवाई टालने की मांग की थी। केंद्र ने कहा था कि दिसंबर में पंचायत चुनाव के बाद सुनवाई की जाए।

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए एडीशनल अटॉर्नी (एएसजी) तुषार मेहता ने कहा कि सभी सुरक्षा एजेंसियां स्थानीय चुनावों की तैयारियों में तैनात हैं। वहीं केंद्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि स्थानीय चुनावों को शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न होने दिए जाएं।

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली तीन जजों की बेंच ने अश्विनी उपाध्याय की ओर से दायर नई याचिका पर सुनवाई टाल दी है। वहीं, जम्मू-कश्मीर में निकाय चुनाव को देखते हुए सुनवाई स्थगित की जाने की मांग की गई थी। इस बारे में राज्य सरकार के वकील एम शोएब आलम ने सुप्रीम कोर्ट को कहा था कि राज्य सरकार आगामी पंचायत और शहरी स्थानीय निकाय और निगम चुनावों की तैयारी को देखते हुए मामले की सुनवाई स्थगित रखे।

इन्होंने दायर की थी याचिका...

दिल्ली स्थित एनजीओ ‘वि द सिटीजन्स’ और वेस्ट पाकिस्तान रिफ्यूजी एक्शन कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करके राज्य के विशेष नागरिकता कानून-35-ए को चुनौती दी है और इसको हटाने की मांग की है। वहीं सुनवाई का विरोध कर रहे लोगों का कहना है कि अगर नागरिकता के कानून को तोड़ा गया तो धारा 370 भी उसी के साथ खत्म होगा और जम्मू-कश्मीर और भारत के बीच हुवा विलय भी खत्म हो जाएगा।

क्या है अनुच्छेद 35 ए...

अनुच्छेद 35-ए को 14 मई 1954 में राष्ट्रपति के आदेश के जरिए संविधान में जोड़ा गया। ये अनुच्छेद जम्मू कश्मीर विधान सभा को अधिकार देता है कि वो राज्य के स्थायी नागरिक की परिभाषा तय कर सके। इन्हीं नागरिकों को राज्य में संपत्ति रखने, सरकारी नौकरी पाने या विधानसभा चुनाव में वोट देने का हक मिलता है।

इसका नतीजा ये हुआ कि विभाजन के बाद जम्मू कश्मीर में बसे लाखों लोग वहां के स्थायी नागरिक नहीं माने जाते। वो वहां सरकारी नौकरी या कई जरूरी सरकारी सुविधाएं नहीं पा सकते। ये लोग लोकसभा चुनाव में वोट डाल सकते हैं। लेकिन राज्य में पंचायत से लेकर विधान सभा तक किसी भी चुनाव में इन्हें वोट डालने का अधिकार नहीं है।

इस अनुच्छेद के चलते जम्मू कश्मीर की स्थायी निवासी महिला अगर कश्मीर से बाहर के शख्स से शादी करती है, तो वो कई जरूरी अधिकार खो देती है। उसके बच्चों को स्थायी निवासी का सर्टिफिकेट नही मिलता। उन्हें मां की संपत्ति पर हक नहीं मिलता। वो राज्य में रोजगार नहीं हासिल कर सकते।

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