निजी अस्पतालाें ने नोटिफायबल डिजीज की जानकारी छुपाई तो IPC के तहत लगेगा जुर्माना

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 14 जून 2018, 2:30 PM (IST)

जयपुर। खाली मटकों व टायरों में भरे पानी की सफाई रखने, कूलर में पानी की नियमित सफाई करने को लेकर स्वास्थ्य विभाग अब तक आमजन को जागरूक करने में जुटा था। लेकिन अब लापरवाही बरतने वालों पर जुर्माना भी लग सकेगा। राज्य सरकार ने इस संबंध में नोटिफिकेशन जारी किया है। जिसके बाद डेगूं, मलेरिया व स्वाइन फ्लू को सूचिबद्व बीमारियों (नोटिफायबल डिजीज) में शामिल कर लिया है। इसके साथ ही अब ऐसी बीमारियां गैर सरकारी चिकित्सा संस्थान, क्लिनिक व लैब में चिन्हित होने पर इनकी सूचना स्वास्थ्य विभाग को देना जरूरी होगा। यह सूचना तुरंत देनी होगी। अन्यथा आईपीसी के तहत जुर्माना लगाया जा सकेगा।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, जयपुर द्वितीय डाॅ0 प्रवीण असवाल ने बताया कि राज्य सरकार ने राजस्थान एपिडेमिक अधिनियम 1957 के तहत डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू को राज्य सरकार ने अधिसूचित कर नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया हैं। अब यदि लैब, क्लिनिक या चिकित्सालय प्रबंधक ये बीमारियां चिन्हित होने पर इनकी सूचना विभाग को नहीं देते हैं, तो आईपीसी की धारा 181 के तहत 500 रुपए तक का जुर्माना लगाया जा सकेगा। बीमारी की पुष्टि केवल एलाइजा कीट से ही मानी जाएगी। इसके लिये निजी केन्द्र ब्लड सैंपल चिकित्सालय में भेजेंगे। मलेरिया व डेंगू की जांच की लिये भारत सरकार की गाईडलाइन की पालना सुनिश्चित करना आवश्यक होगा। अब कोई लैब संचालक या चिकित्सा संस्थान किसी कार्ड आदि से जांच कर बीमारी की पुष्टि नहीं कर सकेगा। यहीं नहीं अब विभाग निरीक्षण अधिकारी के नेतृत्व में टीमें गठित कर किसी भी परिसर में प्रवेश कर फीवर सर्विलेंस, एंटी लार्वल गतिविधियों और इन बीमारियों की रोकथाम के लिये दवा छिड़काव कर सकेंगे। संभावित रोगों की ब्लड स्लाईड, घर में पानी इकट्ठा मिलने पर एंटी लार्वल गतिविधियां कर सकेगा। उन्होंने बताया कि सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को पाबंद किया गया की वे नियमित एंटी लार्वल गतिविधियां गंभीरता से करें।

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