फर्जी तरीके से 300 एकड़ जमीन पर निवेशकों से वसूले करोड़ों रुपए, जेडीए को भनक तक नहीं?

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 27 फ़रवरी 2018, 8:51 PM (IST)

जयपुर। जनता का करोड़ों रुपया हड़पकर फर्जी तरीके से दिल्ली रोड पर दौलतपुरा स्थित अप्पू घर के नाम पर मेगा ट्यूरिज्म सिटी योजना को लेकर फिर से बखेड़ा शुरू हो गया है। योजना में दुकानों और मॉल के नाम पर हजारों इनवेस्टर्स ने कंपनी के डायरेक्टर्स के खिलाफ करोड़ों रुपए की धोखाधड़ी का आरोप लगाते हुए हरमाड़ा थाने में मामला दर्ज कराया है।

योजना में मॉल और दुकान के नाम पर करोड़ों रुपए इन्वेस्ट करने वाले पीड़ित रिटायर्ड विंग कमांडर सुखवीर सिंह, मोहित तिवाड़ी, श्रदेव खाकर सहित दर्जनों लोगों का आरोप है कि दिल्ली की इंटरनेशनल एम्युजमेंट एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड अप्पू घर ने दिल्ली रोड पर दौलतपुरा में मेगा टयूरिज्म सिटी लॉन्च की। कंपनी ने करीब 300 एकड़ की जमीन पर वर्ष 2011 में फर्जी तरीके से जेडीए अधिकारियों की मिलीभगत से लोगों से विला, मॉल और दुकान के नाम पर करीब 2 हजार करोड़ रुपए से ज्यादा की राशि बुकिंग के नाम पर वसूल ली। योजना को तय की गई मियाद के तहत करीब दो साल में पूरा करना था। इस दौरान कंपनी ने इनवेस्टर्स को 500 स्क्वायर फीट की दुकान खरीदने और 90 फीसदी पेमेंट देने पर 52 रुपए प्रति स्क्वायर की दर से हर महीने इन्वेस्ट मनी के ब्याज का दो साल तक भुगतान करने का दावा किया।

खास बात ये है कि कंपनी ने इनवेस्टर्स को लुभाने के लिए कुछ समय तक तो भुगतान किया, लेकिन बाद में बंद कर दिया। तय मियाद से न ही दुकान बनाई गई और न ही मॉल और विला।

अब पीड़ित रिटायर्ड विंग कमांडर सुखवीर सिंह, मोहित तिवाड़ी, श्रदेव खाकर सहित दर्जनों लोगों का आरोप है कि उन्होंने जमीन पर करोड़ो रुपया इन्वेस्ट किया हुआ है। उन्हें डर है कि कंपनी उनके रुपए गबन कर कहीं विदेश नहीं भाग जाए। ऐसे में इन्वेस्टर्स ने कपंनी के खिलाफ हरमाड़ा थाने में परिवाद दर्ज कराया है और पूरे मामले की जांच करने की मांग की है।

इकोलॉजिकल क्षेत्र में आती है जमीन, नहीं थी बेचने की अनुमति

फर्जीवाड़े की हद तो देखिए, यह जमीन इकोलॉजिकल क्षेत्र में आती है, जहां न तो मॉल बनाया जा सकता है और न ही मल्टीप्लेक्स, लेकिन कंपनी ने जनता को सपने दिखाकर करोड़ों रुपए डकार लिए। खास बात ये है कि जेडीए ने कंपनी को 300 एकड़ की यह जमीन 31 मार्च 2008 में रियायती दर पर महज 49.20 करोड़ में आवंटित की थी, जबकि आवंटित दर के हिसाब से इसकी कीमत करीब 260 करोड़ थी। इसके लिए जेडीए ने कई शर्तें भी तय की। लीज डीड की शर्तों के अनुसार इस जमीन पर रिटेल मॉल या सिनेमा बनाने की अनुमति नहीं थी। कंपनी को भूमि में निर्मित किसी भी भाग को जयपुर विकास प्राधिकरण की अनुमति के बिना बेचने अनुमति भी नहीं थी। बावजूद इसके कंपनी ने एग्रीमेंट के जरिए फर्जी तरीके से जमीन बेचान कर दी। वह भी बिना जेडीए को बताए।

