इंदौर। भूत-प्रेत के नाम सुनते ही लोगों में एक अनजाना भय लोगो की मन को सताता है। इसके किस्से भी सुनने को मिल जाते है और लोग बहुत रुचि व विस्मय के साथ इन्हें सुनते है। लेकिन क्या वास्तव में भूत-प्रेत होते है! यह प्रश्न उठना स्वाभाविक है। परंपरागत तौर पर यही माना जाता है कि भूत उन मृतको की आत्माएं हैं, जिनकी किसी दुर्घटना, हिंसा, आत्महत्या या किसी अन्य तरह के आघात आकस्मिक मृत्यु हुई है। ऐसे में देश के अंदर एक ऐसा शहर भी जिसको भूतों का इलाका माना जाता है।
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जी हां, हम बात कर रहे है मध्यप्रदेश के भोपाल शहर की जहां आज भी लोग रात को जाने से डरते है। भोपाल में शायद ही कोई ऐसा होगा जो इस भूत बंगले को न जानता हो। यह भोपाल में सबसे भयानक बंगलों में गिना जाता है। इस बंगले से जुडे डरवाने किस्से किसी के भी होश उडा सकते हैं। स्थानीय लोगों का दावा है कि यहां भूत-प्रेतों का साया है। यह बंगला किसी अग्रवाल परिवार का बताया जाता है, जो प्रोफेसर कॉलोनी में स्थित है। लोगों का मानना है कि यहां शाम के बाद डरवानी आवाजे सुनाई देती हैं। इसलिए इस बंगले के आसपास कोई नहीं भटकता है।
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डॉओ इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स भोपाल के चुनिंदा प्रेतवाधित स्थानों में गिना
जाता है। माना जाता है यहां भोपाल गैस त्रासदी में शिकार बने लोगों की
आत्माएं भटकती है। भोपाल गैस त्रासदी भारत में अबतक की सबसे बडे हादसों में
गिना जाता है। जिसमें हजारों लोगों की जान गई थी। यह जगह पूरी तरह उजड
चुकी है, जहां कोई अब आता जाता नहीं। इस इंडस्ट्रियल कॉम्प्लेक्स के डरावने
अनुभवों के कारण इसे भोपाल के चुनिंदा सबसे डरवानी जगहों में गिना जाता
है। हालांकि यह चर्च भोपाल का हिस्सा नहीं है लेकिन जब भी बात मध्य प्रदेश
की भुतहा जगहों की होती है तो इस चर्च का नाम जरूर आता है। स्थानीय लोगों
मानना है कि यहां चर्च में किसी बच्चे के रोने की आवाजे सुनाई देती है। साथ
ही कई लोगों ने यहां अजीबोगरीब घटनाओं का अनुभव किया है। जानकारों के
अनुसार इस चर्च को जला दिया गया था, जिसके बाद से यह चर्च आज तक एक खंडहर
रूप में पडी है।
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मध्य प्रदेश स्थित इस प्राचीन किले का निर्माण लगभग 2100 वर्ष पहले वीर खंडेराव ने करवाया था। लेकिन यह अपने इतिहास से ज्यादा कई अन्य कारणों की वजहों से ज्यादा प्रसिद्ध रहा। स्थानीय निवासियों के अनुसार खंडेराव एक मनोरंजन प्रेमी शासक थे, जिनके दराबार में रोजाना नृत्य-संगीत का आयोजन होता था। लेकिन अब यह किला एक खंडहर में तब्दील हो चुका है जहां अब कोई नहीं रहता है। दिन के समय यह जंगली जीवों का घर बन जाता है, लेकिन शाम होते ही यहां कोई जाने की हिम्मत नहीं करता। लोगों का मानना है कि यहां रात के समय नृत्य-संगीत की आवाजें सुनाई देती हैं, जैसे खंडेराव के समय नृत्य-संगीत का आयोजन करवाया जाता था। यहां कई अनहोनियां घट चुकी हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि जो कोई भी इन आयोजनों को देखता है वह जिंदा नहीं लौटाता। इसलिए यह किला भोपाल का सबसे प्रेतवाधित स्थान माना जाता है।
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