‘पाठ्यक्रम ऐसा हो, जिससे डिप्लोमा लेकर निकलने वाले युवाओं को तत्काल मिले रोजगार’

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 19 जुलाई 2018, 6:15 PM (IST)

जयपुर। राजस्थान आईएलडी कौशल विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. ललित के पंवार ने अकादमिक परिषद के सदस्यों से अनुरोध किया है कि वे ऎसा पाठ्यक्रम तैयार करें, जिससे विश्वविद्यालय से संबद्ध शिक्षण संस्थाओं से डिग्री, डिप्लोमा लेकर निकलने वाले युवाओं को तत्काल रोजगार उपलब्ध हो सके। उन्होंने कहा कि इस विश्वविद्यालय की स्थापना का उद्देश्य ही युवकों को कौशल प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ना है।

कुलपति डॉ. पंवार गुरुवार को विश्वविद्यालय की अकादमिक परिषद की बैठक की अध्यक्षता कर रहे थे। राजस्थान कौशल व आजीविका मिशन भवन में आयोजित इस अकादमिक परिषद की बैठक में विश्वविद्यालय में विभिन्न संकायों के डीन, अकादमिक परिषद के सदस्य, प्रमुख शिक्षाविद एवं विश्वविद्यालय के कुलसचिव एवं परीक्षा नियंत्रक मौजूद थे।

कुलपति ने अकादमिक परिषद को बताया कि नया शैक्षणिक सत्र इसी माह से प्रारम्भ हो रहा है। उन्होंने बताया कि अब तक विश्वविद्यालय द्वारा 22 संस्थाओं को प्रोविजनल एफिलेशन दिया गया है, जिनके द्वारा 131 कोर्सेज चलाने के लिए संबद्धता चाही गई है। लगभग 4000 विद्यार्थियों द्वारा इन शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश के लिए आवेदन किया गया है और प्रदेश की लगभग 50 और संस्थाओं ने विश्वविद्यालय में संबद्धता के लिए आवेदन किया है। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय शीघ्र ही एक कमेटी द्वारा इन संस्थाओं का भौतिक सत्यापन कराकर संबद्धता देने की कार्रवाई शुरू करेगा।

कुलपति ने विश्वविद्यालय द्वारा नियुक्त विभिन्न डीन द्वारा बोर्ड ऑफ स्टडीज के बारे में दिए गए सुझावों एवं वार्षिक कलेन्डर पर विस्तार से चर्चा की। विश्वविद्यालय के कुलसचिव देवेन्द्र शर्मा ने बैठक के कार्य विवरण के संबंध में जानकारी दी।

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डॉ. पंवार ने विश्वविद्यालय से संबद्ध शैक्षणिक संस्थाओं, जिनमें प्रवेश प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है, उनसे अनुरोध किया है कि वे अपने पूर्ववर्ती पाठ्यक्रम के अनुसार प्रशिक्षण का कार्य शुरू करें। विभिन्न विषयों की बोर्ड ऑफ स्टडीज द्वारा शीघ्र ही पाठ्यक्रम निर्धारित कर उन्हें उपलब्ध करा दिया जाएगा।


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उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की गाइडलाइन्स के तहत विश्वविद्यालय से सम्बद्ध संस्थाओं द्वारा उनके यहां अध्ययन कर रहे विद्यार्थियों को 60 प्रतिशत कौशल शिक्षा दी जाएगी तथा 40 प्रतिशत सामान्य शिक्षा प्रदान की जाएगी, जो नवीनतम तकनीक, कौशल, राष्ट्रीयता तथा मूल्य आधारित नैतिक शिक्षा से जुड़ी होगी, जिससे विद्यार्थी का सम्पूर्ण व्यक्तित्व विकास हो।

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