हनुमान और शनि में संबंध के बारे में जानने के लिए पढ़ें...

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 23 जून 2018, 1:05 PM (IST)

बजरंग बली श्री हनुमानजी और शनिदेव के बीच के रिश्ते के बहुत कम लोग ही जानते है। आपके के लिए प्रस्तुत है बालाजी और शनिदेव के क्या है रिश्ता-
एक बार महावीर हनुमान श्रीराम के किसी कार्य में व्यस्त थे। उस जगह से शनिदेव जी गुजर रहे थे की रास्ते में उन्हें हनुमानजी दिखाई पडे। अपने स्वभाव की वजह से शनिदेव जी को शरारत सूझी और वे उस रामकार्य में विध्न डालने हनुमान जी के पास पहुच गये।

हनुमानजी ने शनि देव को चेतावनी दी और उन्हें ऎसा करने से रोका पर शनिदेव जी नहीं माने। हनुमानजी ने तब शनिदेव जी को अपनी पूंछ से जकड लिया और फिर से राम कार्य करने लगे। कार्य के दौरान वे इधर उधर खुद के कार्य कर रहे थे। इस दौरान शनिदेवजी को बहुत सारी चोटे आई। शनिदेव ने बहुत प्रयास किया पर बालाजी की कैद से खुद को छु़डा नहीं पाए। उन्होंने हनुमंते से बहुत विनती की पर हनुमानजी कार्य में खोये हुए थे। जब राम कार्य खत्म हुआ तब उन्हें शनिदेवजी का ख्याल आया और तब उन्होंने शनिदेव को आजाद किया।


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शनिदेव जी को अपनी भूल का अहसास हुआ और उन्होंने हनुमानजी से माफ़ी मांगी की वे कभी भी राम और हनुमान जी के कार्यो में कोई विध्न नहीं डालेंगे। और श्रीराम और हनुमान जी के भक्तो को उनका विशेष आशीष प्राप्त होगा। शनिदेव जी भगवान श्री हनुमान से थोडा सरसों का तेल माँगा जिसे वो अपने घावो पर लगा सके और जल्द ही चोटो से उभर सके। हनुमानजी ने उन्हें वो तेल उपलब्ध करवाया और इस तरह शनिदेव के जख्म ठीक हुए। तब शनिदेव जी ने कहा की इस याद में जो भी भक्त शनिवार के दिन मुझपर सरसों का तेल चढायेगा उसे मेरा विशेष आशीष प्राप्त होगा।


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हनुमानजी ने शनिदेव को रावण की जेल से मुक्त करवाया --
एक कथा के अनुसार अहंकारी लंकापति रावण ने शनिदेव जो को कैद कर लिया और उन्हें लंका में एक जेल में डाल दिया। जब तक हनुमानजी लंका नहीं पहुचे तब तक शनिदेव उसी जेल में कैद रहे। जब हनुमान सीता मैया की खोज में लंका में आये तब मां जानकी को खोजते खोजते उन्हें भगवान् शनि देव जेल में कैद मिले। हनुमानजी ने तब शनि भगवान को आजाद करवाया। आजादी के बाद उन्होंने हनुमंते का धन्वाद किया और उनके भक्तो पर विशेष कृपा बनाये रखने का वचन दिया।

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