एनआरएचएम कर्मियों का शोषण बंद करे भाजपा सरकार : पायलट

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 19 अप्रैल 2018, 5:22 PM (IST)

जयपुर। राजस्थान प्रदेश कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष सचिन पायलट ने एनआरएचएम कर्मियों के प्रति प्रदेश सरकार की अनदेखी को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। पायलट ने कहा कि गत दिनों प्रधानमंत्री की सभा में एनआरएचएम कर्मियों द्वारा अपनी वाजिब मांगों के लिए किए गए प्रदर्शन के प्रति प्रदेश की भाजपा सरकार ने दमनात्मक रवैया अपना रखा है, जिसके चलते कहीं भी सरकार के समक्ष एनआरएचएम कर्मी अपनी मांग रखने का प्रयास करते हैं तो उन्हें पुलिस गिरफ्तार कर लेती है, जिससे पता चलता है कि सरकार के रवैये में उनके प्रति दुर्भावना घर कर गई है।

उन्होंने कहा कि इस वर्ग के द्वारा प्रदेश में स्वास्थ्य व्यवस्था को सुचारू रखा जाता है और इसी वर्ग की सरकार के स्तर पर घोर अनदेखी की जा रही है। उन्होंने कहा कि एनआरएचएम कर्मी लम्बे समय से न्यूनतम मजदूरी से कम मानदेय पर काम कर रहे हैं। इस पर संवेदनशीलता दिखाते हुए गत कांग्रेस सरकार ने इनके नियमितीकरण की घोषणा की थी, जिसके अनुसार सरकार के चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा सीधी भर्ती के तहत बोनस अंकों के आधार पर भर्ती की जानी थी। उन्होंने कहा कि उस दौरान न्यायालय में प्रकरण जाने से प्रक्रिया बाधित हो गई थी। उन्होंने कहा कि भाजपा ने अपने घोषणा पत्र में एनआरएचएम कर्मियों को नियमित करने का वादा किया था, परंतु चार बाद भी एनआरएचएम प्रबंधकीय वर्ग की भर्ती को अभी तक लम्बित रखा गया है और सच्चाई तो यह है कि गत सरकार द्वारा घोषित एनआरएचएम प्रबंधकीय भर्ती जिसकी मैरिट सूची जारी होना शेष रह गया था, उसे चिकित्सा विभाग द्वारा भाजपा सरकार बनने के बाद निरस्त कर भर्ती पूर्ण होने की झूठी सूचना जारी कर दी गई है।

पायलट ने कहा कि एनआरएचएम में कार्यरत आयुष चिकित्सकों व नर्सिंग कर्मियों के वेतन में 40 से 200 प्रतिशत की वृद्धि की गई है, जबकि प्रबंधकीय वर्ग के इन संविदा कर्मियों को नियुक्ति पत्र के शर्तानुसार 10 प्रतिशत वेतन वृद्धि का भी भुगतान नहीं किया जा रहा है और पुलिस को मांग रखने पर गिरफ्तार करने के आदेश सरकार ने दे रखे हैं, जिससे स्पष्ट होता है कि सरकार अल्प मानदेय पर काम करने वाले इस वर्ग के शोषण पर आमदा है। उन्होंने मांग की है कि सरकार एनआरएचएम संविदाकर्मियों की सभी मांगों को मानते हुए उनके प्रति अपनाई गई दमन की नीति पर विराम लगाए।

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