शीला दीक्षित ने पार्टी से कही 'मन की बात', 'कांग्रेस के लिए वापसी का सही समय'

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 09 फ़रवरी 2018, 6:26 PM (IST)

नई दिल्ली। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सक्रिय राजनीति में लौट सकती हैं, बशर्ते उनकी पार्टी उनसे ऐसा करने के लिए कहे। शीला मानती हैं कि यह कांग्रेस के लिए वापसी का सही समय है, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब तक सिर्फ बातें की है, और काम कुछ नहीं किया है, जिसके कारण उनकी विश्वसनीयता निचले स्तर पर पहुंच गई है।

लेकिन 80 वर्षीय कांग्रेसी नेत्री को भरोसा नहीं हैं कि उनकी पार्टी मोदी लहर पर सवार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को 2019 के आम चुनाव में पटखनी दे सकती है।

शीला ने आगामी लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की संभावनाओं पर किए एक सवाल के जवाब में आईएएनएस को बताया, "आपको इस सवाल का जवाब देने का मेरे पास आत्मविश्वास नहीं है। कांग्रेस इससे भलीभांति परिचित है, कांग्रेस नेता (अध्यक्ष राहुल गांधी) भी इससे परिचित हैं। जितना संभव हो सकता है और उनसे जितना हो सकता है, राहुल उससे ज्यादा कर रहे हैं।"

उन्होंने कहा कि हालांकि अगर कांग्रेस वास्तविक मुद्दों पर बात करती है और भाजपा के हिंदुत्व के एजेंडे के झांसे में नहीं आती है तो वह वापसी कर सकती है।

उन्होंने कहा, "हमें उन मुद्दों और लोगों की उम्मीदों के बारे में बात करनी चाहिए, जिसे मोदी सरकार पूरी करने में नाकाम रही है। लोग बढ़ती कीमतों से पीड़ित हैं। लोगों के लिए पेट्रोल खरीदना मुश्किल हो रहा है..कोई नौकरी नहीं है..भारत का विकास घट रहा है। इन मुद्दों के जरिए हमें सरकार को घेरना चाहिए।"

उन्होंने कहा, "हमें भाजपा के वादों को बारीकी से छानबीन करनी चाहिए और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा जाना चाहिए कि क्यों वह अपने वादों को पूरा करने में असफल हुए।"

उन्होंने कहा कि भाजपा अब अपने हिंदुत्व दर्शन को भारत के मतदाताओं को ज्यादा समय तक नहीं बेच सकती, क्योंकि अबतक उन्हें यह समझ आ गया होगा कि मोदी केवल बातें करते हैं, काम नहीं।

तीन बार लगातार दिल्ली की मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला कहती हैं, "मोदी और भाजपा की विश्वसनीयता प्रभावित हुई है। वह निचले स्तर पर है। भाजपा ने अपने चुनावी वादे पूरे नहीं किए। केवल विदेश यात्राओं (प्रधानमंत्री द्वारा की गईं) से नौकरी नहीं आती, विकास नहीं आता। देश में प्रगति नहीं हुई है। वास्तव में देश का विकास उल्टी दिशा में जा रहा है। हमें इसे रोकना होगा।"

शीला ने पिछले साल उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के मुख्यमंत्री पद से अपना नामांकन वापस ले लिया था। यह पूछने पर कि क्या वह सक्रिय राजनीति में लौटने के लिए तैयार हैं? उन्होंने कहा, "मैं तैयार हूं, लेकिन मैं कोई भूमिका नहीं मांग रही हूं। मैं मांगने के शब्द पर जोर देते हुए कह रही हूं कि अगर पार्टी मुझसे ऐसा कहती है तो मैं किसी भी भूमिका को स्वीकारने के लिए तैयार हूं।"

उन्होंने कहा कि उनकी इच्छा के खिलाफ समाजवादी पार्टी (सपा) के साथ कांग्रेस द्वारा गठबंधन करने के बाद उन्होंने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से अपना नाम वापस ले लिया था।

उन्होंने कहा, "वह बेमेल था। हम एक नारे '27 साल यूपी बेहाल' के साथ चुनाव में उतर रहे थे। यह उन 27 सालों के संदर्भ में था, जब राज्य समाजवादी पार्टी सहित गैर-कांग्रेसी सरकारों के हाथों में रहा। लेकिन गठबंधन के कारण यह नारा बेमानी हो गया, इसलिए मैंने स्वेच्छा से घोषणा की थी कि मैं अपना नाम वापस ले रही हूं।"

दिल्ली की राजनीति पर उन्होंने कहा कि उन्हें वापस लौटने से गुरेज नहीं है, क्योंकि यहां भी मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चुनाव पूर्व किए अपने वादों को पूरा करने में नाकाम रहे हैं।

वह इस बात पर अफसोस जताती हैं कि हमने यह समझा था कि केजरीवाल चुनाव लड़ने के लिए ऐसे वादे नहीं करेंगे, जिन्हें वह पूरा नहीं कर सकते हैं।

उन्होंने कहा, "केजरीवाल ने वे वादे किए, जिन्हें वह पूरा नहीं कर सकते थे। क्योंकि दिल्ली की निर्वाचित सरकार के पास सीमित शक्तियां होती हैं। उन्होंने यह वास्तविकता को समझे बगैर वादे किए और आज आप देख रहे हैं कि लोगों को यह महसूस होने लगा है। मैं इसे लेकर सुनिश्चित नहीं हूं कि जमीनी स्तर पर लोगों को यह समझ आ गया है, लेकिन मुझे पता है कि केजरीवाल अपने वादों के लिए ज्यादा कुछ नहीं कर पाएंगे।"

शीला दीक्षित ने अपने जीवन का सबसे अधिक समय दिल्ली में बिताया और वह 15 साल के अपने शासन को राजधानी को बदलने का श्रेय देती है। शीला कहती हैं कि उन्हें वास्तव में दुख होता है, जब दिल्ली को महिलाओं के लिए असुरक्षित शहर और अपराध की राजधानी कहा जाता है।

शीला ने 175 पन्नों की अपनी आत्मकथा 'सिटिजन दिल्ली : माइ टाइम्स, माइ लाइफ' में बेपरवाह होकर शहर में साइकिल से घूमने के अपने बचपन के दिनों का जिक्र किया है।

शीला उन दिनों के वापस लौटने की उम्मीद करती हैं, जब दिल्ली के बच्चे बेपरवाह और सुरक्षित थे। उन्होंने कहा, "उस समय मेरे माता-पिता को कभी नहीं लगता था कि अगर बच्चे घर के बाहर रहेंगे तो उनके साथ कुछ गलत हो जाएगा।"

शीला के अनुसार, "कम से कम हमारे परिवार और हमारी मंडली में दुष्कर्म पर कभी बात नहीं हुई थी। हमें नहीं पता था कि यह क्या है। दरअसल मुझे मेरी शादी के कई सालों तक नहीं पता था कि यह क्या है मुझे पता चला जब मैंने इसके बारे में पढ़ा था। वह मासूमियत की उम्र थी..वह मासूमियत से भरा समय था।"

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