असुरक्षित गर्भ समापन्न के कारण हर दूसरे दिन एक महिला की होती है मौत

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 12 फ़रवरी 2018, 5:37 PM (IST)

जयपुर। राजस्थान में एमटीपी एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन करवाने तथा गर्भवती महिलाओं को आवश्यकतानुसार सुरक्षित गर्भ समापन्न की सेवाएं दिलवाने में मीडिया बेहतर भूमिका निभा सकता है। यह बात शहर के एक होटल में प्रतिज्ञा अभियान, एसआरकेपीएस, एफआरएचएस व पेन के तत्वावधान में आयोजित मीडिया कार्यशाला में प्रतिज्ञा अभियान की प्रतिनिधि अनुपम शुक्ला ने कही।

राजस्थान में महिला अधिकारों, सुरक्षित व कानून सुरक्षित गर्भ समापन्न के लिे कार्य करने की महत्ती आवश्यकता है। शुक्ला ने कहा कि मीडिया के माध्यम से सामाजिक मुद्दों को उठाकर महिलाओं को उनके अधिकार दिलाने का कार्य कर सकते हैं। आईपास प्रतिनिधि डॉ. करुणा सिंह ने कहा कि राजस्थान में प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर सरकार द्वारा गर्भ समापन्न की सेवाएं दी जा रही हैं, लेकिन 35 प्रतिशत से कम महिलाओं को सुरक्षित गर्भसमापन्न की सेवाएं मिल पा रही हैं। उन्होंने कहा कि बहुत से प्राथमिक व सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों पर सुरक्षित गर्भसमापन्न करवाने वाले प्रशिक्षित डॉक्टर नहीं होने से सेवाएं नहीं मिल पाती हैं।

उन्होने कहा कि राजस्थान में 1150 डॉक्टरों को सुरक्षित गर्भ समापन्न करवाने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। डॉ. करुणा ने कहा कि राजस्थान में सुरक्षित गर्भसमापन्न सेवाएं दिलवाने के लिए मीडिया सहयोग करे, ताकि किसी महिला की मृत्यु असुरक्षित गर्भसमापन्न से न हो।

वरिष्ठ पत्रकार शिप्रा माथुर ने मीडिया कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि पत्रकार अपना सामाजिक दायित्व निभाते हुए महिला अधिकारों के लिए ग्रामीण परिवेश को ध्यान में रखते हुए लिखने का कार्य करे। माथुर ने कहा कि पत्रकार समाज का आईना होता है, वह चाहे तो बड़ा सामाजिक परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होनें पत्रकारों द्वारा किए गए कई कार्यों के बारे में जानकारी देते हुए सामाजिक बदलावों पर प्रकाश डाला।


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एसआरकेपीएस प्रतिनिधि राजन चौधरी ने कार्यशाला में कहा कि राजस्थान में पीसीपीएनडीटी एक्ट का प्रभावी क्रियान्वयन हुआ है, उसी तर्ज पर एमटीपी एक्ट पर भी कार्य किया जाएगा, ताकि असुरक्षित गर्भसमापन्न से किसी भी महिला की मृत्यु नहीं हो। चौधरी ने कहा कि राजस्थान में करीब 2 लाख 25 हजार गर्भवती महिलाएं प्रतिवर्ष गर्भ समापन्न करवाती हैं, जिसमें से 65 प्रतिशत असुरक्षित गर्भ समापन्न होता है। असुरक्षित गर्भ समापन्न के कारण राजस्थान में प्रतिवर्ष एक अनुमान के अनुसार करीब 200 महिलाओं की मौत हो जाती है। यानी हर दूसरे दिन एक महिला असुरक्षित गर्भ समापन्न के कारण अपना जीवन खो देती है।


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उन्होंने कहा कि सुरक्षित गर्भ समापन्न की सेवाओं को जब तक सामाजिक स्वीकृति नहीं मिलेगी, तब तक महिलाओं के अधिकारों का हनन होता रहेगा। राज्य स्तरीय मीडिया कार्यशाला में राजस्थान के 70 मीडिया प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कार्यशाला के अंत में विजय पाण्डे ने सभी का आभार प्रकट किया।


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