सिरोही। गुजरात उच्च न्यायालय के न्यायाधीश एसएच वोरा ने शनिवार को श्री पावापुरी तीर्थ जीव मैत्रीधाम में श्री शखेश्वर पार्श्वनाथ जिनालय में धर्मपत्नी कल्पना शाह के साथ केसर पूजा की। उन्होंने पावापुरी चौमुखा जल मंदिर में महावीर परमात्मा के दर्शन करने के बाद गोशाला में गोमाता को गुड़ एवं पौष्टिक लड्डू खिलाए। उन्होंने गोशाला के रखरखाव, हरा-सूखा चारा, चिकित्सा एवं पेयजल के बारे में जानकारी ली।
न्यायाधीश ने केपी संघवी आर्ट गैलेरी में 24 तीर्थंकरों के केनवास पर बनी हस्तपेंटिंगों को देखते हुए कहा कि चित्रकारों ने ऐसी कला उकेरी है, जिसको देखकर व्यक्ति का मन हर्षित हो जाता है। उन्होंने कहा कि यह अद्भुत चित्रकारी जैन धर्म के बारे में नई पीढ़ी के लिए उपयोगी एवं सार्थक है। नई पीढ़ी को यह पता चलता है कि जैन धर्म में किस तरह के महामंत्रों की रचना हुई है और तीर्थंकरों ने अपने जीवन में किस तरह के कष्ट सहे और किस प्रकार त्याग व तपस्या की।
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न्यायाधीश ने कहा कि वे 5 वर्ष पहले भी पावापुरी आए थे, लेकिन आज आने पर
लगा कि तीर्थ निर्माता केपी संघवी परिवार आज भी इसका संचालन बखूबी कर रहे
हैं और साफ-सफाई, प्रबंधन एवं अन्य व्यवस्थाओं को अभी भी उच्चस्तरीय बनाए
रखा हैं।
तीर्थ ट्रस्ट की ओर से मैनेजिंग ट्रस्टी महावीर जैन ने
तीर्थ की 18 वर्षों की प्रगति एवं व्यवस्थाओं की जानकारी देते हुए
न्यायाधीश को मेवाड़ी पगड़ी पहनाकर एवं तिलक लगाकर अभिनंदन किया।
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