भगवान जगन्नाथ हर साल 15 दिन क्यों पड़ते हैं बीमार, जानिए कारण

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 18 जुलाई 2018, 3:22 PM (IST)

हाल ही में भारत की बड़े-बड़े समाचार चैनलों और अखबारों में एक खबर ने सबकों हैरान कर दिया कि भगवान बीमार है। लेकिन क्या कभी भगवान भी बीमार पड़ते है। क्या उन्हें भी किसी वैद या काढ़े की जरुरत होती है।

आप कहेंगे नही, लेकिन लीलाधर और उनके भक्त उनकी लीलाओ की याद में कई ऐसी परंपराए बना देते है जो भक्त और भगवान के रिश्ते के समर्पण के भाव पेश करती है। हर साल जगन्नाथ जी का बीमार हो जाना ऐसी ही एक परंपरा है, आइए जानते है।

भगवान जगन्नाथ का बीमार होना...
उड़ीसा प्रान्त में जगन्नाथ पूरी मंदिर के पास एक भक्त रहते थे, उनका नाम श्री माधव दास था। वे संसार से विरक्त होकर प्रभु जगन्नाथ जी को ही अपना सर्वशय समझते थे।
अकेले बैठे बैठे भजन किया करते थे, नित्य प्रति प्रभु जगन्नाथ का दर्शन करते थे और उन्ही को अपना सखा मानते थे, प्रभु के साथ खेलते थे।

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प्रभु इनके साथ अनेक लीलाए किया करते थे...
एक बार माधव दास जी को अतिसार (उलटी -दस्त) का रोग हो गया। वह इतने दुर्बल हो गए कि उठ-बैठ नहीं सकते थे, पर जब तक इनसे बना ये अपना कार्य स्वयं करते थे और सेवा किसी से लेते भी नही थे। कोई कहे महाराजजी हम कर दे, आपकी सेवा तो कहते नही मेरे तो एक जगन्नाथ ही है वही मेरी रक्षा करेंगे। ऐसी दशा में जब उनका रोग बढ़ गया वो उठने बेठने में भी असमर्थ हो गए।

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जगन्नाथजी बने अपने भक्त के सेवक...
प्रभु जगन्नाथजी स्वयं सेवक बनकर इनके घर पहुचे और माधवदासजी की सेवा में लग गए। जैसे वो भक्त पूरे दिन जगन्नाथजी की भक्ति में खोए रहते थे, उसी तरह भगवान जगन्नाथ भी अपने भक्त की सेवा में डूब गए। मल मूत्र करवाने से लेकर खाना पीना सभी प्रभु करने लगे।

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माधवदास जी ने प्रभु को पहचाना...
एक दिन भक्त माधवदास ने अपने इष्ट दे को पहचान लिया और पूछने लगे, ‘प्रभु आप तो त्रिभुवन के मालिक हो, स्वामी हो, आप मेरी सेवा कर रहे हो आप चाहते तो मेरा ये रोग भी तो दूर कर सकते थे, रोग दूर कर देते तो ये सब करना नही पड़ता।’

ठाकुरजी कहते है देखो माधव! मुझसे भक्तों का कष्ट नहीं सहा जाता, इसी कारण तुम्हारी सेवा मैंने स्वयं की। जो प्रारब्द्ध होता है उसे तो भोगना ही पड़ता है। अगर उसको काटोगे तो इस जन्म में नही पर उसको भोगने के लिए फिर तुम्हे अगला जन्म लेना पड़ेगा और मैं नहीं चाहता की मेरे भक्त को जरा से प्रारब्द्ध के कारण अगला जन्म फिर लेना पड़े। इसीलिए मैंने तुम्हारी सेवा की लेकिन अगर फिर भी तुम कह रहे हो तो भक्त की बात भी नही टाल सकता।

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जगन्नाथ जी ने भक्त की बीमारी के 15 दिन अपने नाम कर लिए...
माधवदास जी की बीमारी के 15 दिन ओर शेष थे, जिसे प्रभु ने अपने नाम कर लिया। माधवदास जी स्वस्थ हो गए और फिर से शुरू हुई जगन्नाथ प्रभु के 15 दिन की बीमारी।

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15 दिन के लिए मंदिर बंद, बीमार जगन्नाथ का होता है ईलाज...
वो तो हो गई तब की बात पर भक्त वत्सलता देखो आज भी वर्ष में एक बार जगन्नाथ भगवान को स्नान कराया जाता है (जिसे स्नान यात्रा कहते है) स्नान यात्रा करने के बाद हर साल 15 दिन के लिए जगन्नाथ भगवान आज भी बीमार पड़ते है।
15 दिन के लिए मंदिर बंद कर दिया जाता है कभी भी जगनाथ भगवान की रसोई बंद नही होती पर इन 15 दिन के लिए उनकी रसोई बंद कर दी जाती है।

जगन्नाथ भगवान को काढ़ो का भोग...

15 दिन जगन्नाथ भगवान को काढ़ो का भोग लगता है। इस दौरान भगवान को आयुर्वेदिक काढ़े का भोग लगाया जाता है। जगन्नाथ धाम मंदिर में तो भगवान की बीमारी की जांच करने के लिए हर दिन वैद्य भी आते हैं। काढ़े के अलावा फलों का रस भी दिया जाता है। वहीं रोज शीतल लेप भी लगया जाता है। बीमार के दौरान उन्हें फलों का रस, छेना का भोग लगाया जाता है और रात में सोने से पहले मीठा दूध अर्पित किया जाता है।

भगवान जगन्नाथ बीमार हो गए है और अब 15 दिनों तक आराम करेंगे। आराम के लिए 15 दिन तक मंदिरों पट भी बंद कर दिए जाते है और उनकी सेवा की जाती है। ताकि वे जल्दी ठीक हो जाएं। जिस दिन वे पूरी तरह से ठीक होते है उस दिन जगन्नाथ यात्रा निकलती है, जिसके दर्शन हेतु असंख्य भक्त उमड़ते है।

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