केन्द्रीय मंत्री ने दिखाए बगावती तेवर, थाम सकते हैं महागठबंधन का दामन!

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 26 अगस्त 2018, 4:58 PM (IST)

पटना। बिहार में राजनीति तूफान आने से पहले का सन्नाटा छाया हुआ है। लेकिन इसमें उपेंद्र कुशवाहा का एक बयान ने हलचल पैदा कर दी है। मामला तब का है जब केंद्र सरकार में मंत्री और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने शनिवार को राष्ट्रीय लोक समता पार्टी की ओर से आयोजित पटना में बी पी मंडल की जयंती कार्यक्रम को संबोधित करते हुए यह कह दिया कि यदि यादवों का दूध और कुशवाहा का चावल मिल जाए तो एक बढिय़ा खीर पक सकती है। कुशवाहा ने यहां तक कह दिया कि यदुवंशी (यादव) का दूध और कुशवंशी (कोइरी समुदाय) का चावल मिल जाए तो खीर अच्छी बनेगी, और इस स्वादिष्ट व्यंजन को बनने से कोई भी नहीं रोक सकता है। कुशवाहा के इस बयान के राजनीति में कई अर्थ निकाले जा रहे हैं। उनके इस बयान को लालू यादव से जोडक़र देखा गया है।

यहां पर उपेंद्र कुशवाहा का साफ इशारा आरजेडी को लेकर किया गया था। इसे मुख्यत: यदुवंशियों की पार्टी के तौर पर ही जाना जाता है। यदुवंशी समाज परंपरागत तौर पर गौ पालक होते हैं और कुशवाहा समाज कृषि के क्षेत्र में काम करते हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि कुशवाहा ने इशारों में कह दिया है कि आरजेडी और राष्ट्रीय लोक समता पार्टी एक होकर चुनाव में उतरती है तो 2019 के लोकसभा चुनाव में बिहार में वह भाजपा, जदयू और लोजपा गठबंधन को पानी पिला सकती है।

जेडीयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने इस मामले पर तंज कसते हुए कहा कि अगर उपेंद्र कुशवाहा दूध और चावल मिलाकर खीर बनाएंगे और वह एक मीठा बनेगा। इससे शुगर की बीमारी होने का खतरा बनेगा। ऐसे में जरूरी है कि मीठा नहीं खाकर नमकीन खाया जाए, जिससे शरीर को कोई हानि नहीं पहुंचे।

कुशवाहा के बयान पर आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने भी ट्वीट करते हुए उनके बयान का स्वागत करते हुए कहा कि निसंदेह स्वादिष्ट और पौष्टिक खीर श्रमशील लोगों की जरूरत है। पंचमेवा के स्वास्थ्यवर्धक गुण न केवल शरीर बल्कि स्वस्थ समतामूलक समाज के निर्माण में भी ऊर्जा प्रदान करता है। प्रेम भाव से बनाई गई खीर में पौष्टिकता, स्वाद और ऊर्जा की भरपूर मात्रा होती है और यह एक अच्छा व्यंजन बनेगा। इससे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि उन्होंने कुशवाहा का महागठबंधन में आने की पहल का स्वागत किया है।

उल्लेख है कि उपेंद्र कुशवाहा पिछले कुछ समय से इस बात को लेकर नाराज हैं कि राजग में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू का आ जाना। इसके बाद से उनका कद राजग में कम आका जा रहा है। यह बात स्पष्ट है कि उपेंद्र कुशवाहा और नीतीश कुमार के बीच में बनती नहीं है और उपेंद्र कुशवाहा 2020 में विधानसभा चुनाव में एनडीए का मुख्यमंत्री चेहरा बनने की इच्छा पाले हुए थे।

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