18वें एशियन गेम्स : 36 खेलों में 572 भारतीय पेश करेंगे चुनौती, जानें...

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 18 अगस्त 2018, 1:37 PM (IST)

जकार्ता। राष्ट्रमंडल खेलों में मिली सफलता के बाद भारतीय खिलाडिय़ों के सामने शनिवार से शुरू हो रहे 18वें एशियाई खेलों में अपने प्रदर्शन को बेहतर करने की चुनौती है। अप्रैल में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित किए गए राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाडिय़ों ने बेहतरीन सफलता हासिल की थी और कई ऐतिहासिक उपलब्धियां अपने नाम दर्ज कराई थीं। पूरे देश को उम्मीद है कि चार साल में एक बार होने वाले इन एशियाई खेलों में उतरने वाले भारत के 572 खिलाड़ी उस सफलता को दोहराएंगे और इन खेलें में अब तक का अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन देंगे। इन खेलों की शुरुआत 1951 में नई दिल्ली से हुई थी।

जकार्ता इससे पहले 1962 में एशियाई खेलों के चौथे संस्करण की मेजबानी कर चुका है। अब उसके जिम्मे 18वें संस्करण की मेजबानी को सफल बनाने का दारोमदार है। जकार्ता के अलावा पालेमबांग में भी कई खेल आयोजित किए जाएंगे। 1962 में भारत ने जकार्ता में 52 पदक जीते थे जिसमें से 12 स्वर्ण, 13 रजत और 27 कांस्य पदक थे। इस संस्करण में भारत तीसरे स्थान पर रहा था। वहीं अगर पिछले तीन संस्करणों की बात की जाए तो भारत तीनों बार 50 से ज्यादा पदक लेकर आया है। 2006 में दोहा में आयोजित किए गए खेलों में भारत 53 पदकों के साथ आठवें स्थान पर था। इनमें से 10 स्वर्ण, 17 रजत और 26 कांस्य पदक थे।

चीन के गुआंगझाऊ में 2010 में हुए अगले संस्करण में भारत ने एशियाई खेलों में अभी तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। इस साल भारत ने कुल 65 पदक जीते थे जिसमें से 14 स्वर्ण, 17 रजत और 34 कांस्य पदक थे। 2010 में भारत छठे स्थान पर रहा था। इंचियोन में भारत ने 57 पदक अपने नाम करते हुए आठवां स्थान हासिल किया। इस साल भारत ने 11 स्वर्ण, 10 रजत और 36 कांस्य पदक जीते थे। इस बार भी भारतीय दल की कोशिश ज्यादा से ज्यादा पदक जीतने की होगी। शनिवार को यहां के जकार्ता के जीबीके स्टेडियम में होने वाले उद्घाटन समारोह से खेलों का औपचारिक तौर पर आगाज होगा जबकि रविवार से कई कई खेलों की स्पर्धाओं की शुरुआत होगी।

उद्घाटन समारोह में भाला फेंक खिलाड़ी नीरज चोपड़ा तिरंगा थामे भारतीय दल की अगुआई करेंगे। नीरज ने राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था। एशियाई खेलों में भी वे भारत की पदक की उम्मीद हैं। भारत 36 खेलों में हिस्सा ले रहा है। आईओए ने एथलेटिक्स से सबसे अधिक 52 प्रतिभागियों को जकार्ता भेजने की घोषणा की है। एशियाई खेलों में इस बार आठ और नए खेलों को शामिल किया गया है।

बैडमिंटन में 20 और साइक्लिंग में 15 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे जबकि कुश्ती में 18, निशानेबाजी में 28 और टेनिस से 12 खिलाड़ी हैं। इसके अलावा तीरंदाजी में 16, हॉकी में 36, बास्केटबाल में 12, हैंडबाल में 16, कबड्डी में 24, वुशू में 13, टाइवांडो में पांच, जूडो में छह कराटे में दो, मुक्केबाजी में 10, जिम्नास्टिक में 10, शतरंज में आठ, टेबल टेनिस में 10, भारोत्तोलन में पांच और गोल्फ में 10 खिलाड़ी हिस्सा लेंगे। भारत की पदक की उम्मीदों की बात की जाए तो नीरज के अलावा पहलवान सुशील कुमार, साक्षी मलिक, बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट से भारत को पदकों की उम्मीद हैं।

वहीं मुक्केबाजी में पुरुषों में शिव थापा, विकास कृष्णा के ऊपर भारत का दारोमदार रहेगा। विकास के पास एशियाई खेलों में दो स्वर्ण जीतने वाले पहले भारतीय मुक्केबाज बनने का मौका है। वह 2010 में स्वर्ण पदक अपने नाम कर चुके हैं। महिला वर्ग में भारत की तीन मुक्केबाज हिस्सा ले रही हैं, जिनमें से सोनिया लाठर (57 किलोग्राम भारवर्ग) में से पदक की सबसे ज्यादा उम्मीद है।


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निशानेबाजी में युवाओं पर दारोमदार रहेगा। मनु भाकेर, अनीश भानवाल जैसे दो युवा खिलाड़ी इन खेलों में पदक जीतने का माद्दा रखते हैं। वहीं अनुभवी खिलाडय़िों में संजीव राजपूत भारत की झोली में लगातार तीन खेलों में पदक डालते आ रहे हैं। बैडमिंटन में पी.वी. सिंधु, सायना नेहवाल और किदाम्बी श्रीकांत के ऊपर बड़ी जिम्मेदारी है। वहीं राष्ट्रमंडल खेलों में देश के टेबल टेनिस खिलाडय़िों खासकर मनिका बत्रा ने पदक जीतते हुए इतिहास रचा था। इन खेलों में भी टेबल टेनिस खिलाड़ी एक और इतिहास रचने के इरादे से उतरेंगे।

हॉकी की पुरुष टीम मौजूदा विजेता के तौर पर उतर रही है। हालिया फॉर्म को देखते हुए बहुत संभावना है कि पी.आर. श्रीजेश की कप्तानी वाली टीम अपने स्वर्ण को साथ ही लेकर लौटेगी। वहीं महिला टीम 1958 में एकमात्र स्वर्ण पदक जीतने में सफल रही है। पिछले संस्करण में उसके हिस्से कांसा आया था। रानी रामपाल की कप्तानी वाली टीम इस बार पदक का रंग बदलने की कोशिश में होगी।

कबड्डी एक ऐसा खेल है जिसमें भारत का शुरू से दबदबा रहा है। इस खेल में भारत का स्वर्ण लगभग पक्का है। हाल ही में आईएएएफ अंडर-20 चैम्पियनशिप में स्वर्ण पदक जीत इतिहास रचने वाली फर्राटा धावक हिमा दास पर भी सबकी निगाहें होंगी। असम की रहने वाली हिमा 400 मीटर में भारत की पदक की सबसे बड़ी उम्मीद हैं।

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