फिल्म: धड़क
निर्देशक: शशांक खेतान
स्टार कास्ट: ईशान खट्टर, जाह्नवी कपूर ,आशुतोष राणा
अवधि: 2
घंटा 17
मिनट
रेटिंग: 3
स्टार
दिल की
धड़क से
ज्यादा यहां
उस समाज
की धड़क
को सहना
पड़ता है
जहां आज
भी प्यार करने वालों को सिर्फ नफरत मिलती है। निर्देशक शशांक खेतान ने भले
ही सैराट की ब्लॉकबस्टर बनाई हो
लेकिन फिल्म कुछ हद
तक अलग
है। फिल्म की
कहानी सैराट के जैसे
ही है
लेकिन इसका
अंजाम थोड़ा अलग हटकर
है।
फिल्म का पहला
भाग थोड़ा धीमा है
लेकिन इंटरवल के बाद
कहानी तेज
रफ्तार में
आगे बढ़ती नजर आती
है। जिस
तरह से
निर्देशक ने
उदयपुर और
कोलकाता को
अपने कैमरे में कैद
किया है उसकी तारीफ करनी
होगी।
जाह्नवी और ईशान
के साथ-साथ आशुतोष राणा और
फिल्म में
ईशान खट्टर के दोस्त बने कलाकारों ने बहुत
बढ़िया काम
किया है।
जाह्नवी कपूर
की यह
पहली फिल्म है जिसमें कई
ऐसी जगह
हैं जहां
उनका अभिनय देखकर आपको
श्रीदेवी की
याद आ
जाएगी।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
कहानीफिल्म की
कहानी कॉलेज फर्स्ट ईयर
में पढ़
रहे एक
ऐसे प्रेमी जोड़े की
जो अपने
प्यार को
अपने परिवार और समाज
से ऊंचा
समझते हैं।
मधुकर बागला (ईशान खट्टर) और पार्थवी (जाह्नवी कपूर)
उदयपुर के
एक ही
कॉलेज में
पढ़ते हैं।
पार्थवी उदयपुर के एक
बड़े घराने से तालुल्क रखती हैं
और उनके
पिता (आशुतोष राणा) आने
वाले चुनाव में अपनी
जीत की
तैयारी में
लगे होते
हैं।
वहीं मधुकर उदयपुर के
एक छोटे
लेक साइड
रेस्तरां के
मालिक का
बेटा है।
वह एक
छोटे से
घर में
अपने माता-पिता और
दो दोस्तों के साथ
रहता है।
दोनों दोस्त मधु के
पिता के
रेस्तरां में
हाथ बटाते हैं। धड़क
की शुरुआती कहानी बिल्कुल वैसी है
जैसे की
किसी साधारण सी लव
स्टोरी की
होती है।
बड़े अमीर
घर की
बेटी और
सामान्य घर
का लड़का दोनों एक
दूसरे के
प्यार में
कुछ ऐसे
पड़ जाते
हैं कि
उन्हें कोई
नजर नहीं
आता।
कहानी की शुरुआत में ही
दिखाया गया
है कि
मधु पार्थवी के
प्यार में
एकतरफा पागल
है। वह
अपने सपने
में भी
पार्थवी को
ही देख
रहा है।
सपने से
बाहर आते
ही उसके
दोस्त उसे
याद दिलाते हैं कि
उसे खाने
पीने की
एक प्रतियोगिता में हिस्सा लेना है
जहां जीतने वाले को
पार्थवी खुद
अपने हाथों से पुरस्कार देगी। बस
और क्या
था पार्थवी का नाम
सुनते ही
मधुकर के
पूरे शरीर
में करेंट दौड़ने लगता
है और
वह इस
लालच में
प्रतियोगिता जीत
भी जाता
है। इसके
बाद ही
शुरू होती
है दोनों की सिंपल सी लव
स्टोरी।
ये भी पढ़ें - कैसे शुरू किया था मशहूर सिंगर सोनू ने अपना सफर
वहीं फिल्म की कमजोरियों की
बात करें
तो फिल्म की कहानी की तुलना अगर आप
मराठी फिल्म सैराट से
करेंगे तो
शायद यह
फिल्म आप
की आशाओं पर बिल्कुल खरी नहीं
उतरेगी। शशांक खेतान ने
स्क्रीनप्ले में
कई बड़े
बदलाव किए
हैं। फिल्म का टाइटल ट्रैक बहुत
शानदार है
लेकिन जिन
लोगों ने
सैराट के झिंगाट को
मराठी में
सुना है
उन्हें शायद
ये हिंदी में पसंद न
आए।
फिल्म में रोमांस के साथ-साथ ऑनर
किलिंग जैसे
मुद्दे को भी ध्यान दिलाने की कोशिश की गई
है लेकिन कई ऐसी
जगह हैं
जहां पर
दर्शक के
तौर पर
शायद आपको
इमोशन कम
नजर आएं।
मराठी फिल्म 'सैराट'
को लगभग
4 करोड़ के
बजट में
बनाया गया
था जबकि
धड़क की
लागत 55 करोड़
बताई जा
रही है।
अब देखना ये होगा
कि ये
बॉक्स ऑफिस
पर कितना कमाल दिखा
पाती है।
ये भी पढ़ें - इसलिए आनन फानन में शादी करने का फैसला लिया अभिनेत्री रिया सेन ने