J&K : राज्यपाल शासन अंतिम विकल्प, राज्यपाल ने राष्ट्रपति को भेजी रिपोर्ट

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 19 जून 2018, 3:02 PM (IST)

नई दिल्ली। बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद जम्मू-कश्मीर में अब राज्यपाल शासन लागू होना पूरी तरह तय है। कांग्रेस ने जहां पीडीपी के साथ गठबंधन करने से इनकार कर दिया है वहीं नेशनल कॉन्फ्रेंस के उमर अब्दुल्ला ने भी राज्य में राज्यपाल शासन को ही एकमात्र विकल्प बताया है।



बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाने की तैयारियां हो गई हैं। इस बीच राज्यपाल एनएन वोहरा ने सभी बड़ी पार्टियों से चर्चा के बाद अपनी रिपोर्ट राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दी है। राज्यपाल ने रिपोर्ट के साथ ही सेक्शन 92 (जम्मू-कश्मीर के संविधान) के तहत राज्य में राज्यपाल शासन की मांग की है।



भाजपा ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है। बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने आज ही दिल्ली में राज्य के सभी बड़े पार्टी नेताओं के साथ बैठक की जिसके बाद बीजेपी ने समर्थन वापस लेने का ऐलान किया है। शाम तक जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अपने पद से इस्तीफा देंगी। बीजेपी ने समर्थन वापसी की चिट्ठी राज्यपाल को सौंप दी है। वहीं, खबर आ रही है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल को अपना इस्तीफा भेज दिया है।



जम्मू-कश्मीर की स्थिति में सुधार लाने के लिए बीजेपी के साथ हाथ मिलाया
बीजेपी से गठबंधन टूटने के बाद पीडीपी नेता और जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा कि मैं इससे बिल्कुल भी अचंभित नहीं हूं। हमने कश्मीर में सत्ता हथियाने के लिए गठबंधन नहीं किया था। जम्मू-कश्मीर की स्थिति में सुधार लाने के लिए बीजेपी के साथ हाथ मिलाया था। उन्होंने राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपते हुए कहा कि अब हमें किसी गठबंधन की कोई जरूरत नहीं है। हमें लगा था कि भाजपा के साथ गठबंधन जम्मू-कश्मीर के लिए बेहतर होगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका। मुफ्ती ने कहा कि हम हमेशा से कहते आए हैं कि जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों की ताकतवर नीति कभी कारगर साबित नहीं होगी। राज्य को शत्रु राज्य के रूप में देखना ठीक नहीं है ये कभी भी बर्दाश्त नहीं होगा।

माना जा रहा है यदि जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया जाता है तो पिछले चार दशकों में ये आठवीं बार होगा।


बीजेपी नेता राममाधव ने कहा कि पिछले कुछ दिनों से कश्मीर में स्थिति काफी बिगड़ी है, जिसके कारण हमें ये फैसला लेना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि इस संबंध में प्रधानमंत्री, अमित शाह, राज्य नेतृत्व सभी से बात की है।



पीडीपी नेता नईम अख्तर ने कहा कि फिलहाल पीडीपी शाम 5 बजे प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी। कहा जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी ने यह कदम उठाया है।




गठबंधन में आगे चलना मुश्किल हो गया था-
फैसले के बाद बीजेपी नेता राम माधव ने कहा कि हमने गृह मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर के तीन साल के कामकाज, सभी एजेंसियों से राय लेकर ये फैसला किया है। जिसके बाद ये तय हुआ है कि बीजेपी अपना समर्थन वापस ले रही है। राम माधव ने कहा कि तीन साल पहले जो जनादेश आया था, तब ऐसी परिस्थितियां थी जिसके कारण ये गठबंधन हुआ था। लेकिन जो परिस्थितियां बनती जा रही थीं उससे गठबंधन में आगे चलना मुश्किल हो गया था।

बीजेपी की राज्य में राज्यपाल शासन की मांग-
बीजेपी ने राज्य में राज्यपाल शासन की मांग की है। माधव ने कहा, 'पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी चीफ अमित शाह की सहमति के बाद यह फैसला किया गया। श्रीनगर में एक बड़े पत्रकार की हत्या हो गई। केंद्र ने जम्मू-कश्मीर सरकार को हर तरह से मदद की।

दायित्व निभाने में नाकाम रही हैं महबूबा मुफ्ती-
उन्होंने कहा, 'तीन साल सरकार चलाने के बाद हम इस सहमति पर पहुंचे हैं कि कश्मीर में जो परिस्थिति उत्पन्न है उसपर नियंत्रण के लिए हम अलग हो रहे हैं। पीडीपी ने अड़चन डालने का काम किया। दायित्व निभाने में महबूबा मुफ्ती नाकाम रही हैं। महबूबा घाटी में हालात संभालने में असफल रहीं।'


शिवसेना का बड़ा हमला
बीजेपी-पीडीपी गठबंधन टूटने के बाद शिवसेना ने कहा है कि अपवित्र गठबंधन को लेकर हमने पहले ही कह दिया था कि यह ज्यादा दिनों तक नहीं चलेगा. यह एंटी नेशनल गठबंधन था।

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कश्मीर में रहा केंद्र का पूरा सहयोग
बीजेपी नेता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सुरक्षा के लिए केंद्र सरकार ने पूरा सहयोग किया है। गृहमंत्री ने लगातार घाटी का दौरा किया, सभी से बातचीत का प्रयास किया। उन्होंने कहा कि हमने पाकिस्तान को सीमा पार से गतिविधियों करने पर रोक लगाई, 4 हजार बंकर बनाए गए थे।

उन्होंने कहा कि भले ही हम सरकार में थे, लेकिन मुख्य नेतृत्व बीजेपी के हाथ में था। इसलिए हम इन हालातों को संभालने में सफल नहीं रह पाए, कई मुद्दों पर राज्य सरकार असफल रही। घाटी में शांति स्थापित नहीं हो सकी इसके अलावा जम्मू और लद्दाख में भी विकास कार्य रुका रहा. जम्मू और लद्दाख की जनता के साथ भेदभाव हुआ।

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