नई दिल्ली। भारतीय टीम के दाएं हाथ के बल्लेबाज लोकेश राहुल का कहना है कि वे आज जो कुछ भी हैं वो अपने माता-पिता द्वारा दी गई सीख और संस्कारों के कारण हैं, जिन्होंने हमेशा उन्हें एक अच्छा इंसान बनने के लिए प्रेरित किया। राहुल का कहना है कि उनके पिता उनसे कहते थे कि जीवन में चाहे जो भी करो, सबसे पहले एक अच्छा इंसान जरूर बनो। राहुल ने ऑनलाइन मैग्जीन मैन्स एक्सपी को दिए साक्षात्कार में क्रिकेट से इतर अपनी निजी जिंदगी के बारे में बात की।
राहुल ने अपने परिवार के बारे में कहा, मेरे दादा-दादी उस समय के थे, जब जिंदगी काफी आसान और सरल होती थी। मेरे दादाजी एक साधारण इंसान थे। वे पारिवारिक इंसान थे। यह उनकी पीढ़ी के हिसाब से था। उनकी ज्यादा बड़ी ख्वाहिशें नहीं थीं। वे काफी मेहनत करते थे। अपने बच्चों के लिए उन्होंने अपने सपने न्यौछावर कर दिए थे।
राहुल ने अपने पिता के बारे में बताया, जब हम लोग बड़े हो रहे थे तब मेरे पिता काफी अनुशासित और कडक़ मिजाज के थे, लेकिन उन्होंने मुझे हमेशा एक पेशेवर क्रिकेट खिलाड़ी बनने और भारत के लिए खेलने के लिए प्रेरित किया। वे खुद कॉलेज में क्रिकेट खेले थे। वे भी खेल को लेकर जुनूनी थे। एक एकेडमियन होने के बाद भी उन्होंने मुझे क्रिकेट खेलने के लिए समर्थन दिया।
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राहुल ने कहा कि उनके माता-पिता ने उनको अपनी जिंदगी के फैसले लेने की खुली
छूट दी और एक अच्छा इंसान बनने की सीख दी। बकौल राहुल, मेरे पिता मेरे
दादाजी के जैसे थे, लेकिन बड़ा अंतर यह था कि मेरे पिता ने मुझे और मेरी
बहनों को अपने हिसाब से जिंदगी जीने की छूट दी थी। ऐसा नहीं है कि मेरे
दादाजी ने नहीं दी थी, लेकिन उस समय बड़े लोग ही अपने बच्चों की जिंदगी के
अहम फैसले लिया करते थे।
मेरे पिता ने हमेशा मुझे सिखाया कि जिंदगी में कुछ
भी करो, लेकिन एक अच्छा इंसान बनो। यह बात उन्होंने हमें बचपन से सिखाई।
उन्होंने कहा, मेरे माता-पिता ने हर किसी चीज से पहले एक अच्छा इंसान बनने
की सीख दी और यही मेरे जिंदगी का आधार था, लेकिन साथ ही मैंने अपने जिंदगी
के अनुभवों से भी काफी कुछ सीखा। राहुल इस समय भारतीय टीम के साथ इंग्लैंड
दौरे पर हैं और एजबेस्टन में खेले जा रहे पहले टेस्ट मैच में टीम का हिस्सा
हैं।
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