मैच फिक्सिंग के लिए इस खिलाड़ी पर लगा 6 साल का प्रतिबंध

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 20 जून 2018, 5:52 PM (IST)

ब्यूनस आयर्स। अर्जेंटीना के टेनिस खिलाड़ी निकोलस किकर पर टेनिस इंटीग्रिटी यूनिट द्वारा मैच फिक्सिंग मामले में छह साल का प्रतिबंध लगाया गया है। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रतिबंध के साथ वल्र्ड नम्बर-100 निकोलस पर 25000 डॉलर (19000 पाउंड) का जुर्माना भी लगा है। अर्जेंटीना के 25 वर्षीय खिलाड़ी निकोलस ने पिछले साल जून में अपने करियर की सबसे उच्च रैंकिंग 78वां स्थान हासिल किया था। उन्हें 2015 में एटीपी चैलेंजर्स टूर्नामेंट के दो मैचों की फिक्सिंग का दोषी पाया गया है।

निकोलस इन आरोपों की जांच की प्रक्रिया में समन्वय में विफल होने के दोषी पाए गए। टेनिस इंटीग्रिटी यूनिट का कहना है कि अगर वे भविष्य में इस प्रकार की गलती नहीं दोहराएंगे, तो उन पर लगे प्रतिबंध की अवधि को तीन साल तक के लिए कम किया जा सकता है। ऐसे में कहा जा सकता है कि अपने अच्छे व्यवहार के कारण निकोलस मई 2021 में टेनिस कोर्ट पर वापसी कर सकते हैं।

निकोलस को मई में टेनिस भ्रष्टाचार विरोधी कार्यक्रम के तहत जून 2015 में इटली में हुए टूर्नामेंट के दौरान मैच फिक्सिंग का दोषी पाया गया। इसके तीन माह बाद एक बार फिर उन्हें कोलंबिया में आयोजित टूर्नामेंट में भी इसी मामले का दोषी पाया गया। अर्जेंटीना के खिलाड़ी निकोलस ने अपने करियर में आईटीएफ टूर में 10 एकल खिताब जीते हैं।

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विंबलडन में ब्रिटिश खिलाड़ी इवांस को नहीं मिलेगा वाइल्ड कार्ड

लंदन।
ब्रिटेन के टेनिस खिलाड़ी डान इवांस को साल के तीसरे ग्रैंडस्लैम विंबलडन में मुख्य ड्रॉ में प्रवेश के लिए वाइल्ड कार्ड नहीं मिलेगा। बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार, कोकीन के इस्तेमाल के लिए प्रतिबंध का सामना कर चुके इवांस को वाइल्ड कार्ड न देना टूर्नामेंट के आयोजकों के लिए सिद्धांत के मामले के तहत लिया गया फैसला है। पूर्व वल्र्ड नम्बर-41 इस साल अप्रैल में प्रतिबंध पूरा कर टेनिस कोर्ट में वापसी करने के बाद अच्छी फॉर्म में हैं।

रविवार को खत्म हुए नॉटिंघम ओपन में वे रनर-अप रहे। ऐसे में यह साफ है कि 28 वर्षीय ब्रिटिश खिलाड़ी विंबलडन के प्री-क्वालीफाइंग में खेल सकते हैं। विंबलडन की शुरुआत दो जुलाई से हो रही है, जो 15 जुलाई को समाप्त होगा। ऑल इंग्लैंड क्लब ने अपने एक बयान में कहा कि प्रतिबंध के बाद उनकी वापसी को देखते हुए यह फैसला सिद्धांत पर आधारित है।

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