कर्नाटक चुनाव : त्रिशंकु नतीजों से उलझे सियासी समीकरण, राज्यपाल चुन सकते हैं ये विकल्प

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 15 मई 2018, 7:31 PM (IST)

बेंगलूरु। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजों की तस्वीर लगभग साफ हो चुकी है। किसी भी पार्टी को बहुमत का जादुई आंकड़ा मिलते हुए नहीं दिख रहा है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के त्रिशंकु परिणामों से सियासी समीकरण और ज्यादा उलझ गए हैं। भाजपा भले ही सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आती दिख रही है लेकिन बहुत के जादुई आंकडे से पीछे हैं।

वहीं कांग्रेस और जेडीएस क्रमश: दूसरे और तीसरे नंबर पर है, लेकिन इस बीच कांग्रेस ने किंगमेकर की भूमिका में आई जेडीएस को सरकार बनाने का ऑफर देकर समर्थन देने की घोषणा कर दी है।

पंरपरा के मुताबिक राज्यपाल सबसे बड़ी पार्टी को सरकार बनाने के लिए बुलाते हैं ऐसे में राज्यपाल वजूभाई वाला की स्थिति काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। अब इस स्थिति में अब कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई रुदाभाई ‘किंगमेकर’ की भूमिका में आ गए हैं। अब राज्यापल को तय करना है कि वो सरकार बनाने का मौके किसे पहले देते हैं। जानकारों का मानना है कि राज्यपाल को ये तय करने की पूरी छूट है कि वो किसे सरकार बनाने का न्योता देना चाहते हैं।

राज्यपाल के पास अब ये चार विकल्प...
जानकारों का मानना है कि राज्यपाल के पास चार विकल्प हैं जिसे वो अपना सकते हैं।
1. राज्यपाल उस गठबंधन को मौका दे सकते हैं जो चुनाव के पहले तय किए गए थे।
2. राज्यपाल सबसे ज्यादा सीट जीतने वाली पार्टी को बुलाकर सरकार बनाने का न्योता दे सकते हैं।
3. राज्यपाल चुनाव के बाद बने गठबंधन और सहयोगी पार्टियों को सरकार बनाने का मौके दे सकते हैं।
4. राज्यपाल चुनावी नतीजों के बाद सबसे बड़ी पार्टी को अन्य छोटी पार्टियों के सहयोग से सरकार बनाने का न्योता दे सकते हैं। कुल मिलाकर देखा जाए तो कर्नाटक की अगली सरकार बनाने में राज्यपाल की एक बड़ी भूमिका निभाने वाले हैं।

पीएम मोदी के करीबी है राज्यपाल...

गौरतलब है कि कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई रुदाभाई का बीजेपी से भी पुराना नाता रहा है। वो 2012 से 2014 तक गुजरात विधानसभा के स्पीकर रह चुके हैं। केंद्र मोदी सरकार के बनने के बाद उन्हें कर्नाटक का राज्यपाल बनाया गया था। गुजरात सरकार में 1997 से 2012 तक वजुभाई गुजरात सरकार में वित्त मंत्री रहे। इससे पहले साल 2001 में वजुभाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए अपनी सीट भी छोड़ी थी।

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