हादिया ने बताईं, सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाने की 2 बड़ी वजह

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 12 मार्च 2018, 5:02 PM (IST)

तिरुवनंतपुरम। लव जिहाद मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा शफीन जहां से शादी को बरकरार रखने के फैसले के बाद अपने गृहराज्य केरल पहुंची हादिया ने सोमवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस की। हादिया ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर खुशी जताते हुए दावा किया कि उसके परिजनों ने उसे घर में बंद कर दिया था। हादिया ने कहा कि वह मुसलमान के रूप में जीवन बिताना चाहती थीं, इसीलिए वह सुप्रीम कोर्ट गईं। हादिया ने कहा कि मुझे घर में बंद कर दिया गया था, इसलिए मुझे कुछ भी पता नहीं था। बाहर निकली तो पता चला कि कितने लोग मेरे लिए काम कर रहे हैं। मैं उन सभी लोगों को धन्यवाद देना चाहती हूं, जिन्होंने मेरी स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। मैं अपने स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ रही थी, इसीलिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

उन्होंने कहा, मैं किसी के ऊपर आरोप नहीं लगाना चाहती हूं। मेरे दो साल केवल कानूनी लड़ाई लडऩे में बीत गए। आखिरकार मुझे कोर्ट से न्याय मिला। हादिया ने कहा, मुझे 100 फीसदी विश्वास है कि मैंने कोई गलती नहीं की लेकिन मुझे घर में कैद कर दिया गया जो इस देश में नहीं होना चाहिए। हादिया ने कहा वह एक मुसलमान के रूप में जीवन बिताना चाहती हैं और अपने पार्टनर के साथ रहना चाहती थीं। इन्हीं दो कारणों की वजह से मैंने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। हादिया ने कहा, अब जब भी मैं घर में रुकती हूं अच्छा लगता है। मैं कोर्ट के फैसले के बेहद खुश हूं। मेरा संघर्ष तब शुरू हुआ जब मैंने शादी की। फिर मैं कोर्ट पहुंची। मुझे काफी प्रताडऩा से गुजरना पड़ा।

इससे पहले शनिवार को केरल पहुंचने पर हादिया ने कहा था यह सब मेरे इस्लाम कबूलने की वजह से हुआ। हादिया ने मीडिया के साथ बातचीत के दौरान कहा था संविधान अपना धर्म चुनने की पूरी अजादी देता है, जो हर नागरिक का मौलिक अधिकार है और यह सब मेरे इस्लाम कबूलने की वजह से हुआ। सुप्रीम कोर्ट ने आठ मार्च को केरल हाईकोर्ट के उस को पलट दिया था, जिसमें दोनों की शादी को रद्द कर दिया गया था। हादिया ने कहा था सुप्रीम कोर्ट द्वारा हमारी शादी बरकरार रखे जाने से हमें ऐसा लग रहा है कि हमें आजादी मिल गई है। हादिया (24) जो पहले अखिला अशोकन थी, उसने इस्लाम कबूल कर शफीन जहां से शादी कर ली थी। हादिया के पिता ने आरोप लगाया था कि आतंकवादी संगठनों से संबंधित समूहों ने जबरन उसका धर्म परिवर्तन कराया।

तमिलनाडु के सेलम लौटने से पहले हादिया तीन दिन और केरल में रहेंगी। वह वहां (सेलम) पढ़ाई कर रही हैं। हादिया ने कहा, मुश्किल की घड़ी में सिर्फ पीएफआई ने उनका साथ दिया और सबसे हैरानी की बात यह रही कि जिन दो मुस्लिम संगठनों से हमने मदद मांगी, उन्होंने हमारी सहायता करने से इनकार कर दिया। प्रधान न्यायाधीश दीपक मिश्रा, न्यायाधीश ए.एम. खानविलकर और न्यायाधीश डी. वाई. चंद्रचूड़ ने गुरुवार को कहा, हादिया उर्फ अखिला अशोकन को कानून के मुताबिक अपना जीवन जीने की आजादी है।


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