संजय सैनी
जयपुर। पूर्व प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी को जयपुर का कलाकंद और घेवर काफी पसंद था। अक्सर वार त्यौहार पर ये दोनों मिठाईयां भेजी जाती थी। उनकी भगवान गणेश जी में गहरी आस्था थी। उन्हें खासतौर पर जयपुर से काफी लगाव था। इसका कारण उनके साथ साये की तरह साथ रहने वाला एक शख्स था जिस पर उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी थी। ये शख्स और कोई नहीं शिवकुमार पारीक है जो आज तक भी 60 साल से उनके साथ है। उनकी अंतिम यात्रा की जिम्मेदारी संभाल रखी है।
ऐसे में हुआ था जुड़ाव
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शिवकुमार पारीक का जुड़ाव अटल बिहारी वाजपेयी से 1957 में हुआ। पूर्व
प्रधानमंत्री और भारत रत्न अटलबिहारी वाजपेयी
1957 में पहली बार लोकसभा का चुनाव जीतकर संसद पहुंचे थे। उनकी ख्याति
दिनों दिन बढ़
रही थी और जल्द ही वो देश की राजनीति के उभरते सितारे बन चुके थे। इस
दौरान जनसंघ के संस्थापक श्यामा प्रसाद मुखर्जी की मुगलसराय स्टेशन पर
रहस्यमय हालत में मौत हो गई थी। इससे सब स्तब्ध थे। इसी दौरान किसी ने
सुझाव दिया कि वाजपेयी को एक ऐसे सहयोगी
की जरूरत है, जो उनकी रक्षा भी करे।
ऐसे तलाश पूरी हुई
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इसके
बाद खोजबीन शुरू हुई एक ऐसे शख्स की जो वाजपेयी की सुरक्षा, उनके खानपान
का जिम्मा संभाल सके। काफी तलाश के बाद नानाजी देशमुख ने जयपुर के शिवकुमार
पारीक का नाम सुझाया। शिवकुमार आरएसएस के हार्डकोर स्वयंसेवक थे। अपने
गठीले शरीर और रौबीली मूंछों के कारण वह औरों से अलग दिखते थे। व्यवहार के
कारण सबके प्रिय
भी थे। रौबदार व्यक्तित्व के धनी, करीब छह फुट लंबे और घनी मूंछों वाले,
भगवान
शंकर के परम भक्त शिवकुमार वाजपेयी के किसी भी बॉडीगार्ड से कम नहीं थे।
उच्च शिक्षित थे शिवकुमार
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शिवकुमार
के पुत्र महेश पारीक ने खासखबर से विशेष बातचीत में बताया कि पिताजी उस
समय उच्च शिक्षित थे। BA, MA, LLB करने के बाद राजस्थान बैंक की नौकरी में
थे। वाजपेयी के साथ रहने का बुलावा आने पर शिवकुमार ने नौकरी छोड़ी और
बोरिया
बिस्तर लेकर उनके पास चले गए। उन्होंने 1965 में वाजपेयी के निजी सहायक के तौर पर साथ शुरू किया
जिसे आज तक निभा रहे हैं। महेश बताते है कि उनके पिता शिवकुमार मानते है
कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सहायक के तौर पर
वाजपेयी के साथ बिताए पल अविस्मरणीय हैं।
घेवर और कलाकंद सबसे ज्यादा पसंद था
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अटल
बिहारी वाजपेयी मिठाईयों के शौकीन थे। उन्हें जयपुर का कलाकंद और घेवर
काफी पसंद था, जब भी जयपुर आते तो यह दोनों मिठाईयां शौक से मंगा कर खाते
थे। इसके साथ ही भगवान गणेशजी में वाजपेयी की गहरी आस्था थी। अपने मित्रों
और मेहमानों को देने के लिए खजाने वालों के रास्ते से उनके लिए छोटी गणेशजी
की मूर्तियां भेजी जाती थी। जयपुर की रजाईयां भी उन्हें काफी पसंद थी।
मित्रों को भेंट देने के लिए खासतौर पर चौड़ा रास्ता से ये रजाईयां उन्हें
भेजी जाती थी।
वाजपेयी के सच्चे हमदर्द
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शिवकुमार को वाजपेयी के निजी सहायक के तौर पर जाना जाता है, लेकिन वह
इससे कहीं बढ़कर रहे हैं। बलरामपुर के अलावा वे वाजपेयी के हर चुनाव में
उनके चुनाव एजेंट रहे और सुख-दुख के साथी. दर्जनों तस्वीरें गवाह हैं कि
राज्य के प्रखर राजनीतिज्ञ दिवगंत भैंरो सिंह शेखावत के साथ ही अटल बिहारी
वाजपेयी का राजस्थान से जुड़ा कोई और सच्चा हमदर्द रहा है तो वह हैं
शिवकुमार.
पारिवारिक सदस्य की तरह निभाई जिम्मेदारी
शिवकुमार केवल अटल बिहारी वाजपेयी के निजी सहायक के बतौर ही नहीं, बल्कि
उनके हर राजनीतिक उतार-चढ़ाव के साक्षी रहे। उनकी अनुपस्थिति में सालों तक
शिवकुमार ने ही लखनऊ संसदीय क्षेत्र को संभाला। वाजपेयी के स्वस्थ रहने तक
उनके हर पारिवारिक कार्यक्रम में वे शरीक हुए। आज भी जब वाजपेयी अस्वस्थता
के
कारण राजनीतिक और सामाजिक जीवन में सक्रिय नहीं हैं तो शिवकुमार ही उनके
जीवन की दिनचर्या संभाल रखी है। ठीक एक पारिवारिक सदस्य की तरह। शुरू से
लेकर उनकी अंतिम यात्रा के साक्षी रहे हैं शिवकुमार।
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