जयपुर।
प्रताप नगर सेक्टर-8 स्थित वीर हनुमान मंदिर में मंगलवार को भागवत कथा का
समापन हुआ। इससे पूर्व आचार्य शिवरतन शास्त्री ने कृष्ण-सुदामा चरित्र
प्रसंग पर प्रवचन किए।
आचार्य शिवरतन शास्त्री ने
कहा कि मित्रता की परीक्षा आपत्ति के समय में ही होती है। धीरज और धर्म की
परीक्षा आपत्ति में ही होती है। सुनते आ रहे हैं कि सुदामा गरीब है, लेकिन
सुदामा जी गरीब नहीं हैं। गरीब तो वह करोड़पति भी हो सकता है, जिसके पास
संतोष नहीं। जिसके पास संतोष है वही सबसे बड़ा धनवान है। क्योंकि धन को नापने
का जो पात्र है वह है संतोष। संतोषी सदा सुखी रहते हैं।
पं. वेदप्रकाश गौतम
ने बताया कि इस मौके पर हवन कर पूर्णाहूति दी गई।
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