कैप्टन अमरिन्दर ने पाक जा रहे फिज़़ूल पानी संबंधी खट्टर की चिंता पर सहमति जताई

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 15 मई 2018, 5:04 PM (IST)

चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने पाकिस्तान को जा रहे फिज़़ूल दरियाई पानी के बहाव संबंधी हरियाणा के सीएम मनोहरलाल खट्‌टर की चिंता पर सहमति जताई। उन्होंने यमुना दरिया के फिज़़ूल जा रहे पानी को रोकने के लिए भी इसी तरह की कोशिश करने का न्योता देते हुए इस मामले को ध्यान से समझे जाने की अपील की है ।
पंजाब और हरियाणा के बीच किसी भी तरह की अलग बातचीत या प्रस्तावित दूसरे रावी-ब्यास लिंक संबंधी अध्ययन के लिए बीबीएमबी की सेवाएं लेने की ज़रूरत की संभावनाओं को कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने रद्द किया है क्योंकि यह मामला राष्ट्रीय प्रोजैक्ट को लागू करने के लिए भारत सरकार द्वारा स्थापित की उच्च सामर्था कमेटी के विचार अधीन है।

पाकिस्तान को जा रहे रावी दरिया के बहाव का प्रयोग संबंधी खट्‌टर के अर्ध सरकारी पत्र नं 81437 (सी), तारीख़ 7-5-18 के जवाब में कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा है कि, ‘हमें दरियाई पानी के सभी फिज़़ूल बहाव को लाजि़मी तौर पर रोकना चाहिए और किसानों के लिए पानी की एक -एक बूँद सुरक्षित बनानी चाहिए परंतु इसका बहुत ध्यान से अनुमान लगाया जाना चाहिए ।’
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने सभी अन्य नदियोँ के भी फिज़़ूल जा रहे पानी के प्रयोग के लिए भी ठोस कोशिशें किये जाने का न्योता देते हुए कहा कि हम पंजाब में रावी और 2 अन्य दरियाओं सतलुज और ब्यास के पानी को किसानों के लिए सुरक्षित करने और किसी भी विधि से इसको फिज़़ूल न जाने देने संंबंधीे विचार किया है । अधिकारित स्रोतों का वर्णन करते हुए उन्होंने कहा कि जुलाई, अगस्त और सितम्बर महीने के दौरान यमुना में 75 प्रतिशत पानी प्राप्त हुआ और इसमें से 50 प्रतिशत फिज़़ूल चला गया ।

दरियाई पानी के फिज़़ूल बहाव को रोके जाने की बात करते हुए कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि पंजाब पानी के गंभीर संकट का सामना कर रहा है और इसको कृषि के लिए 52 एम ए एफ पानी की ज़रूरत है जबकि दरिया केवल मुश्किल से 27 प्रतिशत का ही योगदान डाल रहे हैं । इसके नतीजा के तौर पर किसानों को धरती के निचले पानी पर निर्भर होना पड़ रहा है जिसकी बहुत ही ज़्यादा चिंताजनक स्थिति है और यह बहुत ज़्यादा नीचे चला गया है।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि माधोपुर रिम स्टेशन पर रावी दरिया के बहाव को निर्धारित किया गया है और ऊझ बेई, बासंतर, जल्लाला और तरनाह जैसी ट्रिबूटरियोंं से बहाव हो रहा है जो कि माधोपुर हैड वर्कस से रावी दरिया में पड़ता है । उन्होंने कहा कि जम्मू -कश्मीर सरकार ने अपने क्षेत्र में ऊझ ट्रिबूटरी पर डैम बनाने की योजना बनाई है जिसकी स्थिति ऊपर की तरफ है । ऊझ से मुख्य तौर पर पानी के फिज़़ूल बहाव पर संज्ञान लेते हुए मुख्यमंत्री ने सुझाव दिया कि ऊझ डैम के निर्माण के बाद पानी के उपलब्ध बहाव का जायज़ा लेना उपयुक्त होगा ।
कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने कहा कि वर्ष -2008 में अमतृसर ड्रेनेज सर्कल के सुपरइंटैंडिंग इंजीनियर ने ऊझ टिबूटरी पर स्टोरेज डैम के निर्माण के लिए प्रस्ताव जम्मू और कश्मीर सरकार को भेजा था जिसमें कहा था कि ऊझ स्टोरेज डैम पर पानी का बहुत ज़्यादा बहाव उपलब्ध है जो शाहपुर कंडी बराज की तरफ मोड़ा जा सकता है ।

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पंजाब के मुख्यमंत्री द्वारा हरियाणा के समकक्ष को भेजे गए पत्र में लिखा है कि 1999 से 2008 के समय के पानी के बहाव के आंकड़ों से अधारित और गुगल अर्थ इमेजरीज़ से उपलब्ध आंकड़ों के मुताबिक केंद्रीय जल स्रोत आयोग द्वारा रावी के पानी को हरीके की तरफ या ब्यास दरिया पर किसी अन्य उचित स्थान की तरफ भेजने के लिए दो वैकल्पिक प्रस्ताव तैयार किये थे । उन्होंने कहा कि पहले प्रस्ताव में रावी दरिया के पानी को मकौरा पत्तन पर लिफ़्ट करना था और उसे आर डी 79000 पर यू बीज डी सी मेनलाईन में छोडऩा था जबकि दूसरे प्रस्ताव में जैनपुर से पानी लिफ़्ट करना था और आरडी 79000 में यू बीज डी सी मैन लाईन में छोडऩा था। यह दोनों प्रस्ताव तकनीकी तौर पर अमल में न लाए जाने वाले थे। इस संबंधी में केंद्रीय जल स्रोत आयोग को 2015 में तकनीकी रिपोर्ट प्राप्त हुई थी । कैप्टन अमरिन्दर सिंह ने आगे कहा कि राष्टीय प्रोजैक्ट को लागू करने वाली उच्च सामर्था स्क्रीनिंग कमेटी ने अपनी 3-3-2017 की मीटिंग के दौरान इस पर विचार किया था। केंद्रीय जल स्रोत आयोग और सिंचाई विभाग पंजाब के अधिकारी की एक टीम गठित की थी जिसने प्रस्तावित दूसरे रावी -ब्यास लिंक वाले स्थान का दौरा करना था । इस टीम ने अभी तक किसी भी तकनीकी तौर पर दुरुसत पक्ष का सुझाव नहीं दिया जिसको अंतिम रूप दिया जा सके । इस लिएइस समय रावी पानी के लिए पंजाब में पानी भंडारण का निर्माण करना तकनीकी तौर पर संभव नहीं है ।

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