चंबल के बीहड़, इन्होंने बंदूक तो पहले ही छोड़ दी, अब मदिरा भी छोड़ी, ये है वजह

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 08 अगस्त 2018, 2:30 PM (IST)

धौलपुर। राजस्थान का धौलपुर जिला, चंबल घाटी। नाम सुनते ही सिहर उठते थे लोग। डेढ दशक पहले तक यहां डकैतों की फौज सक्रिय हुआ करती थी। चंबल घाटी में कुख्यात डकैत निर्भय गुर्जर, रज्जन गुर्जर, रामवीर गुर्जर, अरविंद गुर्जर, सलीम गुर्जर और जगन गुर्जर जैसे डकैतों का खासा आतंक रहा है। इन डाकुओं के आतंक से पूरी गुर्जर जाति पर सवाल उठाने शुरू हो गए थे। इन दुर्दांत दस्युओं की वजह से यहां रहने वाला पूरा गुर्जर समुदाय भी हमेशा शक के घेरे में रहने लगा था। हर आदमी को पुलिस डाकू समझ कर काम करती थी। लेकिन अब ऐसा नहीं है। अब यहां सभी लोग लगभग संत जैसे हो गए हैं। जिनके हाथों में कभी बंदूक हुआ करती थी, वे बंदूक तो पहले ही छोड़ चुके थे, अब मदिरा को भी अलविदा कह चुके हैं।

चकरनगर समेत जिले के 22 गांव के गुर्जर समाज के लोगों ने न सिर्फ शराब को तौबा कह दी बल्कि बारात में बैंड और आतिशबाजी पर भी पूरी तरह रोक लगा दी।

शराब पी तो जुर्माना, सूचना देने वाले को इनाम


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शराब पी तो जुर्माना, सूचना देने वाले को इनाम

यही नहीं शादी में दहेज, चढ़ावा और तेरहवीं भी सीमित दायरे में कर दी है। इसके अलावा शराब पीने वाले पर जुर्माना और पकड़ाने वाले को इनाम का भी नियम बनाया गया है । गुर्जर समाज के उक्त संदेश ने समाज को एक नई दिशा दी है। गुर्जर समाज के अहम लोगो ने एक शर्त भी रखी गई है कि यदि गांवों में कोई भी गुर्जर समाज का व्यक्ति शराब पीए हुए पकड़ा जाता है तो उसे 11 हजार रुपये का जुर्माना कमेटी को देना होगा ।

शराब पीने वाले की सूचना देने वाले युवक को भी एक हजार रुपये का इनाम दिया जाएगा वहीं सिर्फ तीन बार ही जुर्माना स्वीकार किया जाएगा। इसके बाद उसे समाज से बहिष्कृत कर दिया जाएगा फिर समाज का कोई भी व्यक्ति न उसके घर पर अपनी बेटी की शादी करेगा और न ही उसकी बेटी को अपनी बहू बनाएगा। इस अनूठी पहल को सफल बनाने के लिए कमेटी बनाई गई है, जिसके सदस्य गांव गांव जाकर संदेश दे रहे हैं। सिर्फ शराब को तौबा कहने के साथ साथ बारात में बैंड और आतिशबाजी पर भी पूरी तरह रोक लगा दी।

न्यूज एजेंसी वार्ता की खबर के मुताबिक करीब डेढ दशक पहले तक डाकुओं की शरणस्थली के तौर पर कुख्यात रही चंबल घाटी में गुर्जर समुदाय से जुडे डाकुओं ने अब परिवार की भलाई के लिए शराब को भी तिलांजलि दे प्रगतिशील जीवन की शुरूआत की है।

इनके उपदेशों का पड़ा असर


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इनके उपदेशों का पड़ा असर

गुर्जर विकास परिषद के उपाध्यक्ष रघुवीर सिंह गुर्जर बाबा बताते हैं कि राजस्थान धौलपुर के मौरौली गांव निवासी संत शिरोमणि 1008 श्रीहरिगिरि महाराज के उपदेश का लोगों के दिलो-दिमाग पर गहरा सद्असर पड़ा है। समाज के लोगों ने खुद को शराब से दूर रखने की शपथ ली है। संत के समक्ष ली गई शपथ का व्यापक असर होता दिखाई दे रहा है। मध्यप्रदेश के भिंड,मुरैना और ग्वालियर जिलो में भी संत की शपथ को आत्मसात करना लोगों ने शुरू कर दिया है।

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चंबल इलाके में जमकर प्रंशसा

गुर्जर बाबा ने बताया कि इलाके में गुर्जर जाति के 42 प्रभावी गांव हैं। सभी जगह संत की शपथ पर काम करने के लिए समाज के सैकडों की तादाद में युवा सक्रिय बने हुए हैं। इस वर्ग के इस निर्णय की चंबल इलाके में जमकर प्रंशसा की जा रही है क्योंकि गुर्जर समाज के डाकुओ के आंतक के राज में समाज के हर व्यक्ति को शक की नजर से ना केवल देखा जाता रहा है बल्कि उसकी भूमिका भी डाकू जैसी ही मानी जाती रही है।

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