बॉलीवुड के इस एक्टर की लता मंगेशकर ने की जमकर तारीफ

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 22 मई 2018, 6:02 PM (IST)

मुंबई। सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर का कहना है कि फिल्म उद्योग के जिम्मेदार लोग कलाकारों का उस तरह से ख्याल नहीं रखते जिसके वे हकदार होते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘हम उनके योगदान को महज इस वजह से भूल जाते हैं क्योंकि वे अब सक्रिय नहीं हैं। यह सही नहीं है। एक कलाकार को केवल इससे नहीं पहचाना जाना चाहिए कि वह आज क्या कर रहा है और कल क्या करेगा, बल्कि उसे हर समय के लिए पहचाना जाना चाहिए।’’

पिछले महीने अपने पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर की जयंती के अवसर पर लता मंगेशकर ने दो कलाकारों को सम्मानित किया जिनके काम की वह व्यक्तिगत रूप से प्रशंसा करती हैं।

इन कलाकारों में से एक अनुपम खेर हैं।

लता कहती हैं, ‘‘हमारे देश में कुछ ही कलाकार ऐसे हैं जिनमें उनकी तरह की बहुमुखी प्रतिभा और प्रभाव पैदा करने की क्षमता है। वह 21 वर्ष के थे जब उन्होंने सारांश में 65 वर्षीय व्यक्ति का किरदार निभाया था। मैं वास्तव में उनकी प्रशंसा करती हूं कि कैसे वह एक कॉमिक चरित्र से दूसरे गंभीर चरित्र में पहुंच जाते हैं। फिर वह हॉलीवुड में बड़े अभिनेताओं के साथ बड़ी अमेरिकी फिल्मों में काम करते हैं।’’


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लता मंगेशकर ने कहा, ‘‘वह किताबें लिखते हैं, अभिनय की कक्षाएं लेते हैं। उनकी ऊर्जा, उत्साह और जुनून अनुकरणीय हैं। मैं अनुपम खेर की बड़ा प्रशंसक हूं और मैंने उन्हें यह बात बताई है। हमारे पिता के सम्मान में हमारे वार्षिक पुरस्कार से अनुपम खेर को सम्मानित करना हम मंगेशकर परिवार के लिए बहुत खुशी की बात है।’’


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अनुपम को जो प्रसिद्धि और सौभाग्य मिला है, वह बॉलीवुड में हर कलाकार को नहीं मिलता पाता है जबकि वह उसके हकदार होते हैं। कवि-गीतकार योगेश, जिन्होंने ऋषिकेश मुखर्जी और बसु चटर्जी की फिल्मों में उत्कृष्ट गीत लिखे थे, आज खुद को गुमनामी में पा रहे हैं।


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लता ने कहा, ‘‘अनुपमजी के साथ ही योगेशजी का सम्मान कर भी हमें गर्व और खुशी हुई। योगेशजी ने मेरे लिए कुछ बेहतरीन गीत जैसे फिल्म रजनीगंधा का ‘रजनीगंधा फूल तुम्हारे’ और अन्नदाता का ‘रातों के साये घने’ लिखे। उन्होंने मुझे सर्वाधिक पसंद गीतों में से एक ‘कहीं दूर जब दिन ढल जाए’ को भी लिखा था जिसे मुकेश भैया ने फिल्म आनंद में गाया था।’’

उन्होंने कहा, ‘‘आज की पीढ़ी योगेश के काम को नहीं जानती है लेकिन मुझे लगता है कि उन्होंने वह विशिष्टता हासिल की जिसे समय के दायरे में बांधा नहीं जा सकता।’’
(आईएएनएस)

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