जेडीए की जारी लीज डीड की प्रति नहीं दिखाई
खास बात ये है कि खरीदार को कंपनी वाले कभी-कभी जयपुर विकास प्राधिकरण द्वारा जारी उक्त भूमि की लीज डीड की प्रति नहीं दिखाते थे। खरीदार द्वारा अगर कभी उक्त लीज डीड की प्रति मांगी जाती तो उसको विश्वास का हवाला देकर तथा चिकनी चुपड़ी बातें कर गोल मोल कर देते थे, ताकि उनका भंडाफोड़ न हो जाए।

दो बार बढ़ चुका है जमीन का एक्सटेंशन
कंपनी ने जेडीए की ओर से तय की गई शर्तों का भी पालन नहीं किया है। कंपनी ने अपनी ऑडिट बैलेंस शीट भी प्राधिकरण के समक्ष कभी प्रेषित नहीं की, जबकि कई बार जेडीए ऑडिट बैलेंस शीट मांग चुका है। कंपनी ने आज तक भवन मानचित्र अनुमोदन नहीं करवाया है, जबकि कंपनी को पूरा प्रोजेक्ट 31 मार्च 18 तक पूरा करना है। पूरा नहीं होने पर उसका आवंटन निरस्त हो सकता है। हालांकि कंपनी का जेडीए जमीन का एक्सटेंशन दो बार बढ़ा चुका है।

ये है कंपनी का कहना
मामले को लेकर जब खास खबर ने अप्पू घर के डायरेक्टर सतपाल जुनेजा से बात की तो उन्होंने बताया कि लोगों के साथ उन्होंने जमीन को लेकर एमओयू किया है। उनका कहना है कि वह 52 रुपए प्रति स्क्वायर की दर से हर महीने इन्वेस्टर्स को ब्याज का भुगतान कर रहे हैं। साथ ही कुछ इन्वेस्टर्स की रकम लौटा दी गई है। जब उनसे पूछा गया कि उक्त जमीन पर मॉल या सिनेमा बनाने के लिए इन्वेस्टर्स के साथ एमओयू कर करोड़ो रुपए लेने से पहले जेडीए से स्वीकृति ली थी, उन्होंने इसके बारे में बताने से इनकर कर दिया।

ये है जेडीए का कहना
जमीन जेडीए जोन-13 में आती है। मामले को लेकर जोन-13 के उपायुक्त बिरदी चंद गंगवाल से बात की गई तो उन्होंने यह तो बताया कि जमीन इकोलॉजिकल जोन में आती है। आवंटित की गई इस जमीन का बेचान नहीं किया जा सकता है, लेकिन उन्होंने कंपनी की ओर से एमओयू के जरिए जमीन बेचने की जानकारी होने से इनकार कर दिया।

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ये है कंपनी का कहना

मामले को लेकर जब खास खबर ने अप्पू घर के डायरेक्टर सतपाल जुनेजा से बात की तो उन्होंने बताया कि लोगों के साथ उन्होंने जमीन को लेकर एमओयू किया है। उनका कहना है कि वह 52 रुपए प्रति स्क्वायर की दर से हर महीने इन्वेस्टर्स को ब्याज का भुगतान कर रहे हैं। साथ ही कुछ इन्वेस्टर्स की रकम लौटा दी गई है। जब उनसे पूछा गया कि उक्त जमीन पर मॉल या सिनेमा बनाने के लिए इन्वेस्टर्स के साथ एमओयू कर करोड़ो रुपए लेने से पहले जेडीए से स्वीकृति ली थी, उन्होंने इसके बारे में बताने से इनकर कर दिया।

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ये है जेडीए का कहना
जमीन जेडीए जोन-13 में आती है। मामले को लेकर जोन-13 के उपायुक्त बिरदी चंद गंगवाल से बात की गई तो उन्होंने यह तो बताया कि जमीन इकोलॉजिकल जोन में आती है। आवंटित की गई इस जमीन का बेचान नहीं किया जा सकता है, लेकिन उन्होंने कंपनी की ओर से एमओयू के जरिए जमीन बेचने की जानकारी होने से इनकार कर दिया।

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