लखवार बांध प्रोजेक्ट: 6 राज्यों के CM ने किया MOU साइन

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 28 अगस्त 2018, 11:30 AM (IST)

चंडीगढ़। नई दिल्ली में मंगलवार को लखवार बांध परियोजना के लिए केंद्रीय जल संसाधन मंत्री नितिन गडकरी की मौजूदगी में हरियाणा सहित 6 राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने एमओयू साइन किया। चार दशक की जिद्दोजहद के बाद लखवार बहुउद्देश्यीय राष्ट्रीय परियोजना सिरे चढऩे जा रही है। परियोजना से 2.67 लाख एकड़ फीट पानी का प्रबंधन संभव होगा और सभी राज्यों में पानी और बिजली की उपलब्धता बढ़ेगी।

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल, उत्तराखंड के त्रिवेंद्र सिंह रावत, उत्तर प्रदेश के योगी आदित्यनाथ, हिमाचल प्रदेश के जयराम ठाकुर, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लखवार बहुउद्देश्यीय राष्ट्रीय परियोजना के समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए।

मुख्यमंत्री के मीडिया सलाहकार राजीव जैन के अनुसार परियोजना से हरियाणा के किसानों को वर्ष 1994 के समझौते के अनुसार पानी उपलब्ध होगा, जिसका सिंचाई से लेकर घरेलू और व्यावसायिक प्रयोग किया जा सकेगा। लखवार बांध परियोजना एसवाईएल नहर के बाद दूसरा ऐसा प्रोजेक्ट है, जिसे सिरे चढ़ाने के लिए सरकार ने पूरी गंभीरता से काम किया। तकनीकी अड़चनों को दूर कर दिया गया है।

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यमुना नदी पर बांध

उत्तराखंड में देहरादून के लोहारी गांव में बनने वाले इस बांध से 78 मिलियन क्यूसेक मीटर पानी की उपलब्धता होगी जो इन राज्यों में खुशहाली का बैंचमार्क स्थापित करेगा। यमुना नदी पर चार बांध बनाने की दशकों से ठंडे बस्ते में पड़ी परियोजना को बाहर निकालने में केंद्रीय मंत्री गडकरी का अहम रोल रहा।

300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा

करीब 4000 करोड़ रुपये की इस परियोजना से 300 मेगावाट बिजली का उत्पादन होगा जिस पर उत्तराखंड का पूरा अधिकार होगा। पानी उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली व राजस्थान के बीच बंट जाएगा। परियोजना में तकनीकी अड़चनों को दूर करते हुए प्रशासनिक प्रक्रिया पूरी की जा चुकी है।


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चार दशक से लटकी थी परियोजना

योजना आयोग ने वर्ष 1976 में लोहारी में 204 मीटर ऊंचाई का बांध बनाने की परियोजना को मंजूरी दी थी। 1986 में पर्यावरणीय मंजूरी मिलने के बाद 1987 में जेपी समूह ने बांध का निर्माण शुरू किया। 1992 में जब 35 फीसद काम पूरा हो गया तो आर्थिक विवाद में जेपी समूह परियोजना से अलग हो गया। 2008 में केंद्र सरकार ने इसे राष्ट्रीय परियोजना घोषित करते हुए 90 फीसद लागत खर्च खुद वहन करने की घोषणा कर दी।


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33 हजार हेक्टेयर जमीन होगी सिंचित

परियोजना में 1884 हेक्टेयर जमीन का इस्तेमाल होगा जिसमें 467 हेक्टेयर जमीन वन विभाग की है। परियोजना से छह राज्यों में 33,780 हेक्टेयर जमीन की सिंचाई होगी, जबकि 78 मिलियन क्यूसेक मीटर पानी घरेलू और व्यवसायिक उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। साढ़े चार साल में पूरी होने वाली परियोजना में 2578 करोड रुपये जल घटक और 1388 करोड़ रुपये बिजली उत्पादन घटक पर खर्च किए जाएंगे। निर्माण की जिम्मेदारी उत्तराखंड जल विद्युत निगम उठाएगा।

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