पंजाब में मातृ मृत्यु दर में 19 अंकों की गिरावट- ब्रह्म मोहिंद्रा

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 13 जून 2018, 6:55 PM (IST)

चंडीगढ़। पंजाब राज्य में माताओं की मृत्यु दर में 19 अंकों की बड़ी गिरावट दर्ज की गई है। सैंपल रजिस्ट्रेशन सिस्टम द्वारा ताज़ा दर्ज किये आंकड़ों के अनुसार प्रति 100000 जीवित बच्चों के पीछे माताओं की मृत्यु दर 141 से कम हो कर 122 हो गई है।

इस संबंधी विवरण देते हुए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने बताया कि पंजाब राज्य में माताओं की मृत्यु दर 141 से कम हो कर 122 होना एक बड़ी सफलता है और अब पंजाब सरकार का लक्ष्य माताओं की मृत्यु दर को 100 के आकंड़े से कम करना है जिसके लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा गर्भवती महिलाओं को प्रसूति से पहले और बाद में समय पर स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाई जा रही हैं।

ब्रह्म मोहिंद्रा ने कहा कि सरकारी अस्पतालों में गर्भवती महिलाओं और नवजात ले रहे बच्चों को बढिय़ा स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करवाने के मद्देनजऱ राज्य सरकार ने सभी सिविल सर्जनों को ‘जननी शिशु सुरक्षा कार्याक्रम’ अधीन महिलाओं की प्रसूति अस्पताल में यकीनी बनाने के लिए सख्त हिदायतें दी हैं। इसमें ख़ास तौर पर ग्रामीण क्षेत्रों और शहरों में गरीबी रेखा से नीचे जीवन व्यतीत कर रहे परिवारों की महिलाओं की तरफ विशेष ध्यान देने के लिए कहा गया है।

उन्होंने आगे कहा कि उच्च अधिकारियों के ध्यान में लाया गया कि कई मामलों में बिना किसी कारण ब्लॉक स्तर के सरकारी अस्पतालों में से डिलीवरी मामलों को जि़ला सिविल अस्पतालों और अन्य अस्पतालों को आगे रैफ्फर कर दिया जाता है। उन्होंने कहा कि प्रसूति के मामलों में यदि किसी भी स्तर पर कोई लापरवाही सामने आती है तो उसे बर्दाश्त नहीं किया जायेगा। उन्होंने आगे कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा ‘मां-बच्चा सेहत भलाई प्रोग्राम’ अधीन लापरवाही करने वाले मेडीकल अफसरों और अन्य सबंधित स्टाफ सदस्यों के विरुद्ध विभागीय कार्यवाई भी की गई है जिस कारण ही हम माताओं की मृत्यु दर में बड़ी गिरावट करने में सफल हुए हैं।

ब्रह्म मोहिंद्रा ने कहा कि यहाँ यह भी बताना ज़रूरी है कि आम लोगों में जागरूकता के कारण ही तकरीबन 96.8 प्रतिशत प्रसूतियां राज्य के अस्पतालों में की गई हैं जिसमें से 51.7 प्रतिशत प्रसूतियां जननी शिशु सुरक्षा कार्याक्रम अधीन सरकारी अस्पतालों में और 45 प्रतिशत प्रसूतियां निजी अस्पतालों में की गई हैं। उन्होंने आगे कहा कि सबंधित अधिकारियों को यह भी हिदायतें जारी की गई हैं कि गर्भवती महिलाओंं की जल्द रजिस्ट्रेशन करने और हाई रिसक गर्भवती महिलाओंं का तय समय में चैकअप किया जाये जिससे माताओं के जीवन को सुरक्षित किया जा सके।

स्वास्थ्य मंत्री ने जननी शिशु सुरक्षा कार्यक्रम संबंधी जानकारी देते हुए बताया कि उस समय की कांग्रेस सरकार द्वारा यह प्रमुख प्रोग्राम 1 जून, 2011 को शुरू किया गया था जिसका मुख्य मंतव्य गर्भवती महिलाओं और माताओं को सरकारी अस्पतालों में सभी ज़रूरी सहूलतें मुकम्मल तौर पर मुफ़्त मुहैया करवाना था, जिसमें आम प्रसूति और ऑपरेशन द्वारा होने वाले प्रसूति, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में बीमार बच्चों के जन्म से 40 दिनों तक मुफ़्त इलाज करना जैसी सहूलतें शामिल हैं। उन्होंने आगे कहा कि यह प्रोग्राम उन लोगों को भी प्रेरित करेगा जो अभी भी अस्पतालों में प्रसूति की जगह घर में ही प्रसूति करने को प्राथमिकता देते हैं।

उन्होंने आगे कहा कि सभी सरकारी अस्पतालों में लडक़ी का 5 वर्ष की आयु तक और लडक़े का एक वर्ष की आयु तक हर तरह की बीमारियों का इलाज भी मुफ़्त मुहैया करवाया जा रहा है।



ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे