2 बार आए ऐसे मौके जब पूरा ढक दिया गया ताजमहल, जानियें-क्यों?

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 18 अप्रैल 2018, 1:17 PM (IST)

नई दिल्ली। यमुना नदी के किनारे सफेद पत्थरों से निर्मित अलौकिक सुंदरता की तस्वीर ताजमहल न केवल भारत में, बल्कि पूरे विश्व में अपनी पहचान रखता है। ताजमहल को दुनिया के सात अजूबों में शामिल किया गया है। लेकिन, क्या आपको पता है कि ताजमहल के इतिहास में दो बार ऐसे मौके भी आए, जब ताजमहल की सुरक्षा खतरे में पड़ गई। ऐसे में उस वक्त की मौजूदा सरकार ने कुछ ऐसे फैसले लिए, जिसे शायद आप भी सुनकर चौंक जाओगे। जी हां, 1971 में पाकिस्तान से बचाने के लिए ताजमहल को 15 दिन तक हरे कपड़े से ढका गया था और 1942 में द्वितीय विश्व युद्ध के समय ताजमहल को बासं-बल्लियों से ढका गया था।

15 दिनों तक हरे कपड़े से ढका गया ताजमहल

1971 में पाकिस्तान सेना ताज महल को निशाना बनाना चाहती थी। खुफिया रिपोर्ट मिली की पाकिस्तानी वायुसेना आगरा में हवाई हमला कर सकती है। ऐसे में सरकार ने ताजमहल को हरे कपड़े से ढकने का फैसला लिया। सरकार का प्लान था कि जब पाक वायुसेना के विमान ताजमहल के ऊपर से गुजरेंगे तो वे उसे हरियाली वाला इलाका समझ कर वापस चले जाएंगे। वहीं इसके साथ चांदनी रात में ताजमहल की जमीन पर लगे संगमरमर चमके नहीं, इसके लिए उस पर झाडिय़ों को रखा गया था। करीब 15 दिनों तक ताजमहल पर हरे कपड़े से ढका था।

ताजमहल को बांस और बल्लियों से ढकने का फैसला
1942 में दुनियाभर में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया था। मित्र देश अपने दुश्मनों पर हमला कर रहे थे। इसी दौरान अमरीका और ब्रिटेन को खुफिया जानकारी मिली कि जापान और जर्मनी मिलकर ताजमहल को गिराना चाहते हैं। इसके लिए वे ताजमहल पर हवाई हमला करने का प्लान बना रहे थे। तभी सरकार ने ताजमहल को निरंतर गिरने वाले बॉम्ब्स से सुरक्षित रखने के लिए विशेष प्रकार की घेराबंदी की। ताजमहल को बांस और बल्लियों से ढकने का फैसला लिया। इसके बाद पूरे ताज महल को ऐसा ढंका गया जैसे वो बांस का गट्ठर लगे और दुश्मन के लड़ाकू विमान भ्रमित हो जाएं।



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ताजमहल अतुलनीय धरोहर

ताजमहल भारत के आगरा शहर में स्थित एक विश्व धरोहर मकबरा है। इसका निर्माण मुग़ल सम्राट शाहजहां ने अपनी पत्नी मुमताज की याद में करवाया था। ताजमहल मुगल वास्तुकला का उत्कृष्ट नमूना है। इसकी वास्तु शैली फ़ारसी, तुर्क, भारतीय और इस्लामी वास्तुकला के घटकों का अनोखा सम्मिलन है। सन् 1983 में, ताजमहल युनेस्को विश्व धरोहर स्थल बना। इसके साथ ही इसे विश्व धरोहर के सर्वत्र प्रशंसा पाने वाली, अत्युत्तम मानवी कृतियों में से एक बताया गया। ताजमहल को भारत की इस्लामी कला का रत्न भी घोषित किया गया है। साधारणतया देखे गये संगमर्मर की सिल्लियों की बडी- बडी पर्तो से ढंक कर बनाई गई इमारतों की तरह न बनाकर इसका श्वेत गुम्बद एवं टाइल आकार में संगमर्मर से ढंका है। केन्द्र में बना मकबरा अपनी वास्तु श्रेष्ठता में सौन्दर्य के संयोजन का परिचय देते हैं। ताजमहल इमारत समूह की संरचना की खास बात है, कि यह पूर्णतया सममितीय है। इसका निर्माण सन् 1648 के लगभग पूर्ण हुआ था। उस्ताद अहमद लाहौरी को प्राय: इसका प्रधान रूपांकनकर्ता माना जाता है।

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