सुआरेज और कावानी के दम पर तीसरा खिताब जीतना चाहेगा उरुग्वे

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 22 मई 2018, 12:37 PM (IST)

नई दिल्ली। फीफा विश्व कप का पहला संस्करण अपने नाम करने वाली उरुग्वे 57 साल से अपने तीसरे विश्व कप खिताब की खोज में है और इस बार रूस में होने वाले विश्व कप के 21वें संस्करण में उसकी कोशिश इसी सूखे को खत्म करने की होगी। दक्षिण अमेरिका के इस देश के पास दो विश्व कप खिताब हैं। उरुग्वे ने अपनी मेजबानी में 1930 में खेले गए पहले संस्करण में खिताब जीता था। इसके बाद यह देश 1950 में ब्राजील में खेले गए विश्व कप में दूसरी बार विश्व विजेता बनने में सफल रहा था।

तब से हालांकि उरुग्वे अपने तीसरे खिताब की कोशिशों में ही लगा है। तीन बार 1954, 1970 और 2010 में सेमीफाइनल में पहुंचा लेकिन इससे आगे नहीं जा सका। यह उसका 13वां विश्व कप होगा। 14 जून से शुरू हो रहे विश्व कप में उरुग्वे की कोशिश बीते कई वर्षो से चले आ रहे अपने प्रयास में सफलता हासिल करने की होगी जिसका जिम्मा कई हद तक उसके स्टार खिलाड़ी और स्पेनिश क्लब बार्सिलोना के लिए खेलने वाले स्ट्राइकर लुइस सुआरेज और एडिनसन कावानी के जिम्मे है। टीम की आक्रमण पंक्ति की जिम्मेदारी इन्हीं दोनों के जिम्मे है।

सुआरेज और कावानी की जोड़ी को कोई भी अपनी टीम में देखना चाहेगी। यह जोड़ी किसी भी टीम के लिए घातक हो सकती है। इन दोनों को अलावा 26 साल के मिडफील्डर मातियास वेसिनो पर भी सभी कि निगाहें होगी। उन्होंने इस साल इंटर मिलान से खेलते हुए शानदार प्रदर्शन किया है। वहीं डिफेंस में डिएगो गोडिन और जोस मारिया गिमेननेज के रहने से टीम की रक्षापंक्ति मजबूत मानी जा रही है। यह दोनों स्पेन के क्लब एटलेटिको मेड्रिड में एक साथ खेलते हैं। इन्हीं खिलाडिय़ों के दम पर टीम का दारोमदार है।

वहीं कोच ऑस्कर तबरेज की टीम में कई युवा खिलाड़ी शामिल हैं। तबरेज युवा खिलाडिय़ों को अहमियत देते देखे गए हैं। यह चौथी बार है जब तबरेज विश्व कप में उरुग्वे के कोच हैं। वे 1990, 2010, 2014 में टीम के कोच रह चुके हैं। 2010 में वे टीम को सेमीफाइनल तक ले जाने में सफल हुए थे। हालांकि 2014 में टीम अंतिम-16 से आगे नहीं जा सकी थी।


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टीम के लिए सुआरेज जितने लाभदायक हैं उसी तरह उनके रहने से टीम को एक खतरा हमेशा बना रहता है। सुआरेज का मैदान पर व्यवहार कई बार उन्हें प्रतिबंध दिलवा चुका है। वे खिलाड़ी को काटने के लिए मशहूर हैं। ऐसे में पूरी टीम उम्मीद करेगी की सुआरेज इतने बड़े टूर्नामेंट में इस तरह की हरकत न करें। टीम की अगर कोई कमजोरी है तो वो है मिडफील्ड। यहां तबरेज को काम करने की जरूरत होगी। टीम अगर क्वार्टर फाइनल तक भी नहीं पहुंचती है तो यह उसकी विफलता होगी क्योंकि उसके ग्रुप में जो टीमें हैं उनमें उरुग्वे सबसे मजबूत है।

उरुग्वे को ग्रुप-ए में रखा गया है जहां मेजबान रूस के अलावा जापान, मिस्र, सउदी अरब हैं। उरुग्वे को अपना पहला मैच 15 जून को मिस्र से खेलना है और दूसरा मैच 20 जून को सउदी अरब से होगा। ग्रुप दौर के आखिरी मैच में उसे मेजबान रूस से भिडऩा है जो उसे कड़ी टक्कर दे सकती है और संभवत: इसी मैच से यह पता चलेगा की पहले-दूसरे स्थान पर कौन सी टीमें रहेंगी।

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