जज जोसेफ का नाम लौटाए जाने के बाद कांग्रेस ने केंद्र को लिया आडे हाथ

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 26 अप्रैल 2018, 3:58 PM (IST)

नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए जजों की कमेटी (कोलेजियम) की सिफारिश के बाद भी केंद्र सरकार ने जस्टिस केएम जोसेफ के नाम पर कोई मंजूरी नहीं दी है। सरकार ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट की कोलेजियम से कहा कि न्यायमूर्ति के एम जोसेफ को शीर्ष अदालत में पदोन्नत करने की अपनी सिफारिश पर पुन: विचार करें। वहीं, कांग्रेस ने उत्तराखंड हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस जोसेफ को सुप्रीम कोर्ट नहीं भेजने पर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने गुरुवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर कहा, देश में न्यायपालिका की स्वतंत्रता खतरे में है। उन्होंने कहा, सरकार हाईकोर्ट में अपने लोगों को बैठाना चाहती है। जस्टिस केएम जोसेफ पर कोलेजियम की अनुशंसा को सरकार पास नहीं कर रही है।

जोसेफ सबसे काबिल जजों में शुमार होते हैं, लेकिन केंद्र सरकार उनकी नियुक्ति में अड़ंगा लगा रही है। केंद्र को लगता है कि वह काबिल ही नहीं है। साथ ही सिब्बल ने कहा कि जस्टिस जोसेफ ने ही उत्तराखंड में राष्ट्रपति शासन लगाने के एनडीए सरकार के फैसले को पलट दिया था। साथ ही सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट की वरिष्ठ वकील इंदु मल्होत्रा को जज बनने की बधाई दी। वहीं, कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पी. चिदंबरम ने कहा कि कानून के तहत जजों की नियुक्ति में सुप्रीम कोर्ट के कोलेजियम की सिफारिश ही फाइनल और बाध्यकारी होती है। उन्होंने सवाल पूछते हुए कहा कि क्या मोदी सरकार कानून से भी ऊपर है?


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चिदंबरम में एक अन्य ट्वीट में कहा, जस्टिस केएम जोसेफ की नियुक्ति में कौन सी चीज बाधा है। उनका स्टेट या उनका धर्म या उत्तराखंड केस में उनका फैसला। लेकिन, केंद्र सरकार ने कांग्रेस के आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। केंद्रीय कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कांग्रेस के आरोपों को खारिज करते हुए उल्टे कांग्रेस पर ही आरोप लगा डाले। कानून मंत्री ने कहा कि देश के कई जज जस्टिस जोसेफ से सीनियर हैं। आपको बता दें कि कोलेजियम ने सुप्रीम कोर्ट में नियुक्ति के लिए वरीयता क्रम में जस्टिस जोसेफ को पहले और मल्होत्रा को दूसरे नंबर पर रखते हुए सिफारिश की थी। केंद्र सरकार ने इंदु मल्होत्रा के नाम को मंजूरी दे दी, लेकिन जस्टिस जोसेफ के नाम को लंबित रखा है।

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