चांग गेट पर हुआ 'द आरटीआई स्टोरी' का विमोचन

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 09 अप्रैल 2018, 09:27 AM (IST)

अजमेर/ब्यावर| शहर के ऐतिहासिक चांग गेट पर सूचना के अधिकार के लिए लगे धरने की यादों को संजोते हुए अरुणा रॉय और मजदूर किसान शक्ति संगठन के साथियों द्वारा लिखी पुस्तक 'द आरटीआई स्टोरी : पॉवर टू द पीपल' का विमोचन हुआ। कार्यक्रम की शुरुआत 'घोटाला रथ यात्रा' से हुई, जिसने आस-पास के बाजारों में घूमकर लोगों को हंसते-हंसाते हमारे समाज और राजनीति में मौजूद विडंबनाओं और विरोधाभासों पर सोचने को मजबूर कर दिया। बाईस साल पहले छह अप्रैल को देश में सूचना के अधिकार के लिए पहला धरना भीम के समीप स्थित देवडूंगरी के मजदूर किसान शक्ति संगठन की अगुवाई में चांग गेट (ब्यावर) पर शुरू हुआ था। यह धरना लगातार 40 दिनों तक चला, जिसमें ब्यावर और उसके आस-पास के मजदूरों, व्यापारियों, पत्रकारों, राजनेताओं और सभी तरह के लोगों ने अपना समर्थन दिया। इसी की याद में पुस्तक का लोकार्पण छह अप्रैल की शाम चांग गेट पर किया गया। इस धरने से सूचना के अधिकार के लिए उठी आवाज सूचना के जन अधिकार के राष्ट्रीय अभियान में तब्दील हुई और कई सालों के अथक संघर्ष के बाद 2005 में अंतत: सूचना के अधिकार का कानून अस्तित्व में आया, जिसने भारतीय परिदृश्य में हमेशा के लिए नागरिकों और राज्य सत्ता के बीच रिश्ते को पुनर्परिभाषित कर दिया। 'द आरटीआई स्टोरी : पॉवर टू द पीपल' अरुणा रॉय और उनके साथियों द्वारा लिखी गई किताब है, जो 1987 से लेकर 2005 तक के उनके सफर की कहानी बयां करती है। इस किताब में सोहनगढ़ के भूमि-संघर्ष, मजदूर किसान शक्ति संगठन की शुरुआत, न्यूनतम मजदूरी के लिए संघर्ष, जन-सुनवाइयों की शुरुआत और प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही के लिए चले लंबे संघर्षो के कई किस्सों को पिरोया गया है। वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता अरुणा रॉय ने कहा, "जिस धरती से सूचना के अधिकार की आवाज सबसे पहले उठी, आज फिर हम उसी धरती पर इकट्ठा हुए हैं, क्योंकि सूचना के अधिकार और पारदर्शिता पर जो खतरे मंडरा रहे हैं, उनसे लड़ने के लिए हमें फिर एक बार साथ आने की जरूरत है। हमें ये समझना होगा कि भारतीय लोकतंत्र को अगर हमें जीवित रखना है तो हर नागरिक को सत्ता से सवाल पूछने होंगे और उनके जवाब मांगने होंगे।" प्रधान सम्पादक दीनबंधु चौधरी ने इस किताब को जनता को समर्पित करते हुए कहा कि ब्यावर से उठे इस सूचना के अधिकार आंदोलन ने पूरे देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया में तहलका मचा दिया था और इस कानून ने देश के नागरिकों को सशक्त किया है। निखिल डे ने कहा कि अक्सर अंग्रेजी में छपने वाली किताबों का विमोचन बड़े शहरों के वातानुकूलित सभागारों में होता है, लेकिन चूंकि यह किताब गांवों और छोटे कस्बों के आम लोगों के साथ मिलकर संघर्ष करने की कहानी है और उन्हीं के द्वारा लिखी गई है तो यह माकूल है कि इसका लोकार्पण यहां चांग गेट की सड़क पर आम लोगों के बीच हो रहा है। किताब प्रकाशक दिल्ली की 'रोली बुक्स' की प्रिया कपूर भी इस मौके पर मौजूद रहीं।

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