राजीव हत्याकांड : केन्द्र ने SC से कहा, दोषियों को रिहा करना खतरनाक

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 10 अगस्त 2018, 2:16 PM (IST)

नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार ने सात दोषियों की रिहाई का विरोध किया है। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल रिपोर्ट में कहा है कि वो तमिलनाडु सरकार के सातों दोषियों की रिहाई के प्रस्ताव से असहमत है। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, सरकार ने शीर्ष अदालत से कहा कि दोषियों को रिहा करना खतरनाक होगा। इससे खतरनाक उदाहरण स्थापित होगा।

SC ने केन्द्र सरकार को दिया फैसले का हक...

गौरतलब है कि राजीव गांधी के हत्यारों की रिहाई के मामले में सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा है। पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार तमिलनाडु सरकार की चिट्ठी पर तीन महीने में फैसला करने को कहा था। कोर्ट ने कहा था कि 9 फरवरी 2014 की राज्य सरकार की चिट्ठी पर केंद्र फैसला करे। 25 साल से सात दोषी जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं।

2016 में तमिलनाडु सरकार ने माफी देने के लिए लिखा पत्र...


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2016 में तमिलनाडु सरकार ने माफी देने के लिए लिखा पत्र...
तमिलनाडु सरकार ने मई 2016 में राजीव गांधी हत्याकांड में सातों अभियुक्तों को माफी देने के लिए केंद्र सरकार को सिफारिशी पत्र लिखा था। साथ ही सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाई थी। इसके बाबत कुछ दिन पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार से सातों दोषियों को छोडऩे पर जवाब मांगा था।

सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि 6 हफ्तों के भीतर केंद्र सरकार सातों अभियुक्तों को माफी देने पर फैसला करे। साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मोदी सरकार तमिलनाडु सरकार के पत्र का जवाब जल्द से जल्द जवाब दे।

हमले में हुई थी राजीव गांधी की हत्या...

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हमले में हुई थी राजीव गांधी की हत्या...
गौरतलब है कि राजीव गांधी की 21 मई, 1991 को तमिलनाडु के श्रीपेरम्बदूर में एक चुनाव रैली के दौरान आत्मघाती हमले में हत्या कर दी गई थी। यह फिदायीन हमले की संभवत: पहली घटना थी। इस मामले में श्रीहरन उर्फ मुरुगन, टी सुंदराजा उर्फ संथम, ए जी पेरारिवलन उर्फ अरविू, जयकुमार, रॉबर्ट पायस, पी रविचंद्रन और नलिनी को 25 साल जेल की सजा सुनाई गई।

सुप्रीम कोर्ट ने 18 फरवरी, 2014 को तीन दोषियों मुरुगन, संथम और पेरारिवलन की मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था। शीर्ष अदालत ने उनकी दया याचिका के निपटारे में देरी के आधार पर यह फैसला दिया था।

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