पेरिस। फेसबुक ने वर्ष 2018 के शुरुआती तीन महीनों में सेक्सुअल या हिंसात्मक तस्वीरें, आतंकवाद प्रोपेगेंडा या नफरत भरी भाषा से संबंधित करीब 30 मिलियन (3 करोड़) पोस्ट को हटा दिया या फिर उन्हें कड़ी चेतावनी दी है। सोशल मीडिया पर राज कर रही फेसबुक ने मंगलवार को यह बात कही।
कैम्ब्रिज एनालिटिका डाटा प्राईवेसी स्कैंडल के बाद फेसबुक की पारदर्शिता को लेकर सवाल उठ रहे थे। ऐसे में फेसबुक ने अपने कम्यूनिटी स्टैंडर्ड का पालन करते हुए आपत्तिजनक कंटेट के खिलाफ एक्शन लिया है। फेसबुक ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के साथ इम्प्रूव्ड टेक्नोलोजी का प्रयोग करने से वह ग्राफिक हिंसा वाली 3.4 मिलियन पोस्ट पर कार्रवाई कर पाई।
यह संख्या वर्ष 2017 के अंतिम क्वार्टर की तुलना में तीन गुना ज्यादा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि ऐसे 85.6 फीसदी मामलों में फेसबुक ने यूजर्स द्वारा अलर्ट करने से पहले ही इमेज डिटेक्ट कर ली। कंपनी ने यह रिपोर्ट पेश करने से एक दिन पहले कहा था कि उसके प्लेटफॉर्म पर प्राईवेट यूजर डाटा के मिसयूज मामले में जांच के दौरान करीब 200 एप सस्पेंड कर दिए गए थे।
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नियमों का उल्लंघन करने वालों को जवाब दिया गया है, जिसमें कंटेट हटाने के
अलावा ऐसे कंटेट के साथ चेतावनी जोड़ी गई है, जो कुछ यूजर्स को डिस्टर्ब कर
सकती है। साथ ही कंटेट में मानव जीवन के लिए विशिष्ट, आगामी और प्रामाणिक
खतरा होने की स्थिति में उस पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
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इम्प्रूव्ड आईटी
ने आतंकवाद का प्रचार करने वाली 1.9 मिलियन पोस्ट के खिलाफ एक्शन में भी
फेसबुक की मदद की। इसमें 73 प्रतिशत बढ़ोतरी हुई है। तकरीबन इन सभी पोस्ट
पर कोई अलर्ट रेज करने से पहले ही पार पा लिया गया। इसने फोटो डिटेक्शन
टेक्नोलोजी के विस्तार को जिम्मेदार ठहराया।
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इस अवधि के दौरान फेसबुक ने
नफरत भरी भाषा वाले 2.5 मिलियन कंटेट के खिलाफ एक्शन लिया। यह 2017 की
अंतिम तिमाही से 56 फीसदी ज्यादा है। हालांकि इसमें से सिर्फ 38 फीसदी ही
फेसबुक के प्रयासों से पता चले, बाकी यूजर्स द्वारा।
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जिन पोस्ट ने फेसबुक रिव्यूअर्स को व्यस्त रखा उनमें एडल्ट न्यूडिटी या सेक्सुअल एक्टिविटी शामिल हैं। रिपोर्ट के अनुसार इसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी नहीं है। इस अवधि में करीब 21 मिलियन ऐसी पोस्ट हैंडल की गई और अक्टूबर-दिसंबर 2017 में भी यही संख्या थी।
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