पाली/जयपुर। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने गुरुवार को राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण की ओर से पाली जिले के ऎतिहासिक गांव आऊवा में करीब साढ़े चार करोड़ की लागत से बनाए गए स्वतंत्रता संग्राम पैनोरमा का लोकार्पण किया। उन्होंने आऊवा की आराध्य देवी सुगाली माता एवं स्वतंत्रता सेनानी ठाकुर कुशालसिंह चांपावत की प्रतिमा का अनावरण किया।
मुख्यमंत्री ने पैनोरमा का अवलोकन किया तथा स्वतंत्रता सेनानियों की प्रतिमाओं पर पुष्प अर्पित किए। इस दौरान आयोजित लोकार्पण समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि यह पहली सरकार है, जिसने राज्य के इतिहास, संस्कृति और स्वतंत्रता संग्राम को संरक्षित करने तथा यहां के लोक देवताओं व महापुरुषों की स्मृतियों को संजोने का काम किया है। उन्होंने कहा कि यह पैनोरमा नई पीढ़ी को देश व राज्य के गौरवशाली इतिहास से रूबरू कराएगा तथा सुगाली माता व कुशाल सिंह चांपावत की प्रतिमाएं हमें देश और मातृभूमि की रक्षा व सेवा की प्रेरणा देती रहेंगी।
140 करोड़ से 48 पैनोरमा का निर्माण
मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि राजस्थान का इतिहास अत्यंत गौरवशाली रहा है और नई पीढ़ी को इस इतिहास से रूबरू कराने की जरूरत है। इतिहास को लेकर जागरूकता का प्रसार अपने आप में एक बड़ा काम है। इसी को लेकर सारे राजस्थान में अब 140 करोड़ की लागत से 48 पैनोरमा बनाए जा रहे हैं। इसके साथ ही 125 मंदिरों के जीर्णोद्धार के लिए 625 करोड़ रुपए खर्च किए जा रहे हैं। हमारा सौभाग्य है कि इस तरह के गौरवशाली काम करने का हमें अवसर मिल रहा है। उन्होंने ठाकुर कुशाल सिंह चांपावत के वंशज आऊवा ठाकुर पुष्पेंद्र सिंह से कहा कि वे पैनोरमा के रख-रखाव में सहयोग करें।
घटना के 160 साल बाद पुनः प्रतिमा स्थापित
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मुख्यमंत्री राजे ने कहा कि सन 1857 में सुगाली माता के आशीर्वाद और ठाकुर
कुशाल सिंह की प्रेरणा ने सैनिकों को आगे बढने के लिए प्रेरित किया और
अंग्रेजों को बार-बार हार का सामना करना पड़ा। जब अंग्रेजों को लगा कि
सुगाली माता के चमत्कार के कारण वे हार रहे हैं तो उन्होंने सुगाली माता की
प्रतिमा को माउंट आबू में रखवा दिया। बाद में 1908 में इसे अजमेर के
राजपूताना म्यूजियम में रखा गया तथा आजादी के बाद पाली के राजकीय संग्रहालय
में दस मस्तक और 54 हाथों वाली यह अद्भुत प्रतिमा रखी गई है, लेकिन वह मूल
प्रतिमा खंडित होने के कारण हुबहू वैसी ही नई प्रतिमा बनाकर आज उस घटना के
160 साल बाद पैनोरमा में स्थापित की गई है।
सुगाली माता से प्रेरणा ले नारी शक्ति
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उन्होंने
कहा कि नारी शक्ति का रूप है और सुगाली माता की प्रतिमा से अब यहां की
नारी शक्ति को प्रेरणा लेनी चाहिए कि वे इतनी सशक्त बनें कि कोई भी राक्षसी
प्रवृत्ति उनकी तरफ आंख भी उठाकर नहीं देख सके।
विकास कार्य के लिए ‘नहीं’ कहना नहीं सीखा
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उन्होंने
इस दौरान मारवाड़ जंक्शन विधानसभा क्षेत्र में कराए गए विकास कार्यों की
जानकारी देते हुए कहा कि सरकार ने किसी भी विकास कार्य के लिए कभी ‘नहीं’
कहना नहीं सीखा है। हम हमेशा जनप्रतिनिधियों से कहते हैं कि विकास कार्यों
की लिस्ट बनाओ और तुरंत स्वीकृति ले जाओ।
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उन्होंने बताया कि क्षेत्र में
471 करोड़ लागत की जोधपुर-जोजावर सड़क, सोजत-सीरियारी मार्ग पर 25 करोड़ की
लागत से सड़क निर्माण, 45 करोड़ की लागत से ढारिया बांध के सुदृढीकरण जैसे
बड़े काम कराए गए हैं तथा मारवाड़ जंक्शन को महाविद्यालय की सौगात दी गई है।
रानी में आईटीआई केंद्र खोला गया है तथा आऊवा में जवाई बांध का पानी लोगों
को सुलभ कराने के लिए 65 लाख की लागत से पाइप लाइन बिछाए जाने का काम किया
जाएगा।
बड़ी संख्या में विशिष्ट व्यक्ति रहे मौजूद
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इस
दौरान राजस्थान धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार
सिंह लखावत, केंद्रीय विधि राज्य मंत्री पीपी चौधरी, जलदाय मंत्री सुरेंद्र
गोयल, विधायक केशाराम चौधरी, सोजत विधायक संजना आगरी, जिला प्रमुख पेमाराम
सीरवी, पूर्व मंत्री लक्ष्मीनारायण दवे, एडीएम भागीरथ बिश्नोई, सीईओ
राजपाल सिंह, मारवाड़ जंक्शन प्रधान सुमेर सिंह कुंपावत, सरपंच योगेश्वरी
कंवर सहित अधिकारी, जनप्रतिनिधि एवं बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
सन 57 की क्रांति पर आधारित पहला पैनोरमा
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राजस्थान
धरोहर संरक्षण एवं प्रोन्नति प्राधिकरण के अध्यक्ष ओंकार सिंह लखावत ने
बताया कि यह सन 57 की क्रांति पर आधारित यह देश का पहला पैनोरमा है। ऎसे
पैनोरमा के निर्माण से हम देश की अस्मिता और गौरवशाली अतीत का पहचान देने
का काम कर रहे हैं।
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पैनोरमा में सन 57 की क्रांति के नायकों मंगल पांडे,
तात्या टोपे, रानी लक्ष्मीबाई, झलकारी बाई, बाबू कुंवर सिंह, नाना साहब आदि
के जीवन एवं स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ी घटनाओं का बहुत ही आकर्षक व
प्रभावी ढंग से प्रदर्शन किया गया है तथा विभिन्न स्वतंत्रता सेनानियों की
प्रतिमाएं स्थापित की गई हैं।
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आऊवा 57 की क्रांति का महत्वपूर्ण केंद्र रहा
है और भविष्य में पैनोरमा में ऑडियो-विजुअल माध्यमों से भी गौरवशाली अतीत
की गाथा दर्शकों को सुनाई जाएगी।
आगे तस्वीरों में देखें...
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