सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा, व्यभिचार विवाह संस्थान के लिए खतरा बन जाएगी

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 08 अगस्त 2018, 7:10 PM (IST)

नई दिल्ली। केन्द्र की मोदी सरकार ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय में व्यभिचार की धारा को चुनौती देने वाली याचिका की सुनवाई की दौरान अपना पक्ष रखते हुए कहा कि व्यभिचार विवाह संस्थान के लिए खतरा बन जाएगी। सरकार ने कहा कि परिवारों पर इसका प्रभाव पड़ेगा।

केंद्र सरकार का एडिशनल सॉलिसिटर जनरल पिंकी आंनद अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हमें आज वर्तमान में समाज में हो रहे बदलाव और विकास के हिसाब से कानून को देखने की आवश्यकता है। हमें पश्चिम की देशों के नजरिए से इस प्रकार के कानून पर राय देने की जरूरत है। आईपीसी की धारा 497 में 158 साल पुरानी है ।

यह धारा बताती है कि अगर कोई शादीशुदा पुरुष किसी अन्य शादीशुदा महिला के साथ आपसी रजामंदी से शारीरिक सम्बंध बनाता है तो उस महिला का पति व्यभिचार के नाम पर उस व्यक्ति के विरोध में केस दर्ज करा सकता है । ऐसी स्थिति में पुरूष अपनी पत्नी के खिलाफ कोई कार्रवाई कर नहीं सकता है। साथ ही उस सम्बंध में लिप्त पुरुष की पत्नी इस दूसरी महिला के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं कर सकती है।

इस धारा में यही प्रावधान है कि विवाहेतर सम्बंध में लिप्त पुरुष के खिलाफ केवल उसकी साथी महिला का पति ही मामला दर्ज कर कार्रवाई करने का हकदार है, किसी दूसरे रिश्तेदार अथवा करीबी की शिकायत पर ऐसे पुरुष के खिलाफ कोई शिकायत नहीं करने का हकदार नहीं हो सकता है।

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उल्लेख है कि आपसी मर्जी से शादी-शुदा पुरुष महिला के बीच शारीरिक सम्बंध बन जाते हैं। उनको अपराध की श्रेणी में रखने वाली इस धारा के खिलाफ उच्चतम न्यायालय में याचिका दायर की गई थी, इस पर सुनवाई चल रही है और केंद्र सरकार ने याचिका के खिलाफ जाकर मौजूदा धारा का समर्थन किया है।

उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि वैवाहिक पवित्रता एक मुद्दा है लेकिन व्यभिचार पर दंडात्मक प्रावधान संविधान के तहत समानता के अधिकार का प्रत्यक्ष रूप से हनन है क्योंकि यह विवाहित पुरूष और विवाहित महिलाओं से अलग-अलग व्यवहार करना चाहिए।

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