सदी का सबसे लंबा चन्द्रग्रहण आज, ये रखें सावधानियां

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 27 जुलाई 2018, 07:58 AM (IST)

नई दिल्ली। 27 जुलाई 2018 दिन शुक्रवार की मध्यरात्रि में सदी का सबसे लंबा चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है। ये चंद्र ग्रहण सबसे प्रभावशाली होगा। इस चन्द्रग्रहण को 21वीं सदी का सबसे लंबा चन्द्रग्रहण बताया जा रहा है। इस दिन ‘गुरु पूर्णिमा’ भी है। यह ग्रहण रात 11 बजकर 54 से शुरू होकर अगले दिन 28 जुलाई सुबह 3 बजकर 49 तक रहेगा, यानी यह पूर्ण चंद्र ग्रहण 1 घंटे 48 मिनट तक बना रहेगा।

इस बार का चन्द्रग्रहण काफी खास है क्योंकि इस चन्द्रग्रहण में चांद आम दिनो की तरह सफेद नहीं दिखेगा बल्कि यह सुर्ख लाल दिखाई देगा। इसे ब्लड मून भी कहते हैं। इस साल दो चन्द्रग्रहण हैं। इस बार का चन्द्रग्रहण काफी खास है क्योंकि इस चन्द्रग्रहण में चांद आम दिनो की तरह सफेद नहीं दिखेगा बल्कि यह सुर्ख लाल दिखाई देगा। धरती पर चन्द्रग्रहण हर उस जगह से दिखेगा जहां चन्द्रग्रहण के समय रात होगी। अच्छी बात यह है कि इस बार का चन्द्रग्रहण भारत में भी कई स्थानों से दिखेगा।

ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे

शास्त्रों के अनुसार चंद्र ग्रहण का सबसे अधिक असर गर्भवती स्त्रियों पर पड़ता है। ऐसे में ग्रहण के सूतक काल के दौरान गर्भवती स्त्रियों को कई तरह के कार्य करने से बचना चाहिए, नहीं तो इससे न केवल उनके स्वास्थ पर बुरा असर पड़ सकता है बल्कि गर्भ में पल रहे शिशु पर भी खतरा मडऱा सकता है।

आइये जानते हैं चंद्र ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को कौन सी सावधानी बरतनी चाहिए।
ज्योतिषों के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि ग्रहण के वक्त खुले आकाश में ना निकलें, खासकर प्रेग्नेंट महिलाएं, बुजुर्ग, रोगी और बच्चे। ग्रहण से पहले या बाद में ही खाना खाएं।

ये भी पढ़ें - खौफ में गांव के लोग, भूले नहीं करते ये काम

इस ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलायें चंद्रमा को ना देखें, शरीर को ढक कर रखें और अच्छा होगा खुले अंग पर गेरू का लेप करें। लोग पैर पर पैर चढ़ा कर ना बैठें। ग्रहण की अवधि सो कर नहीं वरन भजन आदि करते हुए जाग कर बिताएं। मशीन, सुई तागे का काम ना करें।

ये भी पढ़ें - क्या आपकी लव लाइफ से खुशी काफूर हो चुकी है...!

भगवान का स्मरण करें पर जोर जोर से बोल कर नहीं मन ही मन में ध्यान करें। मूर्ति का स्पर्श ना करें और ना ही ताले खोलें।

भोजन ना करें और तैयार खाने में कुशा या तुलसी की पत्ती डाल कर ही रखें। ग्रहण का मोक्ष होने के पश्चात स्नान करें, भगवान का मंदिर साफ करके उन्हें स्नान करायें, भोग लगायें और दान पुण्य करने के बाद ही भोजन करें।

ये भी पढ़ें - इस पत्थर से दही जमाते हैं गांव के लोग