भक्तों ने भगवान को लौटाए खातेदारी अधिकार

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 12 जून 2018, 5:36 PM (IST)

जयपुर। मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे की ग्राम्योत्थान की मंशा से राजस्थान भर में इन दिनों संचालित राजस्व लोक अदालत अभियान - न्याय आपके द्वार राजस्व मामलों के निस्तारण के साथ ही ग्राम्य समस्याओं का हमेशा-हमेशा के लिए निराकरण करते हुए पारिवारिक एवं सामाजिक सौहार्द की बहाली की दिशा में ऎतिहासिक उपलब्धियां हासिल करता जा रहा है।

बरसों से अटके कामों का हाथों-हाथ निस्तारण हो रहा है, ग्रामीण विकास की गतिविधियों को सम्बल प्राप्त हो रहा है तथा गांवों के विकास तथा ग्रामीणों के उत्थान के लिए संचालित योजनाओं और कार्यक्रमों की जानकारी पाकर हजारों ग्रामीण रोजाना लाभान्वित हो रहे हैं।

भीषण गर्मी के दौर में भी आम ग्रामीणों के लिए ये शिविर उनकी जिन्दगी भर के लिए राहत की फुहारें बरसाकर जिन्दगी में शान्ति और आनन्द की बहारें लाने का सुकून देने वाले सिद्ध हो रहे हैं। यही कारण है कि प्रदेश के ग्रामीणों द्वारा इन शिविरों को ग्राम्य उत्सव के रूप में देखा और अनुभव किया जा रहा है।

प्रदेश के राजसमन्द जिले में राजस्व लोक अदालत अभियान-न्याय आपके द्वार के अन्तर्गत ग्राम्यांचलों में लग रहे शिविरों में एक ही छत के नीचे सारे कामों का निस्तारण और संपादन होते देख ग्रामीणों की उत्साहजनक भागीदारी का ग्राफ निरन्तर बढ़ता ही जा रहा है।

इन शिविरों में ऎसे-ऎसे उल्लेखनीय काम हो रहे जिन्हें कर पाना आसान नहीं था किन्तु सरकार की मंशा और शासन-प्रशासन की आत्मीय भागीदारी और शिविरों को आशातीत सफलता प्रदान करने के लक्ष्य को लेकर जो कुछ किया जा रहा है वह ग्राम्य उत्थान का नया इतिहास रचने लगा है।

इसी तरह का एक रोचक मामला राजसमन्द पंचायत समिति के राज्यावास में हाल ही सम्पन्न राजस्व लोक अदालत अभियान - न्याय आपके द्वार में सामने आया जिसमें 52 साल बाद भगवान भैरवनाथ की भूमि वास्तविक स्वामी भैरवजी के नाम हुई।
नेकदिल भक्तों के आपसी राजीनामे से भगवान के नाम प्रदत्त भूमि पाँच दशकों बाद भगवान के खाते में दर्ज होने का यह अनूठा मामला है जो अनन्य श्रद्धा, न्याय और समर्पण का त्रिवेणी संदेश देता नज़र आता है।

इस सारे मामले के पीछे रोचक कहानी है। इसके अनुसार दशकों पहले राज्यावास ग्राम पंचायत अन्तर्गत फतहनगर गांव में भैरूजी के स्थानक के लिए भैरूजी के नाम पर फतहनगर ठिकाने की ओर से 5 बीघा 4 बिस्वा भूमि सेवा-पूजा के लिए दी गई।

श्री भैरूजी मन्दिर की सेवा-पूजा परंपरा से कुमावत और गाड़री समाज के भक्तगत करते आ रहे हैं। यह क्रम लम्बे समय से चला आ रहा था कि इस बीच सन् 1966 में सेटलमेंट के समय भूमि पर भैरूजी का नाम हट गया और उसकी जगह यह जमीन दोनों समाजों के पुजारियों के वारिसों के नाम चढ़ गई और रिकार्र्ड में भैरूजी की बजाय वे खातेदार के रूप में दर्ज हो गए।

