सनातन धर्म में गाय को माता के समान सम्मानजनक स्थान प्राप्त है। हिंदू
धर्म में गाय हमेशा कल्याणकारिणी तथा पुरुषार्थ-चतुष्टय की सिद्धि प्रदान
करने वाली है। हमारे लिए गौमाता कितनी लाभदायक है आइए जानें जरा-
जन्म
पत्री में यदि शुक्र अपनी नीच राशि कन्या पर हो, शुक्र की दशा चल रही हो
या शुक्र अशुभ भाव (6,8,12) में स्थित हो तो अपने प्रात: काल के भोजन में
से एक रोटी सफेद रंग की गाय को 43 दिन तक लगातार खिलाने से शुक्र का नीचत्व
और शुक्र सम्बंधित कुदोष स्वत: ही समाप्त हो जाते हैं। हमेशा भी देना शुभ
है।
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सूर्य, चंद्र, मंगल या शुक्र की युति राहु से हो तो पितृदोष होता है। पितृदोष होने के अन्य विधान भी हैं। जन्मपत्री में यदि पितृदोष हो तो गाय को प्रतिदिन या पितृ अमावस्या को रोटी, गुड़, चारा आदि खिलाने से पितृदोष समाप्त हो जाता है।
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किसी की जन्मपत्री में सूर्य नीच राशि तुला पर हो या अशुभ
स्थिति में हो या केतु के द्वारा परेशानियां आ रही हो तो गाय में
सूर्य-केतु नाड़ी होने के फलस्वरूप गाय की पूजा करनी चाहिए। दोष समाप्त
होंगे।
यदि रास्ते में जाते समय गौ माता आती हुई दिखाई दे तो उसे अपने
दाहिने से जाने देना चाहिए, इससे आप जिस कार्य के लिए जा रहे है वह बनने के
योग बन जाएंगे और यात्रा भी सफल होगी।
स्वप्नमहालक्ष्य अनिष्टं गां
नर: सम्प्रकीर्तयते।। अर्थात: यदि बुरे स्वप्न दिखाई दे तो मनुष्य गौ माता
का नाम ले। बुरे स्वप्न बंद हो जाएंगे।
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गाय के
घी का एक नाम आयु भी है, अत: गाय के दूध-घी से व्यक्ति दीर्घायु होता है।
हस्त रेखा में आयु रेखा टूटी हुई हो तो गाय का घी काम में लें, गाय की पूजा
करें, आयु रेखा जुड़ जाएगी।
देसी गाय की पीठ पर जो कूबड़ होता है वह बृहस्पति है अत:
जन्मपत्रिका में यदि बृहस्पति अपनी नीच राशि मकर में हो या अशुभ स्थिति में
हो तो देशी गाय के इस बृहस्पति एवं शिवलिंग रूपी कूबड़ के दर्शन करने
चाहिए।
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गुड़ व चने की दाल रखकर, गाय को रोटी भी दें।
गौ माता के नेत्रों में प्रकाश स्वरूप भगवान सूर्य तथा ज्योत्सना के अधिष्ठाता चंद्र देव का भी निवास होता है।
जन्म-पत्री में सूर्य-चंद्र कमजोर हो, तो गौ नेत्र के दर्शन करें। कुछ ही दिनों में लाभ मिलने लगेगा।
ज्योतिष में गोधूलि का समय विवाह के लिए सर्वोत्तम माना गया है।
यदि यात्रा के प्रारम्भ में गाय सामने दिख जाए या अपने बछड़े को
दूध पिलाती हुई नजर आए तो यात्रा के सफल होने की संभावना काफी बढ़ जाती
है।
जिस घर में गाय होती है उसमें वास्तु दोष स्वत: ही समाप्त हो जाता है।
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