चंडीगढ़। हरियाणा कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के
प्रधान सचिव डा. अभिलक्ष लिखी ने किसानों का आह्वान किया कि वे कीटनाशकों
के प्रयोग को कम करते हुए जैविक खेती की ओर तीव्रता से कदम बढ़ायें। जैविक
खेती समय की मांग है, जिससे किसानों की आय में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी।
जैविक खेती जनमानस के साथ-साथ मिट्टी के स्वास्थ्य के लिए भी लाभकारी होती
है। किसानों को जैविक खेती की ओर लौटने की आवश्यकता है।
डॉ अभिलक्ष
लिखी रोहतक में आयोजित तृतीय कृषि नेतृत्व शिखर सम्मेलन के अंतर्गत आज
किसानों व कृषि विज्ञान केंद्र के अधिकारियों तथा कृषि वैज्ञानिकों की बैठक
को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित कर रहे थे।
उन्होंने कहा कि आज के
दौर में खेतीबाड़ी में कीटनाशकों का उपयोग बड़े स्तर पर किया जा रहा है,
जिससे लोगों का स्वास्थ्य खराब हो रहा है। बिना सही जानकारी के कीटनाशकों
के उपयोग को उचित नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा कि पुराने दौर में
किसानों को कीटनाशकों की आवश्यकता ही नहीं होती थी। किंतु अब किसानों की
कीटनाशकों पर निर्भरता प्रतीत होने लगी है। इसे दूर करने की जरूरत है ताकि
भूमि की उर्वरा शक्ति को कायम रखा जा सके।
प्रधान सचिव अभिलक्ष लिखी
ने फसलों के विविधिकरण पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा कि केवल एक-दो फसलों
की पैदावार में लगे रहना मुनाफा नहीं देगा। इसलिए किसानों को परंपरागत
धान-गेहूं की फसलों से ऊपर उठकर बागवानी की ओर बढऩा चाहिए। सब्जियों की
पैदावार करनी चाहिए। फूलों की खेती खासी लाभकारी होती है। इसके अलावा
उन्होंने कृषि विभाग, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) तथा किसानों के बीच
बेहतरीन तालमेल की जरूरत पर बल दिया। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था कायम
करनी होगी ताकि किसानों को अधिकाधिक लाभ मिल सके।
बैठक की अध्यक्षता कर
रहे हरियाणा राज्य कृषि विपणन बोर्ड के मुख्य प्रशासक मंदीप सिंह बराड़ ने
कृषि विज्ञान केंद्रों (केवीके) की कार्यप्रणाली में सुधार पर जोर दिया।
उन्होंने कहा कि आज जरूरत है कि केवीके जिम्मेदारीपूर्वक सार्थक भूमिका
निभाये। केवीके को किसान-व्यवसायी तथा कृषि विश्वविद्यालयों के मध्य कड़ी
का काम करना होगा। कृषि क्षेत्र के शोधार्थियों को किसानों तक पहुंचाने का
कार्य केवीके को करना चाहिए। साथ ही शोध एवं नवीनतम जानकारी एकत्रित करते
रहना चाहिए। उन्होंने निराशा व्यक्त की कि विदेशों में प्रतिबंधित
कीटनाशकों का उपयोग भारतीय किसान आज भी कर रहे हैं। इस दिशा में केवीके को
चाहिए कि वे सरकार को अपडेट दें ताकि उन पर प्रतिबंध लगाया जा सके।
उन्होंने कहा कि भारतीय पैदावार के तहत बहुत से फल, फूल, सब्जियां
आदि फसलों को अंतर्राष्ट्रीय स्तर के मानकों पर सफलता नहीं मिल पाती। इसका
एक प्रमुख कारण कीटनाशकों का अत्यधिक प्रयोग के रूप में सामने आता है। यदि
जैविक खेती करेंगे तो शुद्धता, गुणवत्ता बढ़़ेगी। कीटनाशकों के प्रयोग से
पैदावार एक निश्चित अवधि तक जाकर रूक जाएगी। केवीके को लाभकारी एवं जरूरी
जानकारी किसानों तक पहुंचानी चाहिए।
इस दौरान हरियाणा स्टेट वेयर
कार्पोरेशन के एमडी आरसी बिधान ने कहा कि सरकार का प्रयास है कि किसान व
बाजार के बीच सीधा तालमेल स्थापित किया जाये। ऐसा करने से किसानों को
बिचौलियों से छुटकारा मिलेगा। इसका सीधा लाभ किसानों को मिलेगा। उन्होंने
किसानों का आह्वान किया कि वे अपनी भूमि का विशेष ध्यान रखें। समय-समय पर
मिट्टी की जांच कराते रहना चाहिए। उन्होंने किसानों से सवाल किया कि वे
कीटनाशकों के प्रयोग को नियंत्रित किस प्रकार से करते हैं। उन्होंने कहा कि
कीटनाशकों का अनियंत्रित उपयोग फसलों को जहरीला बना देता है। इस मौके पर
उपस्थित किसानों ने विभिन्न सवाल किये जिनके उन्हें संतोषजनक उत्तर मिले।
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