CWG 2018 : अब सतीश की शादी करना चाहते हैं माता-पिता

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 07 अप्रैल 2018, 2:42 PM (IST)

चेन्नई। भारत के लिए 21वें राष्ट्रमंडल खेलों में शनिवार को तीसरे दिन तीसरा स्वर्ण पदक जीतने वाले भारोत्तोलक सतीश शिवालिंगम के माता-पिता इस बात से बेहद गौरवांवित हैं और अब वे अपने बेटे की शादी कराना चाहते हैं। आईएएनएस के साथ फोन पर हुई बातचीत में सतीश की मां देवानाई और पिता एन. शिवालिंगम ने अपनी इस इच्छा को जाहिर किया। सतीश ने भारोत्तोलन की पुरुषों की 77 किलोग्राम भारवर्ग स्पर्धा में भारत को सोने का तमगा दिलाया। सतीश ने स्नैच में 144 का सर्वश्रेष्ठ भार उठाया तो वहीं क्लीन एंड जर्क में 173 का सर्वश्रेष्ठ भार उठाया। कुल मिलाकर उनका स्कोर 317 रहा। उन्हें क्लीन एंड जर्क में तीसरे प्रयास की जरूरत नहीं पड़ी। मां देवानाई और पिता शिवालिंगम से जब पूछा गया कि राष्ट्रमंडल खेलों में बेटे को स्वर्ण पदक जीतते हुए देखने के बाद उनकी अगली इच्छा क्या है, तो उन्होंने कहा कि वे 26 वर्षीय सतीश की एक अच्छी लडक़ी से शादी कराना चाहते हैं। देवानाई ने कहा, सतीश कहता है कि वह अभी अपने खेल पर ध्यान देना चाहता है, क्योंकि उसके पास अभी काफी उम्र पड़ी है। वह ओलम्पिक में पदक जीतना चाहता है, लेकिन माता-पिता होने के नाते हम अपने बेटे का घर बसते हुए देखना चाहते हैं। सतीश के माता-पिता ने कहा कि उनका बेटा केवल एक बार बिना पदक के घर लौटा था और इसके बाद वह हमेशा पदक के साथ ही घर लौटा। सतीश की मां एस. देवानाई ने आईएएनएस को फोन पर दिए बयान में कहा, खेलों से पहले उसे पैर में चोट लग गई थी। 2014 राष्ट्रमंडल खेलों में वह अच्छी फॉर्म में था। देवानाई ने कहा, सतीश कभी भी बिना पदक के घर नहीं लौटा। ओलम्पिक खेलों का एक मौका था, जब वह पदक हासिल नहीं कर पाया था।

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सतीश के पिता एन. शिवालिंगम ने कहा, हम बहुत घबराए हुए थे। सतीश हमेशा हमसे फोन पर बात करता था। उसने कहा था कि उसे ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड से कड़ी प्रतिस्पर्धा मिलेगी। पूर्व सैनिक शिवालिंगम ने कहा, सतीश जब पोडियम पर था उस समय भारत का राष्ट्रगान बजने पर हमें बहुत गर्व महसूस हुआ। खेल में अपने बेटे के शुरुआती दिनों को याद करते हुए शिवालिंगम ने कहा, सतीश जब आठवीं कक्षा में था, तो उसने हमसे कहा था कि उसके स्कूल के प्रशिक्षक मास्टर ने उसे भारोत्तोलन प्रतियोगिता में हिस्सा लेने के लिए कहा है। मैंने इसके लिए स्वीकृति दे दी और उसे प्रशिक्षित करना शुरू किया। सतीश ने इसके बाद जिला स्तर पर आयोजित प्रतियोगिता जीती और राष्ट्रीय स्कूल चैम्पियनशिप में भी खिताबी जीत हासिल की। इसके बाद उसने जूनियर और सीनियर वर्ग में भी खिताब जीते। प्रशिक्षण के दौरान सतीश की डाइट के बारे में शिवालिंगम ने कहा, हम उसकी रोजमर्रा की प्रैक्टिस के अलावा उसके खाने-पीने का पूरा ध्यान रखते थे। हम उसे आधा लीटर दूथ, मीट और हर दिन दो अंडे खाने के लिए देते थे। खेल में काफी प्रोटीन की जरूरत होती है और एक खिलाड़ी को कभी थका हुआ महसूस नहीं करना चाहिए। उन्होंने कहा, कॉफी में कैफीन होता है, तो यह सतीश के लिए मना था। वह मेरी हर बात मानता था और प्रशिक्षण करता था। इसके बाद वह पटियाला में राष्ट्रीय शिविर के लिए गया। तमिलनाडु के खेल विकास प्राधिकरण में भारोत्तोलन कोच एल. विनायगमूर्थी ने आईएएनएस को कहा, 2006 से 2009 के बीच सतीश ने मेरे मार्गदर्शन में प्रशिक्षण किया और 2010 में वह राष्ट्रीय शिविर में शामिल हुआ। स्कूल के दिनों में सतीश ने राष्ट्रीय स्तर पर 2007 में स्वर्ण पदक जीता। उन्होंने स्कूल की प्रतियोगिताओं और राष्ट्रीय भारोत्तोलन चैम्पियनशिपों में कई स्वर्ण पदक जीते। शिवालिंगम के मुताबिक, पहले सातुवाचारी में लोग भारोत्तोलन जैसे खेल में शामिल हो जाते थे क्योंकि इससे रेलवे, सेना और अन्य सरकारी संगठनों में आसानी से नौकरी मिल जाती थी। उन्होंने कहा कि वहां 40 साल पहले भी जिम हुआ करते थे। विनायगमूर्थी के अनुसार, वैल्लोर जिले ने चार अर्जुन पुरस्कार खिलाड़ी, छह ओलम्पिक खिलाड़ी और अंतर्राष्ट्रीय स्तरों पर 40 पदक जीतने वाले खिलाड़ी दिए हैं।

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