खाने में यदि दही न हो तो खाना पूर्ण नहीं होता। यज्ञ, हवन, विवाह संस्कार
तथा मंदिरों में प्रसाद आदि के मांगलिक अवसरों पर दही का प्रयोग होता रहा
है। वहीं
दही को सेहत के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। इसमें कुछ ऎसे रासायनिक
पदार्थ होते हैं, जिसके कारण यह दूध की अपेक्षा जल्दी पच जाता है। जिन
लोगों को पेट की परेशानियां जैसे- अपच, कब्ज, गैस बीमारियां घेरे रहती हैं,
उनके लिए दही या उससे बनी लस्सी, मटा, छाछ का उपयोग करने से आंतों की गरमी
दूर हो जाती है। डाइजेशन अच्छी तरह से होने लगता है और भूख खुलकर लगती है।
विशेषज्ञों ने निष्कर्ष निकाला है कि दही के नियमित सेवन से आंतों के रोग
और पेट की बीमारियां नहीं होती हैं तथा कई प्रकार के विटामिन बनने लगते
हैं। दही में जो बैक्टीरिया होते हैं, वे लेक्टेज बैक्टीरिया उत्पन्न करते
हैं।
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गर्मी के दिनों में पसीना काफी निकलता है। पसीने की बदबू दूर करने के लिए
दही और बेसन मिलाकर शरीर पर मालिश करें तथा कुछ देर बाद स्त्रान करें, इससे
पसीने की बदबू दूर हो जाती है।
जैतून के तेल और नींबू के रस के साथ दही को चेहरे पर लगाने से चेहरे का रूखापन समाप्त होता है।
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मुंह के छालों में दही कम करने के लिए दिन में कई बार दही की मलाई लगाएं।
इसके अलावा शहद व दही की समान मात्रा मिलाकर सुबह-शाम सेवन करने से मुंह के
छाले दूर हो जाते हैं।
गर्मी के मौसम में दही की छाछ या लस्सी बनाकर पीने से पेट की गर्मी शांत हो
जाती है। इसे पीकर बाहर निकलें तो लू लगने का डर भी नहीं रहता है।
दही को जीरे व हींग का छौंक लगाकर खाने से जोडों के दर्द में लाभ पहुंचता है। यह स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है।
दही में ह्वदय रोग, हाई ब्लड प्रेशर और गुर्दों की बीमारियों को रोकने की
अjत क्षमता है। यह हमारे रक्त में बनने वाले कोलेस्ट्रोल नामक घातक पदार्थ
को बढने से रोकता है, जिससे वह नसों में जमकर ब्लड सर्कुलेशन को प्रभावित न
करे और हार्टबीट सही बनी रहे।
दही में कैल्शियम की मात्रा अधिक पाई जाती है, जो हमारे शरीर में हड्डियों
का विकास करती है। दांतों एवं नाखूनों की मजबूती एवं मांसपेशियों के सही
ढंग से काम करने में भी सहायक है।
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