पानीपत। संत कबीरदास ऐसे संत थे, जिन्होंने मानवता की स्थापना के लिए समाज
की बुराइयों को समाप्त करने का बिगुल बजाया और समाज से अंधविश्वास, जातपात
जैसी बुराइयों को खत्म करने के लिए अपना पूरा जीवन लगा दिया।
यह
बात विधानसभा अध्यक्ष कंवरपाल ने पानीपत के आर्य कॉलेज में आयोजित
जिला स्तरीय कबीरदास जयंती में बतौर मुख्य अतिथि बोलते हुए कही।
कंवारपाल ने कहा कि उन्होंने अपने शबद और दोहों के माध्यम से समाज की
बुराइयों को कुठाराघात किया है। वे ऐसे संत थे जिन्होंने समाज को उस समय
सही दिशा दिखाने का प्रयास किया है जब समाज में अनेक बुराइयां और विषमताएं
भरी पड़ी थी। उन्होंने आडम्बरों का विरोध किया और मन में व्यापत आत्मा को
ही परमात्मा की संज्ञा देकर लोगों को अच्छे कर्म करने के लिए प्रेरित
किया।
उन्होंने
कहा कि वे एक अकेले ऐसे संत थे जिन्होंने आडम्बरों का विरोध किया और उनकी
वाणी ने पूरे विश्व को सुधारने का संदेश दिया। उन्होंने कहा कि आज इस समय
में हमें उनके द्वारा दिए जाने वाले संदेशों को आगे बढ़ाना चाहिए। सरकार ने
सभी महापुरूषों की जयन्तियां जिला स्तर पर मनाने का संकल्प लिया है। ये
महान संत ही हमारे समाज के असली हीरो हैं। इनके द्वारा दिए गए संदेशों को
ग्रहण करना समाज को रॉयलटी मिलने के बराबर है। इनकी बातों और सीख का
बार-बार जिक्र करने से इनके संदेशों को बल मिलता है।
विधानसभा
अध्यक्ष ने कबीरदास के अनेक दोहों के साथ उदाहरण प्रस्तुत करते हुए कहा कि
हमें लालच को त्यागकर अपनी इच्छाओं पर काबू करना चाहिए क्योंकि इच्छाओं पर
काबू करने वाला ही असली राजा होता है। कबीरदास जी ने सच्चाई को स्वीकार कर
और कर्म करने व उसे निश्चित तौर पर भुगतने के बारे में भी बताया। आज के
समय में उनके द्वारा दिए गए दोहों और शब्दों को हमें दैनिक जीवन में उतारना
चाहिए।
पानीपत
ग्रामीण विधायक महिपाल ढांडा ने कहा कि कबीरदास के दोहे और शबद मन में
रोमांच व आध्यात्म को पैदा करते हैं। उन्होंने अपने दोहों में काम, क्रोध,
लोभ को त्याग तथा अच्छा कर्म करने के लिए प्रेरित किया है। हमें सरलता के
साथ जीवन जी कर भलाई के लिए काम करना चाहिए।
उपायुक्त सुमेधा कटारिया ने कहा कि कबीरदास ऐसे संत थे, जिन्होंने
वैश्विक शांति और सदभाव का संदेश दिया। उन्होनें जातपात और धर्म के नाम पर
होने वाले आडम्बरों, कुरीतियों विकृतियों को दूर कर उन पर दंश का काम किया।
प्रदेश सरकार ने इस तरह की ग्लोबल सोच के संत की जयंती मनाने का जो निर्णय
लिया है, उससे इनके विचारों को बल मिलेगा। अपने दोहों में उन्होंने
बुराईयों को दूर करने के लिए संक्षिप्त सार दिया। उन्होंने कहा कि-बुरा जो
देखन मंै चला, बुरा ना मिलया कोय। निश्चित तौर पर इससे इस पीढ़ी को ही नही
आने वाली पीढ़ी को भी सीख मिलेगी। उनके शब्दों की प्रासंगिकता पहले से आज
कहीं ज्यादा है। कार्यक्रम में संत कबीरदास जयंती समारोह के उपलक्ष्य में
उनके शबदों और दोहों से जुड़ी गायन प्रतियोगिता भी करवाई गई। जिसमें गांव
कुराड़ के विरेन्द्र सिंह प्रथम, द्वितीय चरण सिंह, तृतीय श्रीपाल सिंह
रहे। पालेराम व बीरबल को सांत्वना पुरस्कार दिया गया।
प्रथम,
द्वितीय व तृतीय क्रमश: 5100, 3100 व 2100 रूपये के नकद पुरस्कार प्रदान
किए गए। सांत्वना पुरस्कार के तौर पर 1100 रूपये दिए गए। कार्यक्रम में
रैडक्रास की ओर से आयोजित दिव्यांगजनों के लिए 300 कृत्रिम अंग व उपकरण भी
वितरित किए गए। कार्यक्रम का शुभारम्भ दीप प्रज्जवलित कर किया गया और
विधानसभा अध्यक्ष को जिला प्रशासन की ओर से उपायुक्त सुमेधा कटारिया ने
स्मृति चिन्ह और पौधा प्रदान किया।
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