बेंगलुरू। कर्नाटक में मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी के नेतृत्व वाली सरकार ने शुक्रवार को भारतीय जनता पार्टी के विधायकों के विधानसभा से बहिगर्मन के बीच ध्वनिमत से विश्वासमत हासिल कर लिया। इसके साथ ही यहां एक हफ्ते से चले आ रहे राजनीतिक नाटक का विधिवत पटाक्षेप हो गया। नवनिर्वाचित विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार ने घोषणा की कि विश्वास प्रस्ताव को मतदान के लिए पेश किया गया, जो ध्वनिमत से कुमारस्वामी के पक्ष में रहा।
जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) और कांग्रेस गठबंधन के 116 विधायकों ने विश्वास प्रस्ताव के पक्ष में अपना समर्थन दिया। भाजपा के 104 विधायक विश्वासमत से पहले ही सदन से बाहर चले गए।
विधानसभा अध्यक्ष के.आर. रमेश कुमार ने प्रस्ताव के लिए मतदान कराया, जिसका समर्थन जेडी-एस के 36, कांग्रेस के 77, बहुजन समाज पार्टी के एक, कर्नाटक प्रज्ञवंता जनता पार्टी के एक और एक निर्दलीय विधायक सहित 116 विधायकों ने ध्वनिमत से नई सरकार को समर्थन दिया। अध्यक्ष रमेश कुमार ने मतदान नहीं किया।
कुमारस्वामी ने प्रस्ताव पेश करते हुए कहा कि हमारी पार्टी ने लोगों का जनादेश हालांकि हासिल नहीं किया है। मैंने किसानों और लोगों के कल्याण के लिए कांग्रेस का समर्थन लिया है। हम राज्य में अच्छा शासन देने को लेकर आश्वस्त हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि गठबंधन सरकार पांच वर्षों तक सत्ता में रहेगी और लोगों की आकांक्षाएं पूरी करेगी। उन्होंने कहा कि हमारा काम गठबंधन सरकार के विधायकों की बैठक के साथ शुक्रवार से ही शुरू हो जाएगा।
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वहीं विपक्ष के नेता बी.एस. येदियुरप्पा ने भावुकतापूर्ण भाषण में कहा कि
जेडी-एस और कांग्रेस के बीच गठबंधन अपवित्र और अवसरवादी है। राज्य द्वारा
खारिज किए जाने के बाद भी, पार्टियों ने लोगों के जनादेश का अपमान किया है।
पार्टी के विधायकों के सदन से बाहर जाने से पहले उन्होंने कहा कि कांग्रेस
ने जेडी-एस के साथ हाथ मिलाकर अपनी नैतिकता खो दी है।
भाजपा के एक
नेता ने कहा कि जेडी-एस और कांग्रेस के बीच अपवित्र गठबंधन के विरोध में
हमारे नेता येदियुरप्पा सदन को संबोधित करने के बाद अपने 104 विधायकों के
साथ सदन से बहिर्गमन कर गए। कुमारस्वामी को धर्मनिरपेक्ष सरकार चलाने का यह
मौका कांग्रेस की पहल पर सर्वोच्च न्यायालय के हस्तक्षेप से मिला है।
-आईएएनएस
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