नई दिल्ली। जैसे-जैसे मई का महीना करीब आ रहा है गर्मी ने अपने तेवर दिखाने शुरू कर दिए है। तेज गर्मी की इस दस्तक के साथ ही देश के कई हिस्सों में पानी का संकट खडा हो गया है। कई जगहों पर लोग पानी को लेकर आपस में भिडते हुए देखे जा सकते हैं। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में तो पानी ना मिलने से परेशान लोगों ने सडकों पर उतर कर हंगामा किया।
कई सरकारी वाहनों में तोडफोड भी की है। महाराष्ट्र के अलावा राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, ओडिशा के कई हिस्सों से भी पानी संकट की खबरें आ रही है। कई स्थानों पर लोग दूषित पानी पीने को मजबूर हैं। देश की राजधानी दिल्ली में भी कई स्थानों में टैंकरों से पानी की सप्लाई की जा रही है। विशेषज्ञों का कहना है कि अभी तो गर्मी की शुरूआत है। गर्मी जब अपने प्रचंड रूप में आएगी तो क्या हाल होगा।
औरंगाबाद में पानी के लिए तोडफोड...
देश के कई हिस्सों में तापमान 40 डिग्री से ऊपर चल रहा है। पारा चढने के साथ ही पानी की समस्या खडी हो गई है। सबसे ज्यादा परेशानी महाराष्ट्र, राजस्थान और ओडिशा में देखने को मिल रही है। महाराष्ट्र के औरंगाबाद में पानी की समस्या से परेशान लोग सडकों पर उतर आए और जमकर उत्पाद मचाया। जानाकारी के मुताबिक, औरंगाबाद के खुल्दाबाद के लोग काफी दिनों से पानी के लिए तरस रहे हैं। लोगों ने जब शोर मचाना शुरू किया तो प्रशासन ने लोगों की मांग पर 18 दिन बाद पानी का एक टैंकर भेजा। स्थानीय लोगों ने आरोप लगाया कि टैंकर में दूषित पानी भरा था। दूषित पानी को देखकर लोगों का गुस्सा भडक गया और प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए सडकों पर उतर आए। गुस्साए लोगों ने सरकारी वाहनों में भी तोडफोड की। महाराष्ट्र रोडवेज की एक बस को क्षतिग्रस्त कर दिया। मौके पर पहुंची पुलिस ने जब भीड को काबू करने की कोशिश की तो लोगों ने पुलिस पर भी पथराव किया। औरंगाबाद के अलावा कई और इलाकों में भी लोग पीने के पानी के संकट से जूझ रहे हैं।
जयपुर में हालत बेहाल...
राजस्थान की बात करें तो राजधानी जयपुर के कई इलाके डार्क जोन घोषित कर दिए गए हैं। जयपुर के खो नागोरियान के लोग पूरी तरह से प्रशासन द्वारा भेजे जा रहे पानी के टैंकरों पर निर्भर हैं। यहां के एक स्थानीय नागरिक ने बताया कि खो नागोरियान की आबादी करीब 5,000 है और प्रशासन हर 2-3 दिन में एक टैंकर पानी भेजता है। पानी का टैंकर आने पर लोगों में पानी भरने के लिए भगदड़ सी मच जाती है। कई बार तो आपस में विवाद भी हो जाता है। राजस्थान के मारवाड इलाके में तो पानी संकट और ज्यादा गहरा गया है।
गड्ढे का दूषित पानी पी रहे हैं लोग...
वहीं ओडिशा की बात करें तो यहां के मयूरभंज में तो लोगों को पानी के लिए की किलोमीटर दूर जाना पडता है। और इतनी दूरी तय करके भी गड्ढों में भरे गंदे पानी को यहां के लोग पीने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। स्थानीय लोगों ने पानी की किल्लत के लिए कई बार स्थानीय प्रशासन को अवगत भी करा दिया, लेकिन प्रशासन द्वारा अभीतक कोई कदम नहीं उठाया गया है। खासबात ये हैं कि इस दूषित पानी के लिए लोगों को कड़ा संघर्ष करना पड़ता है। दिन का एक बड़ा हिस्सा पानी के इंतजाम में ही चला जाता है। लोगों का कहना है कि दूषित पानी पीने से लोग बीमार पड़ रहे हैं। पशुओं के लिए पानी बिल्कुल भी नहीं मिल रहा है।
जल संकट के मुहाने पर गुजरात...
गुजरात के मुख्य सचिव जेएन सिंह ने हाल ही में घोषणा की थी कि नर्मदा में कम पानी होने के कारण वे उद्योगों को पानी उपलब्ध नहीं करा पाएंगे तथा उन्होंने स्थानीय निकायों से इन गर्मियों पानी की वैकल्पिक व्यवस्था करने के लिए कहा है। नर्मदा नदी के तट के आसपास के इलाकों मुख्यत: मध्य प्रदेश में पिछले मानसून के दौरान कम बारिश हुई और पश्चिमी राज्य को सामान्य मानसून के मुकाबले सरदार सरोवर बांध से केवल 45 फीसदी पानी ही मिला। जल प्रबंधन पर गुजरात के मुख्यमंत्री के सलाहकार बी एन नवलवाला ने मीडिया से कहा, ‘हां, हमें यह धारणा बदलने की जरूरत है कि हम नर्मदा पर सरदार सरोवर परियोजना पर पूरी तरह निर्भर हैं।
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