आर.जयन/अजय सिंह चैहान,बांदा। इसे महिला सशक्तीकरण की संज्ञा दी जाए या फिर शिक्षा हासिल करने की ललक। उत्तर प्रदेश में बांदा जिले के काली टोला गांव में बुधवार को सात फेरे लेने के बाद एक दुल्हन विदाई से इंकार कर दिया, जिससे घराती और बारातियों में अफरा-तफरी का माहौल हो गया। लेकिन, कुछ ही देर बाद जब दोनों पक्षों को न विदाई की वजह का पता चला तो खुशी से झूम उठे। दुल्हन ने बोर्ड परीक्षा देने से पूर्व विदाई से इंकार कर दिया था।
हुआ यह था कि बबेरू थाना क्षेत्र के काजी टोला गांव की युवती अर्चना यादव की शादी की रस्में पूरी होने के बाद बुधवार को विदाई की तैयारी हो चुकी थी, अचानक दुल्हन ने अपनी ससुराल जाने से इंकार कर दिया।दुल्हन के इंकार करने से घराती और बाराती पक्ष में अफरा-तफरी का माहौल पैदा हो गया, जब लड़की के पिता ने बताया कि बेटी की दूसरी पाली में बोर्ड परीक्षा है, वह परीक्षा देने के बाद ही ससुराल जाने को राजी है।तब दोनों पक्षों के लोग खुशी से झूम उठे और दुल्हन विदाई वाली सजी-धजी कार में दूल्हे राजा अनूप (फतेहपुर) और भाई रजनीश व कुछ अन्य रिश्तेदारों के साथ परीक्षा केन्द्र ज्वाला प्रसाद शर्मा इंटर काॅलेज बबेरू पहुंच गई।
परीक्षा केन्द्र व्यवस्थापक/प्रधानाचार्य डाॅ. अनिल कुमार सिंह ने बताया कि ‘उन्हें जैसे ही परीक्षा केन्द्र में ‘दुल्हन’ के आने की सूचना मिली, वह समूचे स्टाॅफ के साथ काॅलेज के मुख्य द्वार पर पहुंचकर दुल्हन का स्वागत किया और उसे परीक्षा केन्द्र तक ससम्मान पहुंचाने का काम किया।’
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उन्होंने बताया कि परीक्षार्थिनी दुल्हन ने व्यवसायिक विषय का पेपर देने के बाद अपने गांव लौटी और इसके बाद देर शाम विदा होकर अपनी ससुराल फतेहपुर जिले के खागा के लिए रवाना हुई। ससुराल जाने से पूर्व दुल्हन से जब पूछा गया तो उसने सिर्फ इतना कहा कि पहले पढ़ाई, बाद में विदाई।इस संबंध में जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) हफीजुर्रहमान ने कहा कि यह सरकार की बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ नारे का असर है, सूखे बुंदेलखंड में अब लड़कियां सशक्त और जागरूक हो रही है।
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