मुंबई में केद्रीय योजना की दवा खाने से छात्रा की मौत, 161 अस्पताल में भर्ती

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 10 अगस्त 2018, 9:56 PM (IST)

मुंबई। बीएमसी द्वारा संचालित एक विद्यालय में दवा की खुराक लेने के बाद एक छात्रा की मौत हो गई और इससे कम से कम 161 विद्यार्थी बीमार हो गए। अधिकारियों ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। बीएमसी आपादा नियंत्रक के अधिकारियों ने कहा कि पीडि़ता की पहचान 12 वर्षीय चांदनी मोहम्मद शेख के रूप में हुई है। वह पूर्वी मुंबई के गोवंडी उपनगर की निवासी थी और संजय नगर बीएमसी स्कूल नंबर 2 में पढ़ती थी। जैसे ही चांदनी की मौत की खबर फैली, बैंगनवाड़ी इलाके में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया। पेट दर्द, उल्टी और चक्कर की शिकायत करने वाले अन्य 161 विद्यार्थियों को शहर के विभिन्न अस्पतालों में भर्ती कराया गया।

बीएमसी की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी पद्मजा केसकर ने अपनी रपट में कहा है कि चांदनी को केंद्र सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत टेबलेट दिया गया था। केसकर ने अपनी रपट में कहा कि उसे छह अगस्त को टेबलेट दिया गया था। वह अगले दिन विद्यालय से अनुपस्थित रही, लेकिन आठ और नौ अगस्त को विद्यालय आई थी। नौ अगस्त की रात उसने उल्टी की और उसके बाद उसकी मौत हो गई। घाटकोपर के राजावाड़ी अस्पताल और गोवंडी के शताब्दी अस्पताल में जिन विद्यार्थियों को भर्ती कराया गया था, उनमें से 35 को निगरानी में रखा गया है, जबकि अन्य को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। चांदनी के माता-पिता ने अपनी बेटी की मौत के लिए बीएमसी के अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराया है।

पीडि़ता के पिता शाहिद अली शेख ने बताया कि ये टेबलेट अच्छे नहीं थे। प्रत्येक वर्ष, विद्यालय हमसे हमारे बच्चों को कोई भी दवा या सूई देने से पहले अनुमति लेता था। लेकिन इस बार ऐसा नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि दवाई लेने के बाद उसने पेट व छाती में दर्द की शिकायत की थी।


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शेख ने कहा कि पहले डॉक्टरों ने कहा कि यह कफ है और एक्सरे किया। बाद में उसने उल्टी शुरू कर दी और उसकी मौत हो गई। बीएमसी ने कहा कि पीडि़ता के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है और मौत के वास्तविक कारणों का पोस्टमार्टम के बाद ही पता चल पाएगा कि क्या उसे पहले से कोई रोग था। केंद्रीय योजना के अंतर्गत पूरे देश में ऑयरन, फॉलिक एसिड और कृमि का टेबलेट दिया जाता है, लेकिन कहीं से भी किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना की खबर नहीं आई थी।

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