जानिए, सावन के महीने में नई शादीशुदा महिलाएं क्यों चली जाती हैं मायके!

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 31 जुलाई 2018, 3:15 PM (IST)

सावन का महीना शुरू हो चुका है। कहा जाता है कि सावन का महिना हिन्दू धर्म के लिए बहुत पावन होता है, इस महीने से अगले चार महीनों के लिए ढेरों तीज त्यौहार शुरू हो जाते है। सावन के महीने में कजरी तीज, हरियाली तीज, मधुश्रावणी, नाग पंचमी जैसे त्यौहार मनाए जाते हैं। वहीं दूसरी और भारतीय संस्कृति के रीति-रिवाज के मुताबिक, भगवान शिव के लिए सावन का महीना काफी अप्रिय है। इस महीने का संबंध पूर्ण रूप से शिव जी से माना जाता है।

इसी महीने में समुद्र मंथन हुआ था और भगवान शिव ने हलाहल विष का पान किया था। हलाहल विष के पान के बाद उग्र विष को शांत करने के लिए भक्त इस महीने में शिव जी को जल अर्पित करते हैं। इस पूरे महीने में लोग भगवान शिव की जमकर अराधना करते हैं।

इस पूरे महीने में चारों ओर भोलेनाथ के नाम की गूंज रहती है। शिव भक्तों के लिए यह महीना एक बड़े त्योहार की तरह होता है। इस महीने में लोग व्रत करते हैं, शिव की पूजा करते हैं और ज्योतिष उपायों से अपने भविष्य को संवारने की कोशिश करते हैं।

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सावन के महीने में महिलाएं क्यों जाती है मायके...
हालांकि ऐसी मान्यता है कि सावन के महीने में नवविवाहिता स्त्रियों को अपने मायके भेज दिया जाता है। धार्मिक और लोकमान्यताओं के अनुसार ऐसा करने से पति की आयु लंबी होती है और दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है।

धार्मिक मान्यताओं को आयुर्वेद भी स्वीकार करता है लेकिन इसका अपना वैज्ञानिक मत है। आयुर्वेद के अनुसार सावन के महीने में मनुष्य के अंदर रस का संचार अधिक होता है जिससे काम की भावना बढ़ जाती है। मौसम भी इसके लिए अनुकूल होता है जिससे नवविवाहितों के बीच अधिक सेक्स संबंध से उनके स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ सकता है।

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सुख-समृद्धि चाहिए तो सावन में महिलाएं करें ये काम...
विशेषज्ञ भी मानते हैं कि सावन के महीने में पुरुषों को ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए शुक्राणुओं का संरक्षण करना चाहिए।

वहीं आयुर्वेद में लिखा है कि इस महीने में गर्भ ठहरने से होने वाली संतान शारीरिक और मानसिक रूप से कमजोर हो सकती है। इसलिए ही भारतीय संस्कृति में पर्व त्योहार की ऐसी परंपरा बनाई गई है ताकि सावन के महीने में नवविवाहित स्त्रियां मायके में रहे।

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इसके साथ ही सावन के महीने में शिव की पूजा के पीछे भी यही कारण है कि व्यक्ति काम की भावना पर विजय पा सके। भगवान शिव काम के शत्रु हैं।

कामदेव ने सावन में ही शिव पर काम का बाण चलाया था, जिससे क्रोधित होकर शिव जी ने कामदेव को भस्म कर दिया था।

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