चंडीगढ़। पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने राज्य के आलू व
मक्की काश्तकारों की सहायता के लिए मार्किटिंग रणनीति तैयार करने के लिए
तीन सदस्यीय कमेटी का गठन किया है।
पंजाब राज्य किसान आयोग के चेयरमैन,
एडिश्नल मुख्य सचिव (सहकारी) व एडिश्नल मुख्य सचिव (विकास) पर आधारित इस
कमेटी को 1 मार्च 2018 तक रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया है। सरकारी
अनुमान के मुताबिक इस कमेटी की ओर से किसानों के लिए मक्की व आलू की फसल
के लाभदायक भाव यकीनी बनाने व इन की बर्बादी रोकने के लिए सुझाव दिए
जाएंगे। सही मंडीकरण न होने के कारण इन फसलों के काश्तकारों को होने वाले
नुक्सान पर चिंता जताते हुए मुख्यमंत्री ने इस कमेटी को घरेलू व राष्ट्रीय
मंडियों की पहचान करने के लिए कहा है ताकि इन फसलों का लाभदायक लाभ मिल
सकें।
मुख्यमंत्री ने इस कमेटी को कम जोखिम पर किसानों के लिए
लाभदायक भाव यकीनी बनाने के लिए इन फसलों के भविष्य में व्यापार के लिए
संभावनाएं तलाशने का निर्देश दिया है। उन्होंने कहा कि इससे किसानों को
बड़े स्तर पर फसली विभिन्नता अपनाने के लिए उत्साह मिलेगा। किसानों को
कर्जों के चक्कर से निकालने के लिए राज्य सरकार की ओर से फसली विभिन्नता पर
जोर दिया जा रहा है।
मुख्यमंत्री ने इस कमेटी से सुझाव मांगे
ताकि किसानों को आलू की ऐसी किस्मों को बीजने के लिए जागरुक किया जाए, जिन
की मैकडोनल्ड व मैककेन फूडज़़ जैसी बड़ी बहुराष्ट्रीय कंपनियों में बहुत
मांग है। उन्होंने कहा कि इस से राज्य के आलू काश्तकारों को अपनी फसल का
बढि़य़ा मूल्य मिलेगा। मक्की के मुद्दे पर मुख्यमंत्री ने इस कमेटी को मक्की
से ईथानोल के उत्पादन की संभावना पता लगाने के लिए कहा है, जिस संबंधी
कंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गढक़री की ओर से भी सुझाव दिया गया है।
उन्होंने कमेटी को ऐसे उत्पादन पर लागत व किसानो को मिलने वाले लाभ के बारे
में अध्ययन करने के लिए कहा है।
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