केरल में बाढ को लेकर राजनीति शुरू , विपक्ष ने सरकार को दोषी माना

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 22 अगस्त 2018, 10:14 PM (IST)

तिरुवनंतपुरम। केरल में बाढ़ से स्थिति अब सामान्य होती जा रही है। बाढ़ में फंसे लोगों को बचाने का कार्य अब समाप्ति की ओर है। लेकिन अब वहां राजनीति प्रतिस्पद्र्धा शुरू हो गई है। केरल में विपक्षी दलों ने इसको मानव जनित आपदा करार देते हुए न्यायिक जांच कराने की मांग की है। विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेन्निथाला ने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश में 44 बांधों के दरवाजे को खोलने के आदेश किस को आधार बनाकर दिए गए। हम इसकी न्यायिक जांच कराने का आग्रह करते हैं। हमारा मानना है कि यह पूरी तरह से मानव जनित आपदा है।

उन्होंने कहा कि सरकार को इस बात का इल्म नहीं था क्या कि पाम्बा नदी पर बने 9 बांध, इडुक्की और एर्नाकुलम जिलों में 11 बांध और त्रिशूर में चालाकुडी नदी पर बने 6 बांध खोले जाने पर कौन से इलाके डूब जाएंगे। कांग्रेस के नेता का मानना है कि वैसे तो इस बार 41.44 फीसदी बारिश अधिक हुई है लेकिन बाढ़ के जो हालात बने हैं, इनका मुख्य कारण पूर्व चेतावनी के 44 बांधों के गेट खोलना था। भारतीय जनता पार्टी की राज्य इकाई के अध्यक्ष पीएस श्रीधरन पिल्लई ने इसके लिए पिनराई विजयन सरकार की अदूरदर्शिता परिचय दिया है। इन मामलों में केरल राज्य बिजली बोर्ड (केएसईबी) के अध्यक्ष केपी श्रीधरन नायर ने आरोपों से इनकार करते हुए कहा कि बोर्ड की ओर से कोई लापरवाही नहीं बरती गई है। बांधों का प्रबंध केएसईबी के हाथों में है।

उन्होंने बताया कि बांधों के गेट चेतावनी देने के बाद ही खोले गए हैं। बांधों के गेट खोलने के लिए बोर्ड को दोष नहीं देना चाहिए, क्योंकि भारी बारिश के कारण ज्यादातर नदियां उफान पर थीं। उल्लेख है कि आपदा प्रबंधन स्टेट कंट्रोल रूम के अनुसार बाढ़ की वजह से 8 अगस्त की तारीख से अभी तक 231 लोग अपनी जान गंवा चुके, जबकि 32 लोग अभी भी लापता हैं। मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बताया था कि राज्य को करीब 20,000 करोड़ रुपए का नुकसान होना बताया था। प्रधानमंत्री और दो अन्य केंद्रीय मंत्रियों ने राज्य के लिए अब तक 680 करोड़ रुपए की अंतरिम सहायता की घोषणा कर चुके हैं।


ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे