राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ने लौटाई खुशियां

www.khaskhabar.com | Published : मंगलवार, 20 फ़रवरी 2018, 3:12 PM (IST)

जयपुर। बचपन से तकलीफ़ झेल रही दो बच्चियों को राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की बदौलत बड़ी राहत मिली है. ट्रांसपोर्ट नगर की रहने वाली 17 वर्षीया बेबी नाज़ो खान बचपन से ही कान बहने/कान में छेद जैसी बीमारी की तकलीफ झेल रही थी. पिता मोहम्मद शफीक ने अपनी बच्ची को लेकर कई अस्पतालों के चक्कर लगाए, लेकिन पैसों के अभाव में ईलाज नहीं करवा सके. नगीनों की मजदूरी करने वाले पिता मोहम्मद शफीक जैसे तैसे परिवार का भरण पोषण कर रहे थे. ऐसे में ऑपरेशन में आने वाले खर्च को वहां कर पाना उनके बूते से बाहर की बात थी. समय बीतने के साथ पिता मोहम्मद शफीक अपनी फूल सी बच्ची की तकलीफ से टूटते जा रहे थे और उसका ईलाज नहीं करवा पाने की हताशा उन्हें खाए जा रही थी.

इसी बीच राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम बच्चों के स्वास्थ्य परिक्षण के लिए सरकारी स्कूल पहाड़गंज पहुंची. यहाँ स्वास्थ्य परिक्षण के दौरान उन्हें बेबी नाज़ो खान की बीमारी के विषय में पता लगा. टीम ने तुरंत बेबी नाज़ो का रैफर कार्ड बनाया और मोती डूंगरी स्थित अभिषेक अस्पताल रैफर कर दिया.

पिता मोहम्मद शफीक को जब पता लगा कि उनकी बिटिया का ईलाज अब राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के अंतर्गत निःशुल्क किया जाएगा. सहसा उनके मन से पल रही हताशा जैसे एक नई उम्मीद में तब्दील हो गई. गत 05 फरवरी को बेबी नाज़ो को अभिषेक अस्पताल अस्पताल में भर्ती कर ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन सफल रहा और बेबी नाजो को वर्षों की तकलीफ से निजात मिली. अगले ही दिन 06 फरवरी को उसे अस्पताल से छुट्टी दे दी गई. पिता मोहम्मद शफीक की ख़ुशी का तो जैसे ठिकाना नहीं था. वे शुक्रगुज़ार हैं राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रति जिसकी बदौलत उनकी बिटिया को तकलीफ़ से मुक्ति मिली.

बेबी नाज़ो खान की तरह ही 16 वर्षीया बेबी मोनिका को भी राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम ने बड़ी राहत प्रदान की है. बेबी मोनिका भी इसी प्रकार पिछले दस वर्षों से कान बहने/कान में छेद की समस्या से परेशान थी. घर की आर्थिक स्थिति बेहद कमज़ोर थी. पिता किशनलाल रंगाई-पुताई की मजदूरी किया करते हैं और बच्ची के ईलाज लायक खर्च वहां करने की स्थिति में नहीं थे. कमलानेहरू सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली बेबी मोनिका की बीमारी का पता राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम को बच्चों के स्वास्थ्य परीक्षण के दौरान लगा. टीम ने तुरंत बेबी मोनिका को मोती डूंगरी स्थित अभिषेक अस्पताल रैफर कर दिया.

गत 05 फरवरी को बेबी मोनिका को अभिषेक अस्पताल अस्पताल में भर्ती कर ऑपरेशन किया गया. ऑपरेशन सफल रहा और बेबी नाजो को वर्षों पुरानी बीमारी से निजात मिली. 06 फरवरी को उसे अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया. पिता किशनलाल की तो जैसे मन मांगी मुराद पूरी हो गई और वे कृतज्ञ हैं राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के प्रति, जिसकी वजह से उनकी बच्ची का ईलाज संभव हो सका.

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. नरोत्तम शर्मा ने बताया कि चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के महत्वपूर्ण कार्यक्रम राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत 0 से 18 वर्ष की उम्र तक के बच्चों का उपचार किया जाता है. आरबीएसके की मोबाइल हैल्थ टीम विभिन्न आंगनबाड़ी केन्द्रों और शिक्षण संस्थानों पर जाकर लगभग 38 बीमारियों से ग्रस्त बच्चों के उपचार में मदद करती है. मोबाईल हैल्थ टीम बच्चों की जांच कर उस अनुरूप की जाने वाली चिकित्सा हेतु बच्चों को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र , जिला अस्पताल या फिर मेडिकल कोलेज रेफर करती है. वहां इन बच्चों का निशुल्क उपचार किया जाता है. बच्चों में जन्मजात हृदय रोग के अलावा कार्यक्रम में कटे होंठ व तालू, मुड़े हुए पैर, कान बहने और मोतियाबिंद का इलाज किया जाता है. इसके अलावा कमजोर नेत्र दृष्टि वाले बच्चों के चश्मे भी बनाए जाते हैं.

आरसीएचओ डॉ. रघुराज सिंह ने बताया कि विभिन्न बीमारियों से जूझ रहे बच्चों को आरबीएसके कार्यक्रम न केवल उनका सामान्य बचपन उन्हें वापस लौटा रहा है बल्कि उनके भविष्य के लिए संजोये गए सपनों में उम्मीद के नए रंग भी भर रहा है. चिकित्सा विभाग के राष्ट्रीय बाल सुरक्षा कार्यक्रम के शानदार प्रयासों की बदौलत आज गंभीर बीमारियों से ग्रसित बच्चे भी दूसरे बच्चों की तरह स्वस्थ और सामान्य जीवन जी रहे हैं.


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