कालान्तर में दोनों समाजों के पुजारियों का कुनबा बढ़ता रहा। इसके फलस्वरूप विरासत से बहन-बेटियों व अन्य सदस्यों की बढ़ोतरी की वजह से जमीन को लेकर आपसी मनमुटाव और झगड़े होने लगे।

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भक्तों की पहल रंग लायी
इन विषम हालातों को संभालने के लिए भैरूजी के परम भक्त और फतहनगर ठिकाने के वारिस श्री सुरेन्द्रसिंह पुत्र श्री मदनसिंह ने इस विवाद को हमेशा के लिए खत्म करने की ठानी और अपनी ओर से पहल करते हुए दोनों समाजों के भौंपाओं और उनके परिवार के सदस्यों से सम्पर्क किया और समझाईश की।

उनकी बात से सभी संबंधित पक्ष सन्तुष्ट हुए और ग्रामीणों तथा भैरव भक्तों ने भी इसे सराहा। इस मामले के निर्णायक समाधान के लिए सभी संबंधित लोगों को हाल ही राजसमन्द उपखण्ड क्षेत्र के राज्यावास में हुए राजस्व लोक अदालत अभियान - न्याय आपके द्वार शिविर में बुलाया। धोइन्दा(राजसमन्द) के साथ ही इन्दौर (मध्यप्रदेश) में रहने वाले खातेदारों को भी फोन पर आमंत्रण दिया कि वे शिविर में जरूर आएं।

विगत 7 जून को आयोजित न्याय आपके द्वार शिविर में कुमावत और गाडरी समाज के पुजारियों के परिवारजन समूह के रूप में आए और अपनी खातेदारी समाप्त कर भैरूजी के नाम वापिस खातेदारी दर्ज कराने का प्रार्थना की।

सभी लोगाें ने उपखण्ड अधिकारी को इस पूरे मामले की जानकारी देते हुए अपनी दिली मंशा जाहिर करते हुए प्रार्थना पत्र पेश किया।

उपखण्ड अधिकारी ने हाथों-हाथ तहसीलदार एवं पटवारी से रिपोर्ट ली और खातेदारों के बयान लिए।

इस प्रकरण की गहन जांच में यह सामने आया कि भैरूजी के दो अलग-अलग स्थान हैं तथा इन स्थानों पर दोनों समाजों के भौंपाओं द्वारा सेवा-पूजा निरन्तर जारी है। परन्तु जमीन पुजारियों की खातेदारी में दर्ज होने की वजह से भविष्य में किसी वारिस के मन में जमीन को लेकर खोट न आ जाए, इससे बचने के लिए सभी खातेदारों ने इकट्ठा होकर निवेदन किया। सारे प्रकरण में सामने आए तथ्य जाँच में सही पाए जाने पर सारी भूमि वापस भैरूजी के नाम खातेदारी में दर्ज कर दी गई।

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भगवान के नाम की जमीन इतने सालों बाद भगवान के खाते में दर्ज होते ही सभी लोगों ने भैरूजी बावजी के जयकारों से हर्षनाद किया और कहा कि भैरवनाथ उन सभी का कल्याण करेंगे जिन्होंने इस शिविर को चलाया और अपने भगवान का काम किया है।

इसके लिए भक्तों ने भगवान भैरवनाथ से मुख्यमंत्री के यशस्वी और दीर्घ जीवन के लिए प्रार्थना की और कहा कि इस सरकार पर भैरूजी की कृपा हमेशा बरसती रहेगी। इस निर्णय की ग्रामवासियों ने भी मुक्त कण्ठ से प्रशंसा की तथा इसकी पहल करने के लिए फतहनगर ठिकाने के वारिस श्री सुरेन्द्रसिंह की तारीफ करते हुए दोनों समाजों के भौंपाओं के परिवारों का आभार जताया।

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